~> शिफ़ा खान, फ़ेसमॉडल
हम सभी मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में अक्सर बातें किया करते हैं, पर अक्सर भावनात्मक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। आपको बताएं की भावनात्मक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी सभी को होनी चाहिए। आपकी भावनाएं मानसिक तथा शारीरिक परेशानी का कारण बनती हैं।
बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी भावनाओं को लेकर खुलकर बात नहीं कर पाते और अपने अंदर की भावनाओं को छिपाते हैं।
भावनाओं को लंबे समय तक दबा कर रखना आपकी मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है। जो लोग आज भी भावनात्मक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं हैं और वे अक्सर अपनी भावनाओं को स्वयं नहीं समझ पाते, इसलिए उन्हें अधिक परेशानी होती है।
*क्या है भावनात्मक स्वास्थ्य?*
भावनात्मक स्वास्थ्य इस बारे में है कि हम कैसे सोचते हैं और महसूस करते हैं।
यह हमारी खुदके स्वास्थ्य की स्थिति, जीवन की घटनाओं से निपटने की हमारी क्षमता और हम अपनी भावनाओं के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं को कैसे स्वीकार करते हैं, इसे दर्शाता है।
*क्या है भावनाओं को दबाना?*
भावनात्मक दमन यानी की इमोशनल सप्रेशन जानबूझकर भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचने या उन्हें बाधित करने का कार्य है, भले ही वे परेशान करने वाली भावनाएं क्यों न हों।
बहुत से लोग कई ऐसी भावनाएं हैं, जिससे बचने की कोशिश करते हैं, और बचाव के चक्कर में उन्हें अपने अंदर दफन कर लेते हैं। इस स्थिति में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनो पर नकारात्मक असर पड़ता है।
ये हैं भावनाओं को दबाकर रखने से शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक असर :
*1. हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा :*
भावनाओं को दबाकर रखने से हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और यहां तक कि स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। भावनाओं को व्यक्ति तब दबाता है जब वे नकारात्मक होती हैं, ऐसे में तनाव का स्तर बढ़ता है। स्ट्रेस हार्मोन का लगातार स्राव हृदय और संचार प्रणाली पर अत्यधिक दबाव डाल सकता है। हृदय संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए भावनाओं को खुलकर व्यक्त करना जरूरी है।
*2. नींद में गड़बड़ी :*
भावनाओं को दबाकर रखना चिंता और बेचैनी का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप सोने या सोते रहने कठिनाई होती है, जो बदले में संज्ञानात्मक कार्य और शारीरिक रिकवरी को प्रभावित करता है। एक उचित गुणवत्ता की नींद प्राप्त करना आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, ये तो आप सभी जानते होंगे। नींद आपके शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।
*3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स :*
आंत और मानसिक स्वास्थ्य आपसे में जुड़े होते हैं, जब तनाव बढ़ता है तो पाचन संबंधी समस्याएं भी बढ़ती हैं। भावनाओं को दबाने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोस बढ़ते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप अक्सर पाचन संबंधी समस्याएं जैसे सूजन और ब्लोटिंग जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसके साथ ही कई बार व्यक्ति डायरिया का शिकार हो जाता है।
*4. मस्कुलोस्केलेटल स्ट्रेस :*
जब आप भावनाओं को नजरंदाज करती हैं, और इसे दबाने की कोशिश करती हैं, तो ऐसे में मानसिक तनाव बढ़ता है साथ ही साथ मांसपेशियों में भी तनाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से आपको दर्द और अकड़न महसूस हो सकता है।
*कैसे बचें?*
भावनाओं को शारीरिक स्वास्थ्य पर हावी होने से रोकने के लिए सबसे पहले अपनी भावनाओं को अपने का प्रयास करें।
यदि आप किसी बात को लेकर चिंतित है, तो अपने चिंता की भावनाओं को अपने करीबी दोस्त, पार्टनर या परिवार के किसी सदस्य के साथ शेयर करें। अपनी भावनाएं आप हमारे आराध्य डॉ. मानवश्री से शेयर कर सकती हैं. अपने अरमान पूरे भी करवा सकती हैं.
कोई भावना ज्यादा परेशान कर रही है, तो ऐसी गतिविधियों में भाग लें जिनसे आपको खुशी मिलती हो। या उस भावना से जुड़ी चीजों को समझे और उसे खत्म करने का प्रयास करें।
Add comment