मुनेश त्यागी
पढ़ो कि नर्क सी जिंदगी मिटा सको
पढ़ो कि अन्याय का वजूद मिटा सको
पढ़ो कि भेदभाव के राज मिटा सको
पढ़ो कि जुल्म का राज मिटा सको।
पढो कि लूट के राज जान सको
पढ़ो की लूट का राज मिटा सको
पढ़ो कि गिर जाए तो उठा सको
पढ़ो कि गिरे हुए को उठा सको।
पढ़ो कि ज़ुल्म की रीत मिटा सको
पढ़ो कि रण की प्रीत निभा सको
पढ़ो कि अमन के गीत गा सको
पढो कि क्रांति के गीत गा सको।
पढ़ो कि लड़ाई से ही प्रीत हो
पढ़ो कि पढ़ाई हमारी मीत हो
पढ़ो कि जुल्म से लड़ाई की जीत हो
पढ़ो कि देश पर मिटना हमारी रीत हो।
पढ़ो कि जुल्म की किताब पढ़ सको
पढ़ो कि जुल्मों सितम से लड़ सको
पढ़ो कि हकों की खातिर अड सको
पढ़ो कि मुक्ति का मार्ग गढ़ सको।