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कोल्ड ड्रिंक से सांस की बीमारी 

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       रिया यादव 

कोल्ड ड्रिंक्स आप गर्मी के पेय नही बारहमासी पेय बन गए है. कोल्ड ड्रिंक का सेवन बड़ी तादाद में किया जाता है। खासतौर से युवाओं में कोल्ड ड्रिंक का कंजप्शन दिनों दिन बढ़ रहा है। इससे वेटगेन और डायबिटीज़ का खतरा बढ़ने के अलावा ये लंग्स के नुकसान का कारण भी सिद्ध हो रही है।

     नियमित रूप से कार्बोनेटिड पेय पदार्थो के सेवन से कोल्ड ट्रिगर बढ़ने लगता है, जिससे खांसी, सांस फूलने की समस्या और अस्थमा के अन्य लक्षण दिखने लगते है। 

      नियमित रूप से कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से लंग्स की कपेसिटी लो हो जाता है। इसके चलते अस्थमा  और सीओपीडी (COPD) का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में बार बार सांस फूलना और खांसी का सामना करना पड़ता है।

     दरअसल, कोल्ड ड्रिंक में मौजूद केमिकल्स और फ्रुक्टोस की मात्रा से लंग्स में इंफ्लेमेशन बढ़ने लगता है, जिससे अपर रेसपीरेटी ट्रैक इंफेक्शन का सामना करना पड़ता है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार 986 लोगों पर हुई रिसर्च में पाया गया कि कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने वाले 65 लोगों में अस्थमा के लक्षण पाए गए। अन्य रिसर्च के अनुसार फ्रूट जूस और कोल्ड ड्रिंक पीने वाले बच्चों में अस्थमा के लक्षण देखने को मिले। शुगरी कार्बोनेटिड ड्रिंक्स का सेवन करने से अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान होता है। इसका असर लंग्स की फंक्शनिंग पर दिखने लगता है। इससे लंग्स का कार्य स्लो होने लगता है, जिससे सांस संबधी समस्याएं बढ़ जाती है।

कोल्डड्रिंक्स इस तरह से पहुंचाते हैं लंग्स को नुकसान :

*1. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का खतरा :*

कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानि सीओपीडी का खतरा बढ़ने लगता है। इससे एयरवेज़ और फेफड़ों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसके चलते एयरफ्लो ब्लॉक होने से कफ, घबराहट, थकान और चेस्ट टाइटनेस यानि सीने में जकड़न बढ़ जाती है। इस रोग से ग्रस्त लोगों को कफ के साथ म्यूकस की समस्या बनी रहती है। समय पर इलाज करवाने से इस समस्या के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

*2. ब्रोंकोस्पज़म का जोखिम :*

ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंक्स पीने से उपरी एयरवेज़ में ठंडक पहुंचने लगती है, जिससे एयरवेज़ में संकीर्णता और कसावट आने लगती है और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। साथ ही लगातार खांसी का सामना करना पड़ता है। कोल्ड ड्रिंक्स के अलावा स्मोकिंग, एलर्जन और सर्दियों का मौसम भी इस समस्या को ट्रिगर कर सकता है।

*3. अस्थमा को ट्रिगर करना :*

 ठंडे कार्बोनेटिड ड्रिंक्स का सेवन करने से रेसपीरेटरी डिज़ीज़ का जोखिम बढ़ जाता है। इससे अस्थमा के लक्षण ट्रिगर होते हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है और खांसने के साथ चेस्ट कंजशन का सामना करना पड़ता है। साथ ही खांसने के दौरान थिक म्यूकस की समस्या बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करने से डायबिटीज़ के अलावा अस्थमा और घरघराहट का सामना करना पड़ता है।

      ठंडे कार्बोनेटिड ड्रिंक्स का सेवन करने से रेसपीरेटरी डिज़ीज़ का जोखिम बढ़ जाता है। इससे अस्थमा के लक्षण ट्रिगर होते हैं।

*4. लंग्स की फंक्शनिंग की कमी :*

लगातार ठंडा पानी या कार्बोनेडिट ड्रिंक्स का सेवन करने से लंग्स की फंक्शनिंग 10 से 15 मिनट के लिए स्लो होने लगती है। साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार 1000 एमएम ठंडा पानी पीने से फोर्सड वाइटल कपेसिटी 5 फीसदी तक कम हो जाती है। रोज़ाना ठंडा पीने से गले में रूखापन बढ़ने लगता है, जो सूखी खांसी का भी कारण साबित होता है। वहीं ठंडे पानी के कारण नाक बंद होना और नोज़ रनिंग की समस्या बढ़ जाती है। (चेतना विकास मिशन).

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