अग्नि आलोक
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लघु~कहानी : परम् सिद्धि*

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जूली सचदेवा

मोहल्ले का लड़का है। उसे बचपन से देख रहा हूं। इधर वह मुझे कम दिखने लगा है। पहले अक्सर भेंट हो जाया करती थी।
कभी वह किताबों के साथ दिखता,तो कभी किसी नौकरी के आवेदन पत्र के साथ। याद है मुझे पिछली बार जब मिला था,उसके साथ उसके कई मित्र भी थे।
आज घर से निकलते ही अचानक उससे भेंट हो गई।
‘और!’
‘ठीक है भैया!’
‘क्या कर रहे हो आजकल!’
‘सोशल एक्टिविस्ट हूं भैया!’
‘अरे वाह!’
‘थैंक्यू भैया!’
‘क्या नाम है एन जी ओ का!’
‘एन जी ओ नहीं है भैया! एन जी ओ वाले चोर और राष्ट्रविरोधी होते हैं भैया’
‘फिर!’
‘संगठन है!’
‘अरे कोई नाम तो होगा!’
‘है न भैया!’
‘नाम बताओगे !’
‘क्यों नहीं बताएंगे भैया!’
‘फिर बताओ प्रभु!’
‘पूर्ण सामाजिक जागरण मंच भैया!’
‘किस प्रकार का काम है तुम्हारा!’
‘विरोध करने का काम है भैया!’
‘किस प्रकार का विरोध!’
‘आजकल तो फिल्म का विरोध चल रहा है भैया!’
‘फिल्म का!’
‘जी भैया!अभी उस देशद्रोही की नई फिल्म जो आई है भैया!’
‘ऑल दा बेस्ट!’
‘थैंक्यू भैया! एक बात बोले भैया!’
‘बोलो!’
‘आप आलसी बहुत हैं!’
‘सो तो है!’
‘आपको एक्टिव रहना चाहिए भैया!’
‘क्यों!’
‘अच्छे स्वास्थ के लिए भैया!’
‘फिर मुझे क्या करना चाहिए!’
‘फिलहाल तो आप हमारे साथ फिल्म का विरोध करें भैया!’
‘उसके बाद!’
‘कोई नया टॉपिक मिल जाएगा भैया!’
‘अगर न मिला तो!’
‘आप हमारी भावनाएं आहत कर रहे हैं भैया!’
‘नहीं मान लो!’
‘फिर कोई नया टॉपिक ढूंढ लेंगे भैया! टेंशन किस बात की!’
‘तुम तो बहुत बड़े हो गए हो!’
‘थैंक्यू भैया!’
‘एक बात और बोले भैया!’
‘बोलो!’
‘आप बहुत चिंतित रहते हैं भैया!इतनी चिंता नहीं करनी चाहिए भैया।’
‘ठीक कहते हो!’
‘इसलिए आप बहुत थके दिखते हो भैया!’
‘सो तो है!’
‘खलिहर रहने से अच्छा है सोशल एक्टिव रहना!’
‘तुम्हारी तरह न!’
‘जी भैया!’
‘वैसे इस पन्नी में क्या है!’
‘सेब है भैया!’
‘तो आजकल हर तरह से सेहत बनाई जा रही!’
‘पापा बीमार है भैया!’
‘ओह!सॉरी!’
‘वैद्य जी ने कहा है कि खूब फल खिलाओ इन्हें!खून बनेगा! खून की कमी बताया है भैया!’
‘इतना कम! ये तो दो ही सेब दीख रहे!’
‘पूरा पाव भर है भैया!’
‘महंगाई भी तो काफी बढ़ गई है! सरकार कुछ करती ही नहीं!’
‘नहीं भैया! सरकार का कोई दोष नहीं है भैया!’
‘फिर!’
‘हमारी आमदनी ही घट गई है भैया!’
‘भगवान तुम्हें शीघ्र स्वस्थ करें!’
‘भूल गए भैया!’
‘क्या!’
‘बीमार मैं नहीं पापा हैं भैया!’
यह कहकर वह मुझ पर हँसने लगा।
(चेतना विकास मिशन)

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