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सेम पित्रोदा का कथित अनर्गल प्रलाप‌ या हकीकत

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-सुसंस्कृति परिहार 

सेम पित्रोदा के विरासत पर सरकारी भागीदारी वाले बयान पर अभी विवाद थम भी नहीं पाया था कि अब नस्लभेद, रंगभेद की प्रजाति मामले में उन्होंने भारतीय नागरिकों पर जो बात चुनाव काल में कहीं है उसे लेकर मोदीजी ने  वितंडावाद खड़ा कर दिया  है यह आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि वे तो शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और नागरिकों को उकसाने में माहिर हैं।

 आईए देखते हैं सेम पित्रोदा कौन हैं और क्या है पूरा मामला।सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनका जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था। उन्होंने 1964 अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर किया।उन्हें भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. वो गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैें। इसलिए उन पर भाजपा की नज़रें हमेशा तनी रहती रही हैं।फिलवक्तसैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष थे रहते हुए अंग्रेजी अखबार ‘द स्टेट्समैन’ को दिए एक इंटरव्यू में भारत की विविधता को लेकर कथित विवादित बयान दिया।  उन्होंने कहा, “हम 75 साल बहुत खुशहाल माहौल में रहे हैं।लोग इधर-उधर के झगड़ों को छोड़कर एक साथ रहते थे।हम भारत जैसे विविधता वाले देश को एक साथ रख सकते हैं। यहां हम सभी भाई-बहन हैं। हम सभी अलग-अलग भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और खाने का सम्मान करते हैं। यही वह भारत है जिसमें मैं विश्वास करता हूं, जहां हर किसी के लिए एक जगह है. यहां हर कोई एक-दूसरे के लिए थोड़ा-बहुत समझौता करता है हम भारत जैसे विविधतापूर्ण देश को एक साथ रख सकते हैं। जहां पूर्व में लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम में लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में लोग शायद गोरे जैसे दिखते हैं और दक्षिण में लोग अफ़्रीकी जैसे दिखते हैं।”

इस बयान के बाद बीजेपी को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। बीजेपी ने पित्रोदा की ‘नस्ली’ टिप्पणियों को लेकर उनके साथ ही कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति करार दे दिया। विवाद बढ़ते देख कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से खुद को किनारे कर लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि रंगभेद वाले बयान पर विवाद के बाद सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (Indian Overseas Congress) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. यह जानकारी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम (Jairam Ramesh) रमेश ने दी. उन्होंने X पर लिखा- ‘पित्रौदा ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया।पित्रोदा के बयान से खुद को अलग करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि सैम पित्रोदा की ओर से भारत की विविधताओं को जो उपमाएं दी गई हैं, वह गलत और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है।
खास बात ये है कि यदि चुनाव काल नहीं होता तो शायद मोदी इतने बिफरे नहीं होते ना ही इसे प्रचार का मुद्दा बनाते तथा कांग्रेस और अन्य घटक दल भी इतनी जल्दी इस बयान से किनारा ना करते ।यह समय काल का ही दोष है जिसके कारण सैम पित्रोदा को इस्तीफा देने बाध्य होना पड़ा है।सैम ने जो कुछ कहा वह भौगोलिक सत्य है उत्तर पश्चिम में अरेबियन उत्तर पूर्व में चीनी, मंचूरियन तथा दक्षिण भूभाग जो पहले अफ्रीका से जुड़ा था वहां की नस्ल यकीनन जो आज भी जारवा अंडमान निकोबार में मौजूद है शेष लंबे अंतराल के बाद बहुत कुछ बदल गए।यह सत्य है कि भारत में विभिन्न प्रजातियों का समागम मौजूद है सिर्फ ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों तथा सघन वन प्रदेशों में जो आदिवासी हैं वही शुद्ध रक्त धारी हैं बाकी सबों में मिलावटी रक्त बह रहा है। इसलिए यह नस्ली टिप्पणी नहीं हकीकत है।यही हमारा हिंदुस्तान है। विविधताओं में एकता का संदेश देते हुए।अफ़सोसनाक तो यह है कि इस असलियत की पैरवी करने के बजाय इसे राष्ट की विभाजनकारी बात कहना उचित नहीं है।यह अनर्गल प्रलाप नहीं हकीकत है सिर्फ समयानुकूल नहीं है।आमजन को इस असलियत से कब तक दूर रखा जा सकता है।

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