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न्याय मांगते शिवम् और आफ़ताब आलम!

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-सुसंस्कृति परिहार

कितने बेबस है आज के युवा इसका जीता जागता उदाहरण शिवम् सोनकर और आफ़ताब आलम हैं। दोनों अपने अपने राज्य में डबल इंजन सरकार से न्याय की गुहार कर रहे हैं लेकिन अभी तक दोनो की बात नहीं सुनी गई है। विदित हो शिवम् सोनकर उत्तर प्रदेश सरकार प्रमुख योगी से और आफताब आलम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से रो रो कर चीख चीख कर न्याय की गुहार कर रहे हैं। शिवम् दलित छात्र है और आफ़ताब आलम मुसलमान है। देश में आजकल इनके ख़िलाफ़ जो माहौल है उसी की सज़ा ये युवा भोग रहे हैं।

आइए पहले बिहार का रुख़ करते हैं यहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों  समाधान यात्रा पर है। जिस दिन  वे सीतामढ़ी में थे। वहां आफ़ताब आलम नाम का एक युवक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ही आत्मदाह करने की कोशिश करता है। हालांकि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया। जानकारी के अनुसार, युवक जैसे ही डीएम ऑफिस के पास पहंचा उसने आत्मदाह की कोशिश की। पुलिस ने युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि आफताब अपने भाई की हत्या के बाद न्याय के लिए गुहार लगा रहा है। जबकि पुलिस का कहना है कि उसके भाई की हादसे में मौत हुई।जानकारी के अनुसार, आफताब के भाई जहांगीर आलम की संदिग्ध परिस्थितियों में 2021 मौत हो गई थी। जहांगीर आलम की मौत के बाद परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। युवक का कहना है कि अपराधियों द्वारा उसके भाई की हत्या की गई थी, लेकिन पुलिस ने इसे एक्सीडेंट बताकर मामले को रफादफा कर दिया। आफताब और उसका परिवार, पुलिसिया जांच से असंतुष्ट है और बार-बार पुलिस के पास न्याय की गुहार लगा रहा है। केस रफ़ा दफ़ा कर दिया गया है।उस युवक को जब पुलिस ने पकड़ा वह चीख चीख कर न्याय की मांग कर रहा था।उसकी पीड़ा और दर्द का एहसास वीडियो देखकर किया जा सकता है। सवाल ये है यदि उसे और परिवार जनों कोभाई की मौत पर शक है तो उसकी पुनः जांच होनी चाहिए थी। सन् 2021से वह दर दर की ठोकरें खाता हुआ मुख्यमंत्री निवास पहुंचा। वहां भी उसे पकड़ लिया गया। मुख्यमंत्री काश उससे मिल लेते तो युवक ऐसे क्रंदन करते हुए आत्मदाह की कोशिश नहीं करता। लेकिन अल्पसंख्यक विरोधी सरकार को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ।

जानकारी के अनुसार, आफताब के भाई जहांगीर आलम की संदिग्ध परिस्थितियों में 2021 मौत हो गई थी। जहांगीर आलम की मौत के बाद परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। युवक का कहना है कि अपराधियों द्वारा उसके भाई की हत्या की गई थी, लेकिन पुलिस ने इसे एक्सीडेंट बताकर मामले को रफादफा कर दिया। आफताब और उसका परिवार, पुलिसिया जांच से असंतुष्ट है और बार-बार पुलिस के पास न्याय की गुहार लगा रहा है।

इसी तरह का एक और दुखद दलित  विरोधी मामला बीएचयू से आया है जहां से प्रधानमंत्री सांसद हैं। डबल इंजन सरकार है योगी राज है।तो भला दलित पिछड़ों का भला कैसे हो सकता है? छात्र शिवम सोनकर कहते हैं, “मेरा सपना था कि मैं बीएचयू से पीएचडी करूं। इसके लिए कड़ी मेहनत की, अच्छे नंबर लाए, फिर भी मेरा एडमिशन नहीं हुआ। दलित होने की वजह से मेरे साथ भेदभाव किया गया। मेरे साथ नाइंसाफी हुई है। मुझे न्याय चाहिए।” 

कांग्रेस नेता अजय राय बीएचयू में एक सप्ताह से धरनारत छात्र से मिलने पहुंचे और कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति के छात्र शिवम सोनकर के साथ पी.एच.डी प्रवेश प्रक्रिया में अन्याय पूर्वक व्यवहार किया जा रहा है। सामान्य श्रेणी ने द्वितीय स्थान आने के बाद यह व्यवहार अनुचित है। इन्होंने कहा कि शिवम 8 बार नेट क्वालीफाई किए है। उनके विभाग में RET EXEMPTED श्रेणी में 3 सीटें खाली होने के बावजूद 2 ही सीटें उपलब्ध हैं। इस कारण उन्हें प्रवेश प्रक्रिया से वंचित रखा जा रहा है। एक दलित छात्र को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से वंचित रखना सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। प्रसन्नता इस बात की है कि कई छात्र संगठन इस लड़ाई को अपनी लड़ाई मानकर सामने आए हैं।सांसद चन्द्र शेखर रावण ने इस मामले को संसद में रखा है।

कुल मिलाकर इस घटना से रोहित वेमुला की याद आना स्वाभाविक है जब एक छात्र को हैदराबाद सेंट्रल वि वि के अन्याय के कारण अपनी जान देना पड़ी थी।आज भी युवा नहीं चेते तो दलित,पिछड़े और अल्पसंख्यकों का हश्र बुरा होने वाला है।इस न्याय की लड़ाई में इनका साथ दें और उनकी आवाज़ बुलंद करें।न्याय-व्यवस्था जब पंगु हो चुकी हो तब इस न्याय को मुहैया कराना हमारा दायित्व होना चाहिए।

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