(बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कृति का भाषिक रूपांतर)
पुष्पा गुप्ता
“यदि शार्क मनुष्य हो जाएं तो क्या वे छोटी मछलियों से भला व्यवहार करेंगी?”
श्रीयुत के. की मकानमालकिन की छोटी पुत्री ने उनसे पूछा।
‘अवश्य’, उसने उत्तर दिया, यदि शार्क मनुष्य हो जाएं तो वे छोटी मछलियों के लिए मजबूत बक्से बनवा देंगी।
उन बक्सों में वे सब प्रकार के भोजन तथा पौधे और नन्हें जानवर रख देंगी। वे इस बात का बराबर ध्यान रखेंगी कि बक्सों को ताजा पानी मिलता रहे तथा मछलियों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रबन्ध बने रहें।
उदाहरण के लिए, यदि कोई छोटी मछली अपना पंख घायल कर ले तो उसकी तुरन्त मरहम पट्टी की जाएगी ताकि यह समय से पूर्व मरकर शार्कों के लिए असुविधा का कारण न बने। छोटी मछलियां कभी उदास न हों, इसलिए समय-समय पर विशाल जलसे और भोज होंगे क्योकि प्रसन्न मछलियां उदास मछलियों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होती हैं।
उन विशाल बक्सों में मदरसे भी अवश्य ही होंगे। वहाँ छोटी मछलियां तैरते हुए शार्कों के मुँह में प्रवेश कर जाने की शिक्षा लेंगी। उदाहरण के लिए, उन्हें शिक्षा में भूगोल की आवश्यकता भी पडेगी ताकि वे आस-पास विश्राम करती हुई शार्कों को जब ज़रूरी हो खोज सके।
स्वाभाविक रूप से शिक्षा का मुख्य विषय छोटी मछलियों को नैतिक पाठ होगा। उन्हें सिखाया जाएगा कि सबसे शानदार और सबसे सुन्दर बात यह है कि छोटी मछली बाखुशी अर्पित कर दे, तथा यह कि उन्हें सदैव शार्कों पर विश्वास करना चाहिए-सबसे अधिक उस वक्त जब शार्क यह कहें कि वे उनके लिए सुनहले भविष्य का निर्माण करेंगी।
छोटी छलियों को जब यह बताया जाएगा कि यह सुनहला भविष्य तभी सुनिश्चित होगा जब वे अनुशासन और आज्ञाकारिता सीखे। उन्हें सभी तामसिक, भौतिक और मार्क्सवादी प्रवृत्तियों से बचना होगा और उनमें से कोई भी इन प्रवृत्तियों की तरफ जाने का संकेत देती हो तो तुरन्त उन्हें शार्कों को सूचित करना होगा। …..
यदि शार्क मनुष्य हो जाएं तो फिर समुद्र तल में कला भी ज़रूर मौजूद होगी। दमदमाते रंगों में शार्कों के दांतों के खूबसूरत चित्र होंगे, उनके मुँह और कण्ठ के चित्र खेल मैदानों जैसे होंगे, जहाँ लुढका जा सके, खेला जा सके।
समुद्रतल पर नाट्य ग्रहों में नाटक दिखाए जाएंगे जिनमें बहादुर छोटी मछलियों को सोत्साह शार्कों के गलों में तैर कर उतरते हुए दिखाया जाएगा तथा संगीत इतना मादक-मधुर होगा कि उनके स्वर छोटी मछलियों को गिरिजा घरों के स्वप्न में ले जाएंगे और अत्यन्त उल्लासपूर्ण विचारों से भरी हुई वे शार्कों के गले में उतर जाएंगी।
धर्मं भी अवश्य होगा…। यह उन्हें सिखाएगा कि सच्चा जीवन शार्कों के उदर से ही आरम्भ होता है और यदि शार्क मनुष्य हो जाएं तो छोटी मछलियों आज की तरह समान नहीं रहेगी, उनमें से कुछ को पद देकर दूसरों से ऊपर कर दिया जाएगा।
कुछ बड़ी मछलियों को छोटी मछलियों को खाने तक की इजाज़त दे दी जाएगी। यह शार्कों के लिए आनन्ददायक होगा क्योंकि फिर उन्हें निगलने के लिए बड़े ग्रास मिलेंगे और छोटी मछलियों से से सबसे महत्वपूर्ग जिनके पास पद होगे, वे छोटी मछलियों को व्यवस्थित करेंगी।
वे शिक्षक, अधिकारी, बक्से बनाने वाली इंजीनियर आदि बनेंगी। संक्षेप में, समुद्र में संस्कृति तभी होगी जब शार्क मनुष्य के रूप में हो।