डॉ. नीलम ज्योति
_मोनोपाज जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. इसे कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझना चाहिए._
प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और सैक्स समस्याओं के बारे में बात करना भारत में अच्छा नहीं माना जाता है. यहां मेनोपौज की अकसर उपेक्षा की जाती है. मेनोपौज एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है जो एक स्त्री के जीवन में महत्त्वपूर्ण शारीरिक व मनोवैज्ञानिक बदलाव लाती है.
_यह एक अत्यंत कठिन दौर हो सकता है और इस का अनुभव किन्हीं भी 2 स्त्रियों में एकसमान नहीं होता. अत्यंत गरमी लगना, रात में पसीना आना, योनि का सूखना, अनियमित मासिक धर्म, यौनेच्छा में कमी आना और मिजाज में चिड़चिड़ापन आना आदि मेनोपौज की अवस्था में पहुंचने के सामान्य लक्षण होते हैं._
मेनोपौज का प्रभावी उपाय संभव है. सो, यह जानना अनिवार्य है कि इस संक्रमण काल के दौरान क्या होता है और ऐसे कौन से उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं जिन को अपना कर इस से निबटा जा सकता है और इस दौर को अधिक से अधिक सहज बनाया भी जा सकता है.
*सिर्फ़ प्रजनन क्षमता का अंत*
मेनोपौज स्त्री जीवन में प्रजनन क्षमता के अंत की ओर इशारा करता है. इस को एक ऐसे समय के रूप में परिभाषित किया गया है जब एक स्त्री का मासिक धर्म पूरी तरह से रुक जाता है.
_उसी स्त्री को मेनोपौज के दौर से गुजरा हुआ माना जा सकता है जिसे पूरे 1 साल तक मासिक धर्म न हुआ हो._
मिड लाइफ हैल्थ जर्नल में दर्शाए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2026 के अंत तक भारत की विशाल जनसंख्या में करीब 10 करोड़ 30 लाख ऐसी महिलाएं होंगी जो इस दौर से गुजर चुकी होंगी.
अधिकतर स्त्रियों के जीवन में यह 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच में होता है. यदि यह 40 की आयु के पहले हो जाए तो असामयिक समझा जाता है.
*प्रीमोनोपाज की अवस्था*
मेनोपौज के संक्रमण दौर को ‘प्रीमेनोपौज’ कहा गया है. रात में पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, तनाव, उत्कंठा, चिड़चिड़ापन, मिजाज परिवर्तन, याददाश्त समस्या व एकाग्रता में कमी होना, योनि का सूखना और बारबार पेशाब लगना आदि इस के सामान्य लक्षण हैं.
_मेनोपौज के समय एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाने के कारण स्त्रियों में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. प्रीमेनोपौज जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझना चाहिए._
इसलिए यह जरूरी नहीं कि इस के लिए किसी उपचार की आवश्यकता हो ही. बहरहाल, ऐसी स्थिति में, जब प्रीमेनोपौज के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रभाव आप की दैनिक गतिविधियों में अत्यधिक व्यवधान उत्पन्न करने लगें और जीवनस्तर को भी घटा दें तब चिकित्सकीय उपचार की सहायता लेना आवश्यक हो जाता है.
*क्या हैं उपचार?*
मेनोपौज संबंधी परिस्थितियों के लिए बहुत सारे उपचार के विकल्प मौजूद हैं. इन में से हार्मोनल थैरेपी सब से कारगर रही है.
_यह वयस्क हो रही महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने के खतरे को भी कम कर देती है._
हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी या मेनोपौजल हार्मोन थैरेपी वाहिकाप्रेरक लक्षणों, जैसे कि अत्यधिक तीव्रता और योनि के सूखने हेतु सब से प्रभावी उपचार है.
यदि स्त्रियों को केवल योनि के सूखने की समस्या है तो एस्ट्रोजन की कम खुराक द्वारा उन का उपचार किया जाना चाहिए. ऐसी स्त्रियां जिन में गर्भाशय अब भी मौजूद हो, उन्हें गर्भाशय के कैंसर से बचाने के लिए प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का मिश्रण देना चाहिए.
_इस मिश्रित उपचार की अवधि हेतु सामान्यतया 5 साल या उस से कम की सलाह दी गई है और प्रत्येक स्त्री के लिए इस का उपचार अलग तरह से होना चाहिए. जिन स्त्रियों में गर्भाशय को निकाल दिया गया है उन्हें केवल एस्ट्रोजन लेने की सलाह दी जाती है._
लंबे समय तक थैरेपी लेने वाली स्त्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से केवल एस्ट्रोजन लेने की सलाह दी जाती है. बहरहाल, थैरेपी लेने से पहले उस के चिकित्सक से उस की सुरक्षा के बारे में मशविरा करना जरूरी है.
इस के अलावा अन्य प्रभावी थैरेपी में शामिल हैं तनाव विरोधी चिकित्सा, क्लोनिडाइन और गाबापेंटिन. वानस्पतिक स्रोतों की पोषक थैरेपी भी कारगर है, जोकि सोयाबीन उत्पादों, मटर, लाल लौंग और बीन्स में फाइटोएस्ट्रोजन के रूप में भी उपलब्ध है.
_स्त्रियों को हड्डियों को कमजोर होने से बचने के लिए आहार संबंधी या कैल्शियम और विटामिन डी को अनुपूरक के रूप में ग्रहण करने की सलाह भी दी जाती है. हड्डियों के विकास को स्फूर्ति प्रदान करने और अवशोषण को कम करने के लिए तो व्यायाम जरूरी है ही, साथ ही, यह हृदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है._
सार यह है कि अगर आप को सिर में अचानक ही तीव्र ऊष्मा महसूस हो जो आप के पूरे शरीर में फैल जाए या फिर आधी रात को आप अचानक ही नींद से जागते हुए खुद को पसीने से तरबतर पाएं या फिर आप का मासिक अनियमित हो जाए तो संभव है कि आप मेनोपौज से पहले के लक्षणों से गुजर रही हों.
_ऐसे में उसे चुपचाप सहने या नजरअंदाज करने के बजाय सब से महत्त्वपूर्ण यह है कि स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जल्द से जल्द संपर्क करें._
मेनोपौज से निबटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने महत्त्वपूर्ण हैं जिन में शामिल हैं संतुलित आहार और व्यायाम.
*सैक्स लाइफ पर असर नहीं*
_माना जाता है कि मेनोपौज के बाद महिलाओं में यौन संबंध बनाने की इच्छा समाप्त हो जाती है. यह पुरानी सोच है कि सारी यौन समस्याओं का कारण मेनोपौज है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं._
{चेतना विकास मिशन)