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जलता सवाल : कंपनी आपके कारण, आपको रायल्टी क्यों नहीं?

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दिव्यांशी मिश्रा
विषय विश्लेषण से पूर्व, आईये कुछ संबंधित शब्दों के अर्थ समझ लेते हैं.
विस्तार में जाने और बिना किसी लागत के लाभान्वित होने के लिए www.64inch.com पर विजिट करेंगे.
मजदूरी (Wages)
घंटे या अन्य इकाई के लिए अलग-अलग किया जाने वाला भुगतान मजदूरी कहलाता है। कारोबार में यदि कार्य स्थायी न हो या वह कार्य बार-बार न करना हो तो मजदूर रखे जाते हैं जिन्हें कार्य सम्पन्न होने के बाद पारिश्रमिक दे कर मुक्त कर दिया जाता है।
फिर कभी आवश्यकता पड़ने पर मजदूर रख लिया जाता है।

वेतन (Salary)
वेतन, किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है।
यह टुकड़ों में मिलने वाली मजदूरी के विपरीत है जहाँ आवधिक आधार पर भुगतान किये जाने की बजाय प्रत्येक काम, घंटे या अन्य इकाई का अलग-अलग भुगतान किया जाता है। एक कारोबार के दृष्टिकोण से वेतन को अपनी गतिविधियाँ संचालित करने के लिए मानव संसाधनों की प्राप्ति की लागत के रूप में भी देखा जा सकता है और उसके बाद इसे कार्मिक खर्च या वेतन खर्च का नाम दिया जा सकता है।
लेखांकन में वेतनों को भुगतान संबंधी (पेरोल) खातों में दर्ज किया जाता है।

भत्ते (Allowance)
भत्ता, किसी नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारी को दिया जाने वाला वह अतिरिक्त राशि है जिससे कर्मचारी को नियोक्ता के कार्य को सम्पन्न करने में उसके अपने वेतन से खर्च न हो।
मानदेय (Honoraria)
मानदेय, किसी नियोक्ता से संविदा/अनुबंध के आधार पर नियुक्त किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है।
प्रोत्साहन (Incentive)
प्रोत्साहन किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाला वह भुगतान का एक वह स्वरूप है जो कर्मचारी द्वारा अपने लक्ष्य से अधिक कार्य करने पर दिया जाता है। जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है।

सौदागर (Dealer)
डीलर, एक व्यावसायिक फर्म के लिए एक व्यक्ति या कंपनी जो उस व्यावसायिक फर्म के उत्पाद को बेचने के लिए एक निश्चित क्षेत्र के लिए नियुक्त होता है और उसके बदले फर्म के नियमानुसार लाभ प्राप्त होता है।

 *अभिकर्ता (Agent)*

एजेंट, एक व्यावसायिक फर्म के लिए एक व्यक्ति या कंपनी जो उस व्यावसायिक फर्म के उत्पाद को बेचने के लिए स्वतन्त्र क्षेत्र के लिए नियुक्त होता है और उसके बदले फर्म के नियमानुसार लाभ प्राप्त होता है।

       *विशेषाधिकार (Franchise)*

फ्रैंचाइजी, समय के एक निर्धारित अवधि के लिए एक फर्म के सफल व्यापार माडल और ब्रांड का उपयोग करने के अधिकार के लिए काम पर रखने की प्रथा है। फ्रैंचाइजर के लिए, मताधिकार ”चेन स्टोर के निर्माण के लिए एक विकल्प है“। फ्रेंचाइजर की सफलता फ्रेंचाइजी की सफलता पर निर्भर करता है।

       फ्रेंचाइजी वह या वह व्यापार में एक प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है क्योंकि एक प्रत्यक्ष कर्मचारी की तुलना में अनिवार्य रूप से एक फ्रैंचाइजी अधिक से अधिक प्रोत्साहन और वितरण के लिए है। 

दलाल (Broker)
दलाल, एक खरीददार और विक्रेता के बीच लेन-देन की व्यवस्था करता है जो एक व्यक्ति या पार्टी (ब्रोकरेज फर्म) है। सौदा सम्पन्न होने पर दलाल एक निश्चित कमीशन प्राप्त करता है।
दलाल भी एक विक्रेता के रूप में या एक खरीदार के रूप में कार्य करता है जो दलाल सौदा करने के लिए एक प्रमुख पार्टी बन जाता है।

रायल्टी, इसके स्वरूप और आप :
मनुष्य समाज व सरकार में व्यापार के प्रणाली से रायल्टी शब्द का जन्म हुआ है जो किसी व्यक्ति/संस्था के मौलिक खोज/कृति इत्यादि के प्रति उसकी रक्षा व व्यापारीकरण के लिए उसे धनराशि के रूप में भुगतान का अधिकार देता है। रायल्टी संपत्ति, पेटेंट, कापीराइट किए गए कार्य या मताधिकार (फ्रैन्चाइजी) के कानूनी मालिक को उनके द्वारा भुगतान किया जाता है जो इसका उपयोग करना चाहते हैं।
ज्यादातर मामलों में, रायल्टी संपत्ति के उपयोग के लिए मालिक की भरपाई करने के लिए दिया जाता हैं, जो कानूनी तौर पर बाध्यकारी हैं।
इस संसार में प्रत्येक जीव का अपना मौलिक कर्म-इच्छा है और वह उसी अनुसार कर्म कर रहा है। ईश्वर और पुनर्जन्म के सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार हम यह पाते हैं कि हम जो भी कर्म-इच्छा करते हैं वह हमें उस अनुसार जन्म-जन्मान्तर तक कर्म-इच्छा के परिणाम/फल के रूप में प्राप्त होता रहता है।
इस ब्रह्माण्ड में जिस प्रकार उत्प्रेरक सार्वभौम आत्मा की उपस्थिति में समस्त क्रिया का संचालन चल रहा है उसी प्रकार मानव समाज में उत्प्रेरक मुद्रा की उपस्थिति में मानव के समस्त व्यापार चल रहे हैं।
जिस प्रकार हमारे सभी कर्म-इच्छा का परिणाम/फल रायल्टी के रूप में सार्वभौम आत्मा द्वारा प्रदान किये जा रहे हैं। उसी प्रकार मानव समाज के वस्तुओं से सम्बन्धित व्यापार में भी उसके साथ किये गये कर्म के भी परिणाम/फल रायल्टी के रूप में प्राप्त होनी चाहिए। मौलिक खोज/आविष्कार के साथ रायल्टी का प्राविधान बढ़ते बौद्धिक विकास के साथ तो है ही परन्तु यदि किसी कम्पनी के उत्पाद का प्रयोग हम करते हैं तो ये उस कम्पनी के साथ किया गया हमारा कर्म भी रायल्टी के श्रेणी में आता है क्योंकि हम ही उस कम्पनी के विकास में योगदान देने वाले हैं। रायल्टी का सीधा सा अर्थ है-हमारे कर्मों का परिणाम/फल हमें मिलना चाहिए।
जिस प्रकार ईश्वर हमें जन्म-जन्मान्तर तक परिणाम/फल देता है, उसी प्रकार मनुष्य निर्मित व्यापारिक संस्थान द्वारा भी हमें उसका परिणाम/फल मिलना चाहिए।
वर्तमान समय में स्थिति यह है कि भले ही कच्चा माल (रा मैटिरियल) ईश्वर द्वारा दी गई है लेकिन उसके उपयोग का रूप मनुष्य निर्मित ही है और हम उससे किसी भी तरह बच नहीं सकते। जिधर देखो उधर मनुष्य निर्मित उत्पाद से हम घिरे हुए हैं। हमारे जीवन में बहुत सी दैनिक उपयोग की ऐसी वस्तुएँ हैं जिनके उपयोग के बिना हम बच नहीं सकते।
बहुत सी ऐसी निर्माता कम्पनी भी है जिनके उत्पाद का उपयोग हम वर्षों से करते आ रहे हैं लेकिन उनका और हमारा सम्बन्ध केवल निर्माता और उपभोक्ता का ही है जबकि हमारी वजह से ही ये कम्पनी लाभ प्राप्त कर आज तक बनी हुयी हैं, और हमें उनके साथ इतना कर्म करने के बावजूद भी हम सब को रायल्टी के रूप में कुछ भी प्राप्त नहीं होता। जबकि स्थायी ग्राहक बनाने के लिए रायल्टी देना कम्पनी के स्थायित्व को सुनिश्चित भी करता है।

 जबकि होना यह चाहिए कि कम्पनी द्वारा ग्राहक के खरीद के अलग-अलग लक्ष्य के अनुसार छूट (डिस्काउन्ट) का अलग-अलग निर्धारित प्रतिशत हो। और एक निर्धारित खरीद लक्ष्य को प्राप्त कर लेने के बाद कम्पनी द्वारा उस ग्राहक को पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए रायल्टी देनी चाहिए।
        और ऐसा नहीं है लेकिन कुछ कम्पनी ऐसी हैं जो ऐसा कर रहीं है और अनेक देशों में उनका व्यापार कम समय में तेजी से बढ़ा हैं, वहीं उनके उत्पाद भी वैश्विक गुण्वत्ता स्तर के भी हैं। 
     अपने जीवकोपार्जन के लिए शारीरिक गुलामी से चला आर्थिक स्वतन्त्रता का सफर अभी पेंशन तक ही पहुँचा है। जब हम रायल्टी तक पहुँच जायेंगे तब हम सभी सत्य आर्थिक स्वतन्त्रता के अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

रायल्टी की अर्थवत्ता :
मनुष्य समाज व सरकार में व्यापार के प्रणाली से रायल्टी शब्द का जन्म हुआ है जो किसी व्यक्ति/संस्था के मौलिक खोज/कृति इत्यादि के प्रति उसकी रक्षा व व्यापारीकरण के लिए उसे धनराशि के रूप में भुगतान का अधिकार देता है। रायल्टी संपत्ति, पेटेंट, कापीराइट किए गए कार्य या मताधिकार (फ्रैन्चाइजी) के कानूनी मालिक को उनके द्वारा भुगतान किया जाता है जो इसका उपयोग करना चाहते हैं।
ज्यादातर मामलों में, रायल्टी संपत्ति के उपयोग के लिए मालिक की भरपाई करने के लिए दिया जाता हैं, जो कानूनी तौर पर बाध्यकारी हैं।

रायल्टी के प्रकार (Types of royalties)

  1. गैर अक्षय स्रोत रायल्टी (Non-renewable resource royalties)
  2. पेटेंट रायल्टी (Patent royalties)
  3. ट्रेड मार्क रायल्टी-(Trade mark royalties-Franchises)
  4. कापीराइट (Copyright)
  5. पुस्तक प्रकाशन रायल्टी (Book publishing royalties)
  6. संगीत रायल्टी (Music royalties)
    6.1 प्रिंट अधिकार (Print rights)
    6.2 प्रिंट रायल्टी (संगीत) (Print royalties (music))
    6.3 विदेश प्रकाशन (Foreign publishing)
    6.4 यांत्रिक रायल्टी (Mechanical royalties)
    6.5 प्रदर्शन रायल्टी (Performance royalties)
    6.6 डिजीटल वितरण रायल्टी (Royalties in digital distribution)
    6.7 तुल्यकालन रायल्टी (Synchronization royalties)
  7. कला रायल्टी (Art royalties)
    7.1 पुनर्विक्रय रायल्टी (Resale royalties)
    7.2 कलाकृति रायल्टी (Artwork royalties)
  8. सॉफ्टवेयर रायल्टी (Software royalties)
  9. अन्य रायल्टी व्यवस्था-गठबंधन और भागीदारी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में तकनीकी सहायता और सेवा रायल्टी की दर से (Other royalty arrangements-Alliances and partnerships, Technical assistance and service in technology transfer)
  10. प्रयास (Approaches)
    10.1 बौद्धिक संपदा (Intellectual property)
    10.2 दर निर्धारण और निदर्शी रायल्टी-लागत दृष्टिकोण, तुलनीय बाजार दृष्टिकोण, आय दृष्टिकोण (Rate determination and illustrative royalties-Cost approach, Comparable market approach, Income approach).
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