विष्णु नागर
प्रधानमंत्री जी, आप रोज खबरों में छाये रहने के लिए चकरघिन्नी की तरह इधर से उधर, उधर से इधर घूमते ही रहते हो, देश की जनता का करोड़ों रुपया रोज फूंकते रहते हो मगर- एक बार- केवल एक बार- आपसे मणिपुर नहीं जाया गया! मणिपुर के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री ने दिल्ली से शुभकामना संदेश भेजने की कृपा की, यह तो अच्छा किया। न भी करते तो वहां के लोगों को इससे अंतर नहीं पड़ता। उन्होंने प्रधानमंत्री के संदेश का नोटिस तक नहीं लिया। मणिपुर आजकल वैसे विकास के लिए बिल्कुल चर्चित नहीं है, फिर भी भारत के विकास में इस राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रधानमंत्री जी ने रेखांकित किया, अच्छा किया। इससे सटीक बात वह और कह भी क्या सकते थे? इसे भी वहां के लोगों ने इग्नोर किया, अच्छा किया। पिछले छह साल में प्रधानमंत्री जी ने एक बार भी मणिपुर जाने का कष्ट नहीं किया, यह भी कौन जाने, उन्होंने अच्छा ही किया हो!
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वैसे प्रधानमंत्री जी, आप रोज खबरों में छाये रहने के लिए चकरघिन्नी की तरह इधर से उधर, उधर से इधर घूमते ही रहते हो, देश की जनता का करोड़ों रुपया रोज फूंकते रहते हो मगर- एक बार- केवल एक बार- आपसे मणिपुर नहीं जाया गया! माननीय जी, मणिपुर, भारत का दुश्मन देश नहीं है, भारत का ही एक राज्य है। प्रधानमंत्री को इस राज्य की भी फिक्र रहती है, इसका नकली प्रदर्शन करने ही वहां चले जाते मगर आपसे यह नहीं हुआ!
वहां विकास हुआ है, यह आपने ही कहा है न, तो इसकी हकीकत देखने और हमें दिखाने वहां चले जाते! इस बहाने हमें भी तो इस जीवन में कम से कम एक बार आपके ‘मन की बात’ सुनने का सुनहरा अवसर मिल जाता मगर हमें इतनी सी खुशी देना भी आपको मंजूर नहीं हुआ! आप 73 देशों में 84 बार से अधिक जा चुके हो और 85 वीं बार जल्दी ही जानेवाले हो। मणिपुर को पचहत्तरवां देश समझकर ही वहां चले जाते मगर आपसे यह नहीं हुआ!
सब कह- कह कर हार गए, शर्मिंदा करनेवाले शर्मिंदा कर – करके थक गए मगर छप्पन इंची वहां नहीं गए तो नहीं ही गए! लगता है कि मणिपुर के लोगों से डर हुए हैं। जिसका पता नहीं कितने इंच का सीना है (खुदा करे कभी 56 इंची न हो), वह राहुल गांधी इस बीच दो -दो बार वहां जा चुके हैं। उनसे मैदान मारने के लिए ही मोदी जी, आप वहां चले जाते पर आपसे इतना सा भी नहीं हुआ और आप देश के प्रधानमंत्री हो! घूम-घूम कर आपने पूरी पृथ्वी रौंद डाली। अमेरिका और चीन आदि को तो न जाने कितनी बार आप रौंद चुके हो, मणिपुर, अमेरिका जितना दूर नहीं है, इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस जितना दूर भी नहीं है और सबसे बड़ी बात है, वह देश का अभिन्न अंग है, आप वहां जा सकते थे। आप असम गए, त्रिपुरा गए, अरुणाचल गए। मिजोरम से तो सटा हुआ है मणिपुर मगर वहां नहीं गए! वहां भी महोदय, बीजेपी की ही सरकार है मगर आप नहीं गए! मुख्यमंत्री से वहां पूछा जाता है, प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं आते, उस बेचारे के पास इसका कोई जवाब नहीं है। उस पर दया करने ही वहां चले जाते मगर नहीं गए! उसके कंधे पर हाथ रख कर फोटो खिंचवा आते! विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देने वहां चले जाते! ज्यादा डर लगता है तो मणिपुर में कर्फ्यू लगवाकर चले जाते! भारत की थल और वायु सेना के सभी सैनिकों को वहां कुछ घंटे के लिए तैनात करवा देते और फिर चले जाते! इंटरनेट बंद करवा कर, गुपचुप मुंह अंधेरे में वहां चले जाते! मणिपुर की पवित्र भूमि को एयरपोर्ट पर छूकर, हवा में हाथ हिलाने का फोटो खिंचवाकर, वीडियो बनवाकर वापस आ जाते! मत मिलते वहां किसी मनुष्य से, पहाड़ों और बादलों से मिलकर आ जाते, उनके संग सेल्फी ले आते। रिकार्ड में यह दर्ज तो हो जाता कि देश का प्रधानमंत्री मई, 2023 के बाद भी मणिपुर गए थे!
याद है, पाकिस्तान तो आप बिना बुलाए चले गए थे, मणिपुर तो आपको बार- बार बुला रहा है, चले जाते! जहां जाते हो, अपनी उपलब्धियों का ढोल बजा आते हो, वहां भी अपना ढोल बजा आते! कौन रोकता आपको! वहां भी जोरदार तालियां बजें, इसका दिल्ली से पक्का प्रबंध करके जाते मगर जाते तो! मुसलमानों के विरुद्ध हिंदू- ईसाई एकजुटता का अभियान चलाने उधर दक्षिण में आप केरल तक चले जाते हो, इधर मणिपुर तक भी तो यह जहर फैलाने जा सकते थे मगर नहीं गए। मणिपुर में शांति स्थापित करना आप नहीं चाहते, यह देश जानता है इसके बावजूद आप कश्मीर जाते हो न, अखंड भारत का राग अलापते हो न, तो मणिपुर भी चले जाते। वहां जाने से आपका कुछ नहीं बिगड़ता! फर्जी सा कोई आर्थिक पैकेज दे आते! मणिपुर फिलीस्तीन नहीं है महोदय, गाजा पट्टी नहीं है, इसलिए इस्राइल की नाराज़गी का खतरा नहीं था, इसलिए निश्चिंत होकर आप वहां जा सकते थे। ट्रंप आपसे नाराज़ है मगर आपके मणिपुर जाने से अधिक नाराज़ हो जाते, इसका कोई डर नहीं है, इसलिए आप चले जाते! आपने पिछले दिनों बताया था कि आपकी रिस्क टेकिंग कैपैसिटी बहुत है,उसका अभी ढंग से इस्तेमाल नहीं हुआ है, उसका भरपूर उपयोग करने मणिपुर हो आते! आपको दुनिया में डंका बजवाने का बहुत शौक है, डंका बजवाने वहां भी चले जाते! बेचारे अमित शाह को तो आपने भेज दिया, वह सुरक्षित आ गए, खुद भी चले जाते! पहले लोग कहते थे हमारा प्रधानमंत्री मणिपुर पर कुछ नहीं बोलता,फिर आपने मजबूरी में तीन बार बोलकर दिखा दिया न,अब एक बार जाकर भी दिखा दो! सवा दो सौ से अधिक मणिपुरियों की जानें जा चुकी हैं, औरतों को नंगा करके उनकी परेड वहां कराई जा चुकी है, दो मीठे बोल,बोलने ही वहां चले जाते! साठ हजार से अधिक मैतेई और कुकी मौत के डर के मारे तंबुओं में पड़े हैं, उन्हें एक नजर देखकर आ जाते। कोई तीखा बोलता तो सिर झुकाकर उसकी दो बातें सुन लेते! आग लगाने तो चले जाते हो,एक बार आग बुझाने भी चले जाते! थोड़ा बदल कर दिखा देते, मणिपुर चले जाते! अरे एक ही बार कुछ घंटे के लिए ही तो जाना था और फिर दिल्ली लौट आना था, इंफाल में रुकना नहीं था, उसे न्यूयॉर्क या पेरिस या लंदन नहीं समझना था, वहां किसी तंबू में नहीं सोना था, लौट आना था, चले जाते!हम इतना कह रहे हैं, हमारी एक बात तो मानकर दिखा देते, मणिपुर चले जाते!
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