अग्नि आलोक
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*सूरत लोकसभा नोटा का प्रावधान होते हुए निर्विरोध चुनाव घोषणा पूर्णतः असंवैधानिक*

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*दूसरा 4 जुन से पहले चुनाव परिणाम घोषित करना भी गैर कानूनी।*

*इस चुनाव आयोग से क्या उम्मीद की जाए कि हर दिन प्रधानमंत्री का भाषण झूठ और निर्लज्जता के नये नये किर्तिमान स्थापित कर रहा हो और चुनाव आयोग मौन साधे रखें।*

विजय दलाल

*इस चुनाव आयोग पर कैसे भरोसा किया जा सकता है कि जो ईवीएम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंट्रोड्यूस वीवीपीएटी जिसका फुल फॉर्म ही वोट वेरीफिकेशन   पेपर ऑडिट ट्रेल हो जिसका अभिप्राय और मंशा ही मशीन में पड़े अदृश्य वोट का पेपर के माध्यम से ऑडिट मतलब गणना और मिलान हो जो कि वोटर के जानने का बुनियादी और संवैधानिक अधिकार हो उसको अनावश्यक करोड़ों रूपया खर्च कर काउंटिंग के लिए परेशानी पैदा करना फिर खुद ही एक साल तक पर्ची को सम्हाल कर रखने के अपने कानून के ही विरूद्ध ऐसी पर्ची बनाना जिसकी श्याही दो – तीन माह में ही मिट जाए । 

फिर गणना और मिलान के एक के बाद एक नये बहाने बनाने के बाद तीन तरह के लोग ही चुनाव आयोग और ईवीएम पर विश्वास कर सकते हैं कि ईवीएम के द्वारा चुनाव में कोई हेराफेरी नहीं होती।

1.अति बुद्धिमान।

2.महा मुर्ख।

3.2014 के बाद पैदा हुई मोदी भक्तों की नई नस्ल ।

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