सुसंस्कृति परिहार
मुझे राहुल गांधी का वह भाषण आज बरबस याद आ रहा है जब उन्होंने कहा था -“हमें निडर लोग चाहिए, जिन्हें डर लग रहा है जाओ, कांग्रेस छोड़ने वाले RSS के लोग” आज कांग्रेस के पास आज दो युवा ज़िंदादिल हैं कन्हैया कुमार ओर जिग्नेश मेवानी संयोग से जब ही भगतसिंह की114वीं जयंती थी ।शहीदे आज़म को श्रद्धांजलि देकर दोनों युवाओं ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपनी आस्था व्यक्त की थी ।कन्हैया कुमार को कौन नहीं जानता वर्ष 2016 जे एन यू प्रेसीडेंट को संघ पोषित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जिस तरह फंसाया और वे जब जमानत पर जे एन यू में काले कोट में दमकते दिखे तो हर्ष की लहर फैल गई। कन्हैया ने अपने साथियों और प्राध्यापकों के बीच खुले मंच पर एक सांस में जिस तरह आज़ादी आज़ादी का तराना उपस्थित लोगों के साथ बुलंदी से पेश किया वह एक इतिहास बन गया ।इसकी गूंज देश भर में सुनी गई। यहीं से एक समझदार युवा राजनैतिक का जन्म हुआ। जिस पर अदालत में वकील का हमला हुआ।झूठ की इबारत में उसे राष्ट्रद्रोही करार दिया मामला आज तक लंबित है।वह डिगा नहीं।उसका संघर्ष जारी रहा भाजपा और संघ के कतिपय भक्तों को वह नापसंद हो बाकी देश में उसका अपना वजूद है।वे दक्षिण दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
पिछले वामपंथी इतिहास की वह तारीफ करता है लेकिन एक बात तो साफ है कि वामपंथी दलों में आज के हालात के अनुसार अपने को ढालने की कतिपय कमज़ोरियों के कारण उसे बंगाल से लेकर त्रिपुरा तक मुंह की खानी पड़ी है। ज़रूरत इस बात की है कि जब चारों ओर आप शत्रुओं से घिरे हैं तो सबसे बड़े शत्रु से निपटने पहले छोटे शत्रुओं को सहयोग देकर हमला करना चाहिए। बंगाल में ममता बनर्जी से गहरी शत्रुता का फायदा भाजपा,संघ ने उठाया। यदि वामपंथी और तृणमूल मिलकर हमलावर होते तो बंगाल भाजपा मुक्त होता । बहरहाल, कन्हैया ने जो कुछ संक्षेप में प्रेस कांफ्रेंस में कहा वह तार्किक है वे कहते हैं कांग्रेस बचेगी तभी देश बचेगा ।आज भी देश में यदि गांव गांव में किसी पार्टी का वज़ूद है तो वह कांग्रेस ही है अब तक प्रतिपक्ष की भूमिका में सिर्फ वह ही अकेली खड़ी है।उसे मज़बूत करके ही संविधान और देश को बचाया जा सकता है।बाकी बातें अभी बेवजह हैं जब सत्ता में मिलजुल आएं तो सब सवालों के हल निकालने होंगे।अभी सिर्फ़ और सिर्फ़ फासिस्टवादी जन विरोधी ताकतों को हटाना लक्ष्य होना चाहिए।कन्हैया कुमार का वाममार्गी दर्शन और साहस के साथ संघर्ष करना कांग्रेस को निश्चित तौर पर ताकत देगा।यह आज की बड़ी ज़रुरत है।
दूसरे साथी जिग्नेश मेवानी उस गुजरात से निर्दलीय विधायक हैं जिन्होंने अपने राज्य में उन दोनों के कार्यकाल को भली-भांति देखा है जो आज केंद्र की सत्ता में प्रमुख हैं।एक राजनैतिक वकील, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत से उन्होंने गुजरात में दलित समाज को जागृत करने में गुजरात सरकार से कई बार टक्कर ली है। जिग्नेश और कन्हैया की यह युवा पीढ़ी इस बार भाजपा की विदाई के लिए प्रतिबद्ध है इसके लिए बराबर सक्रियता से काम जारी है।
देश के युवा, कांग्रेस को आशा भरी नजरों से देख रहा है। कहने वालों से विचलित ना हों। बिचौलियों से सावधान रहें। हिम्मत रखें।निडर रहे। संघर्ष करें।जाने वालों के लिए प्रायश्चित ना करें।अपनी शक्ति पर भरोसा रखना होगा सारी क्रांतियां युवा ही लाते रहे हैं।उनकी एकजुटता यही इशारा करती है। ज़िंदाबाद साथियों।मुकाम पर डटे रहो तुम्हारे साथ आज एक बहुत बड़ी युवाओं की टीम खड़ी है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो और न्याय यात्रा ने इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है थप्पड़ मारने,जेल भेजने से,जलील करने से अब युवा डरते नहीं वे उस गांधी के अनुयायी है जिसे विरोधी भी झुककर सलाम कर गोली दागते हैं।
निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस अब नई कांग्रेस बनकर उभर रही है जिसके नेता राहुल गांधी पिछले दस साल से इन फासीवादी ताकतों से बैखौफ मुकाबला कर रहे हैं। उन्हें मिलने वाला निडर साथ भरपूर मज़बूरी दे रहा है।