रमाशंकर सिंह,पूर्व मंत्री
श्वेत दुनिया के लिये आकर्षण और मनोरंजन का पर्याय बनी रिहाना चमड़ी के रंग से ज़ाहिर है कि सॉंवली है। अश्वेत लोगों की नाक नुकीली तीखी नहीं होती , नितंब उभरे हुये होते हैं पर जो सुंदरता को समझते हैं वे जानते हैं कि वह सब सुघड़ बनावट की होती है । औसत भारतीय मर्दो और फ़िल्मी भॉंड पुरुष भी रिहाना के कंधों तक आते हैं। शारीरिक सुंदरता का एक पैमाना यह भी है। दूसरा अश्वेत मायकल जैक्सन जब मंच पर आता था तो लाखों श्रोताओं में कई रोने लगतीं थीं , कई बेहोश भी हो जाती थीं ! अभूतपूर्व लोकप्रियता का स्तर मायकल जैक्सन ने छुआ। वैसे ही रिहाना भी शायद छू सकती है
साँवली भूरी भारतीय सुंदरता का मानदंड वैसे ही अपनी तरह का अनूठा होता है जैसे गोरी यूरोपीय या मंगोलियाई जापानी चीनी सुंदरता का। पूरे विश्व के लिये कोई समान स्टेंडर्ड न हो सकता है और न ही होना चाहिये जैसे कि सबके पृथक पृथक भाषा संस्कृति नाच गाना आदि हैं।
जीवन के संघर्षों से उपजते और उभरते हुये रिहाना ने अपनी ख़ास जगह बनाई है। पूरी दुनिया में उनकी इतनी माँग है कि एक शो की क़ीमत को ऊँचा करना पड़ गया इतना कि सामान्य की पहुँच से बाहर हो जाये। रिहाना के दो बच्चे हैं और शायद अभी भी गर्भवती हैं। वो अच्छा नाचे गाये या बुरा या औसत क़ीमत उसकी उपस्थिति और मर्ज़ी की है !
धनपशु अंबानी बल्कि सच कहा जाये तो नीता अंबानी को फूहड़ और बदसूरती से दिखावा करना होता है कि उसके पास बेशुमार दौलत है इसलिये हर पारिवारिक समारोह में अरबों रूपया बहा देती है। उसके पास दुनिया में संभवतया सबसे अधिक और बेशुमार हीरे जवाहरात हैं वे दूसरी बार नहीं पहनतीं। उनके पुत्र पुत्रियॉ बहू प्रेरणा लेकर उनकी राह पर क्यों न जायें ? तो एक ने अब तक जितने क़ीमती आभूषण गिफ़्ट में मिले थे उन सबको अपने लंहगे ब्लाउज़ पर टंकवा कर उसे १४ करोड का बना दिया और एक मौक़े पर उसे नुमाया भी कर दिया।
आज अभी बात रिहाना की ही करनी है !
रिहाना ने किसी से गुहार नहीं की कि मुझे बुलाओ । जिसे बुलाना होता है वह उसकी शर्तों पर आमंत्रित करता है। सीधी सी बात है कि गॉंठ में कुल ८०-९०करोड़ हो तो बात करो ! अंबानी को शोऑफ करना था तो खर्च किया और रिहाना को बुलाया ! वो आई जैसा मन किया वैसा किया और तुरंत वापिस चली गयी। जाते जाते गरीब सामान्य हिंदुस्तानियों को गले लगाया सैल्फी लेने दी , प्यार भी जताया ! किसी भांड
को गले नहीं लगाया । वे दूर खड़े रहे । पास भी नहीं जा सकते थे जैसे आप अमिताभ बच्चन के पास नहीं पहुँच सकते।
अंबानी और रिहाना के बीच किसी का किसी पर एहसान नहीं है ! सीधा बिज़नेस है
इसी रिहाना ने किसान आंदोलन के पक्ष में बयान दिया था । फिर कभी कोई मौक़ा आया तो पुन: जो ठीक लगेगा सो करेगी । अपनी मर्ज़ी की खुद मालकिन है। गैरतमंद है। बंबइया भांडो की तरह नहीं की वहीं खा रहे हैं सो रहे हैं पी रहे हैं फ़्री में मिल रहा है तो।
लेकिन उनको तो देखो जो आर्थिक सामाजिक नैतिक रूप से कुछ नहीं है और इसी बात पर खुश हैं कि अंबानी ने रिहाना के परफ़ॉर्मेंस को ख़रीद कर उसकी औक़ात दिखा दी और किसान आंदोलन का बदला ले लिया ! चलो सब मिल कर चंदा इकट्ठा करो और उसे बुला व नचवा कर दिखाओ !