अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बीजेपी की ओर से सीएम पद के लिये सौरभ गांगुली बेहतर विकल्‍प….दीदी VS दादा की दावेदारी में होगा दम

Share

विजया पाठक,  एडिटर जगत विजन*
  पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक सरगर्मियां दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। राज्‍य की सत्‍तासीन पार्टी तृणमूल कांग्रेस जहां मुख्‍यमंत्री ममता बैनर्जी के नाम पर चुनाव मैदान में उतर चुकी है, वही भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक मुख्‍यमंत्री पद के लिए खुलकर किसी का नाम उजागर नही किया है। हालांकि दबी जुबान में ही सही बीजेपी हाईकमान ने महान क्रिकेटर सौरभ गांगुली का नाम आगे किया है। निश्चित तौर पर बीजेपी सौरभ गांगुली को सीएम पद पर प्रोजेक्‍ट करने से एक तीर से कई निशान साध सकती है। सभी जानते हैं कि बंगाल में सौरभ (दादा) का बहुत बड़ा नाम है। पूरे बंगाल में दादा की स्‍वीकार्यकर्ता है। सही मायने में ममता बैनर्जी (दीदी) को बंगाल में कोई टक्‍कर दे सकता है तो वह नाम दादा का ही है। यही वजह है कि बीजेपी ने बहुत पहले से दादा के नाम की इच्‍छा जाहिर कर दी थी। पार्टी हाईकमान की पूरी इच्‍छा है कि दादा के नाम से ही चुनाव लड़ा जाए। मौजूदा हालातों को देखते हुए भी लग रहा है कि बहुत जल्‍द सौरभ दादा सक्रिय रूप से बीजेपी की ओर चुनाव मैदान में उतरेंगे।
दूसरी ओर देखा जाए तो प्रदेश बीजेपी में भी सौरभ गांगुली का नाम स्‍वीकार्य होगा। क्‍योंकि अंदेशा लगाए जा रहे हैं कि सौरभ के अलावा यदि किसी अन्‍य चेहरे को उजागर किया जाता है तो पार्टी के भीतर गुटबाजी या नाराजगी हावी हो सकती है। फिलहाल बीजेपी में ऐसे कई चेहरे हैं जो सीएम पद के दावेदार हैं, जिसमें पहला नाम मुकुल राय का है। इनके अलावा शुभेन्‍दु अधिकारी, प्रदेश बीजेपी अध्‍यक्ष दिलीप घोष भी हैं। लेकिन इनमें से किसी का नाम प्रोजेक्‍ट किया जाता है तो पार्टी के भीतर असंतोष पनप सकता है। जैसे मुकुल  दा का नाम आगे किया जाता है तो संदेश जाएगा कि वह टीएमसी से बीजेपी में आए हैं। और उनका नाम शारदा चिटफंट घोटाले में भी आया है। वही शुभेन्‍दु अधिकारी का भी विरोध हो सकता है क्‍योंकि अधिकारी हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं। जो वर्षों से बीजेपी में हैं वह नेता विरोध कर सकते हैं। अब बात आती है दिलीप घोष की। दिलीप घोष बीजेपी के बड़े नेता हैं और इस चुनाव में काफी सक्रियता से लगे हुए हैं। लेकिन कहा जाता है कि गलत बयानबाजी के कारण  उनकी छवि बेहतर नही है। यही कारण है कि अंत में सबसे सटीक नाम सौरभ दादा का निकल कर आया है। हालांकि अभी भी सौरभ ने बीजेपी ज्‍वाइन नही की है लेकिन वह बहुत जल्‍द बीजेपी में शामिल होंगे। इसका इशारा हाल ही में बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कोलकाता में दिया था। पार्टी हाईकमान को लगता है कि दादा के नाम पर किसी को भी आपति नही होगी ओर उनकी पापुलर्टी का फायदा पार्टी को होगा। सौरभ दादा पापुलर होने के साथ-साथ स्‍थानीय भी हैं। हम जानते हैं कि बंगाल की राजनीति में स्‍थानीय नेता की बहुत मान्‍यता होती है। यहां की जनता जितना भरोसा और स्‍वीकार्यता स्‍थानीय नेता की करती है उतनी बाहरी की नही करती है। यह बात भी सच है कि सौरभ पूरे बंगाल में काफी लोकप्रिय हैं। बंगाल की जनता उन्‍हें माथे पर शिरोधार्य करती है। जन-मानस में उनकी छवि बहुत हट के है। जिसका ही फायदा अब बीजेपी लेना चाहती है। बीजेपी की रणनीति भी यही है कि चुनाव के ऐन वक्‍त पहले सौरभ गांगुली को सीएम पद के लिए प्रोजेक्‍ट कर चुनावी मैदान में उतारा जाए।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें