अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

कहानी विराट की !

Share

डॉ सुरेश खैरनार

कल रात को सोने के पहले मेरे मराठी भाषी लेखक मित्र दिनानाथ मनोहर की मोर की कहानी पढ़ने के बाद (1969-70) के समय की बाबा आमटे जी के श्रमिक विद्यापीठ की कल्पना वाली जगह सोमनाथ पूराने चंद्रपूर जिल्हा मूल – मारोडा के पास की ! एक कहानी फेसबुक पर पढने के बाद ! मुझे भी हमारे जीवन की लगभग 25-30 साल पहले की एक गरुड अपने ही घर में पालने वाला अनुभव याद आ गया ! तो उसे शेयर कर रहा हूँ ! (जहां के पहले श्रमसंस्कार छावणी में मै भी राष्ट्र सेवा दल शिंदखेडा के कुछ मित्रों के साथ उम्र के चौदह साल में 1967 में शामिल था ! )

          शायद आजसे 25 – 30 साल पहले की बात है ! मैडम खैरनार कलकत्ता के फोर्ट विल्यम सेंट्रल स्कूल की प्राचार्या थी ! और उन्हें फोर्ट विल्यम किले (अंग्रेजी राज की निंव जहाँ से डालीं गई वह जगह ! 1756 में शिराजउद्दोला के प्लासी के हार के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनाया हुआ पहला किला ! हूगली नदी के किनारे पर बना हुआ है ! जो आजकल हमारे देश की सेना का इस्टर्न कमांड का मुख्यालय है ! और सेना के जवानों के बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाया गया सेंट्रल स्कूल है ! ) तो उस किले के पस्चिम दिशा के गेट का नाम है ! सेंट जॉर्ज गेट उसके ऊपर हम लोगों को कम-से-कम पांच हजार स्क्वेअर फिट का कार्पेट एरिया रहने के लिए ! और सामने मतलब किले की दिवार के उपर के हिस्से में ! मतलब अंग्रेजों की सुरक्षा के हिसाब से किला बनाने की योजना ! और कमाल की बात यह किला तैयार होने के बाद इसे कभी भी लडाई का सामना करने की आवश्यकता नहीं हुई ! पंद्रह हजार स्क्वेअर फिट का गार्डन ! निचे के हिस्से में सर्वंट क्वार्टर और गॅरेज ( हालांकि लॅंब्रेटा स्कूटर छोड़कर और मेरी हरक्यूलस कंपनी की वर्धा से 1981 में खरीद कर सामान के साथ लाई हुई साईकल और बच्चों के दो स्पोर्ट्स साईकिल छोड़ कर अन्य कोई वाहन नही था ! )

              कोई भी मेहमान आने के बाद उस तामझाम को देखते हुए ! अचंभित होकर देखते ही रहते थे ! अनायास ही प्रोफेसर मधू दंडवतेजी की जन्मशताब्दी के कारण याद आ रही है ! वह भी कलकत्ता 1994-95 में शायद योजना आयोग के उपाध्यक्ष के हैसियत से आए होंगे ! तो हमारे यहां खाने पर आऐ ! तो घर और समस्त कॅम्पस को देखते हुए ! “बोले कि सुरेश शायद मेरे दिल्ली के क्वार्टर से भी तुम्हारे घर की साईज बड़ी है !” मैंने उन्हें कहा कि “नाना यह अंग्रेजी सल्तनत के भारत पर राज करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया है ! और हमारे देसी लोगों को इसे देखते हुए कुंठा का बोध कराने के लिए ही ! ऐसे विशालकाय भवन आपके राष्ट्रपति भवन से लेकर तीन मूर्ति जैसे इमारतों को बनाए है ! और यह सेना के ब्रिगेडियर के स्तर के अधिकारियों के लिए एलॉट मकान है ! गलती से मैडम खैरनार को एलॉट हुआ है ! 

               छत कम-से-कम तीस फिट की उंचाईपर ! और हर कमरे में चौकोनी आकार के रोशनदान बने हुए ! सोते समय उपर देखने से शुरु – शुरू में हमे अपनी क्षुद्रता का एहसास होता था ! दरवाजे अंदमान के टिकवुड के कम-से-कम दस फिट उंचे ! ऐसे 26 दरवाजे और उतनी ही खिड़कियों के ! और बाथरूम आज हमारे घर के सोने के कमरे का साईजके थे ! और काफी दिनों तक उस घर में रहने के बाद थोड़ा घरेलू पन लगा ! लेकिन शुरू में तो बडा अटपटा लगता रहा ! 

      हमारे आवश्यकता से अधिक आकार वाले घर में जीवन मे पहली बार ! और अब आखरी बोलना चाहिए ! रहते हुए  उस विशाल घर के सामने काफी पुराना निम का पेड़ था ! और गार्डन के बीचोंबीच एक ताडवृक्ष था ! गार्डन मे मैने अपने आदत के अनुसार घर की आवश्यकता वाली सभी सब्जियों की खेती शुरू कर दी थी ! और सौ से अधिक केले तथा कुछ पपीता कटहल और आम के पेड़ भी लगा दिए थे ! और मछलियों के लिए एक पॉंड भी बनवाया था ! जिसमें कुछ मछली के बीजों को डाल दिया था ! एक सेना के अफसर इतना बडा मकान देखने के बाद सेना के पशुपालन विभाग में थे ! जिसे आर व्ही सी बोलते है ! के कर्नल साहब ने एक अल्सेसियन हंटर डॉगी का पिल्ला जबरदस्ती से लाकर रख दिया ! जो बहुत ही जल्द अपनी प्रजाति की साईजमे दिखाई देने लगा ! जिसका नाम बच्चों ने शेरू रखा ! तो विशाल के आगमन और उसके भी आकार में स्वाभाविक रूप में आने के बाद ! काफी दिनों तक हमे चिंता रहती थी ! “कि कहीं शेरू अपनी हंटर जिन्स के कारण कुछ कर न दे !” लेकिन आस्चर्य की बात शेरू बैठा हुआ, या पसरा हुआ रहते हुए, विराट उसके उपर चढने से लेकर कभी-कभी चोच से हल्का सा पूछ या कानों को पकडने के बावजूद ! शेरू ने कभी भी विराट को काटने की बात तो बहुत ही दूर की है ! लेकिन भोंकता तक नहीं था ! उस समय आजके जैसे मोबाईल फोन और फोटो निकालने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी ! कभी-कभी कोई ट्रडिशनल कैमरे वालों ने निकाले है ! वह भी बहुत सारे नष्ट हो गए !

 

        एक शाम बहुत ही जोर से तुफान के साथ बारिश होते रही ! तो सबेरे अपनी आदत के अनुसार गार्डन में टहलते – टहलते ताडवृक्ष के निचे एक अजीबो-गरीब छोटे पक्षी का चूजा पड़ा हुआ दिखाई दिया ! और पेडसे काफी उंचाईपर से ! निचे गिरने की वजह से वह जख्मी हो गया था ! तो मैं उसे हल्के हाथों से घर में लेकर आया ! तो बच्चे और मैडम सुबह स्कूल जाने की जल्दबाजी में थे ! और मैडम का मधू नाम का प्यून उनकी फाईल्स तथा अन्य सामान लेने के लिए आया हुआ था ! तो मैंने उसे पुछा की यह चूजा किस पक्षियों में से हो सकता है ? मधू तपाकसे बोला “कि सर यह ईगल है !” मुझे रत्तीभर का विश्वास नहीं हुआ ! क्योंकि बहुत ही विद्रुप लेकिन हल्का भूरेऔर काले रंग का था ! मधू को कहा कि इसे क्या करें ? तो वह बोला कि बाहर छोडने से कुत्ते या बिल्लियों के खाने की संभावना है इसे फिलहाल घर में ही रखना चाहिए ! फिर मैंने कहा कि इसे क्या खिलाना – पीलाना चाहिए ? तो उसने कहा कि फिलहाल तो दूध ! तो मैंने कहा कि कैसे ? तो उसने खुद एक कटोरा लेकर किचन से दूध लिया ! और कपास का फाया लेकर उसकी चोच खोल – खोलकर खुद दुध पिलाया ! यह सिलसिला एकाध हप्ताह चला होगा ! तो उसके नए पंखों से लगने लगा कि ईगलही है ! फिर मधूनेही कहा कि अब इसे अंडा उबाल कर देना चाहिए ! तो रोज अंडेकी खुराक शुरू की गई ! और एक महिना भी नहीं हुआ होगा बच्चों ने उसका नाम विराट रखा था ! तो विराट अपनी प्रजाति की नॉर्मल साईजमे आ गया था ! हमारे उस क्वार्टर में दो हॉल थे (शायद साहब लोगों के बॉल डांस के लिए या बिलियर्ड खेल के लिए बनाएं होंगे ! ) कम-से-कम हजार फिट की साईजके ! विशाल उनके बीचोंबीच में खड़े रहते हुए पंख फैलाने के बाद ! दोनों पंख फैलकर आमने-सामने की दिवारों को छूते थे ! तो घर बड़ा था ! वह घरभर भटकता रहता था ! और सोने के समय रात में बच्चों के बेडपर पैरों के तरफसे ! अपने चोच को उनके पैरों के बीच गडाकर पसरजाता था ! और नैसर्गिक विधी के समय गर्दन निचे करते हुए ! पुछ वाले हिस्से को नब्बे डिग्री में उपर करते हुए ! मशीन के स्प्रे पंप की गति से विधि द्वारा हमारे दिवारें रंगते रहता था ! और हम साबुन के और डेटॉल के पानी से पोछते रहते थे ! और कभी-कभी शेरू के उपर भी चढ जाता था ! लेकिन शेरू ने नही उसे काटने की कोशिश की और नही भोंकने की ! काश आज के जैसे मोबाईल फोन होता तो कितने प्रकार के फोटो निकाले गए होते ? 

      वह अमूमन कभी भी अकेले नहीं रहता था ! हम जहां भी बैठ कर या फिर किसी से बैठक के कमरे में बैठे हुए रहते थे तो ! वह वहां पर आकर पहले सोफे पर और वहीसे मेरे कंधे पर चढकर अपनी चोच से कान को पकडकर नटखट करते रहता था ! लेकिन कभी भी चोच से कोई जख्म करने की याद नहीं है !

        एक दिन एक एअरफोर्स के अफसर मिलने आए थे ! और हम बैठक के हॉल में बैठ कर बातचीत कर रहे थे ! उतने में वीराट मेरे बगल में आकर हमेशा के जैसे सोफे पर और फिर मेरे कंधे पर ! आकर बैठ गया ! और यह नजारा देखने के बाद ! एअरफोर्स अफसर अपने सोफे से घबरा कर उछलकर ! खड़े – खड़े ही अंग्रेजी में बोले “कि दिस इज नॉट डोमेस्टिक बर्ड ! धिस ईज वाईल्ड बर्ड ! आई वॉज सॉ अ पिक्चर अॉफ महाराजा रणजित सिंह अलॉंग वुइथ धिस बर्ड बट महाराजा ऑलवेज वेअर अ सम लेदर कव्हर अॉन हिज हॅन्ड !” फिर हमने उन्हें वह हमारे घर में कैसे आया ? यह कहानी बतायी ! और तब कहीं वह सेटल हूए ! लेकिन जाते-जाते फिर बोलते गए ! ” कि मेरे लिए आप के घर में देखा हुआ यह नजारा जीवन भर याद रहेगा !”

         इस तरह पांच छ महिने विराट रोज अंडे खाकर अपने नॉर्मल साईजमे आ गया था ! तो बच्चों को लगा कि इसे उडना आता है क्या देखा जाए ! तो वह उसे अंडा लेकर हमारे घर की कंपाउंड वॉल पर ले गए ! और उसने अंडा खाने के बाद बच्चों ने उसे अपने ढंग से कमांड दिया ! कि “जंप – जंप” तो वह हमारे अपने ही आंगन में पुराने निम के पेडपर उडकर चढा ! तो बच्चों ने उसे और उकसाने के बाद वह बगल में ही बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था उसपर उडकर गया ! और उस के बाद सिधा आसमान में !

         बच्चों ने रोज कंपाउंड वॉलपर अंडे रखें ! और आकाश की तरफ देख कर कोई भी उडता हुआ पक्षी देखते हुए ! विराट – विराट चिल्लाते रहे ! लेकिन मैंने कहा कि ” वह अपने बिरादरी में शामिल हो गया है ! और यह एक ना एक दिन होना ही था ! जो आपके कारणों से जल्द ही हो गया !”

   डॉ सुरेश खैरनार 26 मार्च 2023, नागपुर

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें