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अनंत अंबानी विवाह समारोहों से सबक लें !

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-सुसंस्कृति परिहार 

यह तो मानना ही पड़ेगा कि अपनी लूट का जितनी दिलेरी से प्रदर्शन मुकेश अंबानी ने किया और तमाम चेनलों ने जिस तरह प्री बैंडिंग समारोहों का प्रचार किया उससे वह एक राष्ट्रीय विवाह बन गया। हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पड़ौसी देशों में भी इसे उत्साह पूर्वक देखा गया। हिंदुस्तान का तो कहना ही क्या बहुत मज़े और अनुराग में डूबकर प्रत्येक चरण का भरपूर आनंद लिया।

लेकिन जैसे ही जियो ने अपने रेट बढ़ाए उनकी शादी देखने का मज़ा जाता रहा।लोगों ने सोशल मीडिया पर अनंत अंबानी के भारी भरकम शरीर का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।उस पर तरह तरह के व्यंग्य ना केवल प्रकाशन में आए बल्कि कार्टून भी ऐसे ऐसे बनाए गए कि एक अनुराग से भरपूर धारा विद्रोह में परिणत हो गई। जियो रेट बढ़ने पर आम लोगों की प्रतिक्रिया थी कि इससे शादी का खर्चा निकाला जाएगा। जो बुजुर्ग वार भोले-भाले दूल्हे राजा और उनकी संगनी को निहारते हुए सुखद अनुभूति कर रहे थे उनके तेवर भी सख्त हो गए और ठीक शादी से पहले इस परिवार को बद्दुआएं देने लगे। 

इस परिवर्तन से बीएसएनएल की ओर दौड़ शुरू हो गई क्योंकि  जियो की तर्ज़ पर अन्य कंपनियों ने अपने रेट बढ़ा दिए।मरता क्या करता घर वापसी की दौड़ शुरू हो गई है। अब देखना यह है कि इसका क्या असर होता है? सारा दारोमदार उपभोक्ताओं पर हैं।शायद इसी बहाने कारपोरेट की असलियत लोग जान लें तो देश का भला हो जाए। कैसे जियो ने नि: शुल्क के जाल में फांसा फिर 99₹से कैसे आज 799के पार पहुंच गया।99₹के फेर में कैसे एक एक रुपया लेकर उपभोक्ताओं को अरबों रुपए का चूना भी लगाया गया।फ्री गैस चूल्हे,फ्री मोबाइल भी बांटे गए इस सब लूट में खुले आम भारत सरकार भी साथ रही।

राहुल गांधी सही कहते रहे हम दो हमारे दो। मोदी शाह की बदौलत अडानी अंबानी की लूट का प्रतिफल देश झेल रहा है।ये कथित राष्ट्रीय विवाह और जियो के बढ़ते रेट का कितना तालमेल है यह तो वक्त बताएगा ही आगे गैस , पेट्रोलियम पदार्थों पर क्या गुजरती है यह अंधेरे में है।हम अंधेरे से निकलें जियो का वहिष्कार करने एकजुट हों तभी लूट में  चौतरफा कमी हो सकती है। बीएसएनएल जिसे वर्तमान सरकार ने कमज़ोर किया उसके टावरों का इस्तेमाल भी लुटेरों की कंपनियां कर रही है उसको मज़बूत करने सरकार पर दबाव बनाएं और हर क्षेत्र में कारपोरेट का वहिष्कार करें जिससे उनकी मोनोपाली ख़त्म हो।यह हम सबका राष्ट्रीय दायित्व है।

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