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लघुकथा- बदलाव 

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  -विवेक मेहता 

      ‘एक था राजा। एक थी रानी। उनके राज्य में चारों ओर खुशियां थी।……’- नानी अपनी पोती को कहानी सुनाती।

       ‘एक था राजा। एक थी रानी। एक राक्षस राजकुमार को उठा कर ले गया।…. लोग दुखी हो गए। राक्षस की जान एक तोते में थी। …..ने तोता को मार दिया। सब ठीक हो गया।’- नानी बनी पोती, अपनी पोती को कहानी सुनाती।

      ‘एक था राजा। एक थी रानी। उनके मंत्री ने बेईमानी की। राज्य पर अधिकार कर लिया।… उसके जुर्म से जनता दुखी हो गई।.. बनवासी राजा ने लोगों का इकट्ठा किया। फिर से राज पर अधिकार कर लिया।… जैसे उनके दिन फिरे वैसे सबके फिरे।’-पोती जब नानी बनी तो अपनी पोती को कहानी सुनाती। 

      ‘एक था राजा। एक थी रानी।… राज्य विस्तार के चक्कर में राजा ने पड़ोसी राज्य पर हमला किया।… खून की नदियां बहीं।… यह देख राजा का मन बदल गया। राजा ने राजपाट छोड़ दिया।’- पोती नानी बनकर अपनी पोती को कहानी सुनाती। 

      ‘एक था आदमी। एक थी औरत।… दोनों मेहनत करते। समाज के बीच रहते। समाज के काम आते।…’- पोती बनी नानी की कहानी कुछ इस तरह की होती। 

     ‘एक था आदमी। खुरापति। षड्यंत्रकारी। मुंह पर मीठा बोलता पर दिल का था काला। अपने लाभ के लिए समाज में वैमनस्य फैलाता।… जैसा करनी, वैसी भरनी।’ पोती बनी नानी अब कभी  कभार अपनी पोती को यों कहानी सुनाती।

      पोती जब नानी बनी तो सोशल मीडिया पर दोनों अपने फालोवर्स के बीच व्यस्त रहती। वहीं लाईक,पिन के द्वारा  उनकी मुलाकातें हो जाती।  

      हां,अभी वे एक दूसरे के रिश्ते को पहचानते जरूर थे।

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