मुनेश त्यागी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां छाप कर भारत के आर्थिक संकट की स्थिति सुधारने की बात की है। इसके लिए उन्होंने इंडोनेशिया के नोटों पर गणेश की मूर्तियां छपने की बात की है। उन्होंने इस बाबत भारत के प्रधानमंत्री को खत लिखने की बात की है और मीडिया में अपनी बात कही है।
यहीं पर मुख्य सवाल यह उठता है कि क्या नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की फोटो छापने से भारत का आर्थिक संकट दूर हो जाएगा? यह कौन सी अर्थनीति है? आर्थिक संकट सुधारने के लिए उन्होंने या उनकी पार्टी ने ऐसा कोई रिसर्च किया है? या दुनिया में अन्य देशों में ऐसी रिसर्च की गई है कि नोटों पर भगवान की देवी देवताओं की फोटो छापने से देश का आर्थिक संकट दूर हो जाएगा?
अगर ऐसा होता है तो क्या इससे गैर हिंदू धर्म के लोगों पर कोई असर नहीं होगा? मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी धर्म के लोग क्या इस हिंदू धर्म की मुहिम का स्वागत करेंगे? क्या वे भी अपने भगवानों की फोटो, नोटों पर छापने की मांग नहीं करेंगे? क्या इस सब से एक जरूरी विवाद पैदा नहीं हो जाएगा?
यहीं पर सवाल उठता है कि केजरीवाल ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या वे ऐसा जानबूझकर नहीं कर रहे हैं? वह अपना एजेंडा खुद ही सेट कर रहे हैं कि कहीं जनता उनसे सवाल न करने लगे कि केजरीवाल महोदय आप बताइए कि आर्थिक संकट दूर करने की आपकी क्या नीतियां हैं? आप भारत के एक अरब से ज्यादा गरीब किसान मजदूरों नौजवानों और छात्रों की गरीबी बीमारी भुखमरी बेरोजगारी और अमीरी गरीबी की बढ़ती खाई को कैसे दूर करेंगे? इन सब के लिए आपने किया है? कौन सी आर्थिक नीतियां बनाई और अपनायी हैं?
ठीक है दिल्ली में उन्होंने स्वास्थ्य शिक्षा बिजली पानी की समस्याओं को कुछ हद तक सुधारा है, पर भारत के स्तर पर उनकी क्या आर्थिक नीतियां हैं? इन्हें केजरीवाल बताने को तैयार नहीं हैं। आर्थिक नीतियों को लेकर केजरीवाल आज तक या उनकी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दरअसल हकीकत यह है कि केजरीवाल एनजीओ की राजनीति करते हैं और इनके लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों और पूंजीपतियों से पैसा पाते हैं। इसकी जानकारी पहले ही अखबारों में और मीडिया में छप चुकी हैं कि उन्हें कौन-कौन से एनजीओ से पैसा मिलता है।
हकीकत यह है कि ये तमाम एनजीओ चलाने वाली देशी विदेशी कंपनियां और उद्योगपति उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के समर्थक हैं। केजरीवाल खुलासा नहीं कर रहे हैं, वे इन्हीं नीतियों के समर्थक हैं। अगर वह सत्ता में आते हैं तो वह किसान विरोधी, जन विरोधी और मजदूर विरोधी इन्हीं आर्थिक नीतियों को लागू करेंगे और भारत में इन्हीं पूंजी के और मुनाफे के साम्राज्य और प्रभुत्व को बढ़ाने वाली नीतियों को लागू करेंगे। इसलिए जनता को गुमराह करने और बौखलाने के लिए अनाप-शनाप बातें कर रहे हैं। भारत के नोटों पर लक्ष्मी गणेश की फोटो छापने की बात कर रहे हैं।
क्या दुनिया के किसी भी देश में भगवानों,,,,, ईसा मसीह, मोहम्मद साहब या बुध की तस्वीरें छाप कर आर्थिक संकट को संभालने और दूर करने का कोई उदाहरण सामने आया है? कहीं से भी तो नहीं। दरअसल केजरीवाल येन केन प्रकारेण सत्ता हासिल करके पूंजीपतियों और देशी विदेशी धन्नासेठों के मुनाफों और प्रभुत्व को बढ़ाना और और बचाना चाहते हैं इसलिए जनता को गुमराह करके ऐसी छोटी, ओछी और औचित्यहीन बातें कर रहे हैं।
अभी-अभी मिली जानकारी के अनुसार इंडोनेशिया का न तो कोई राष्ट्रीय धर्म है और ना ही वहां के नोटों पर गणेश की मूर्ति छुपी हुई है। केजरीवाल द्वारा दी गई यह जानकारी भी निराधार है और झूठी है और गुमराह करने वाली है। वहां के किसी नोट पर भी गणेश की मूर्ति नहीं है बल्कि वहां के नोटों पर इंडोनेशिया के महान पुरुष और राष्ट्रीय हीरो “की हजार नियंतरा” की फोटो छपी हुई है। इस प्रकार केजरीवाल गलत सूचनाएं देकर अपनी छवि खराब कर रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं।
यहीं पर एक बेहद जरूरी गौर करने वाली बात है कि केजरीवाल आए दिन अपने भाषणों में भारत के महान क्रांतिकारी शहीदे आजम भगत सिंह का नाम लेते रहते हैं। भगत सिंह एक पक्के वैज्ञानिक समाजवादी, मार्क्सवादी और कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। उनकी एक निश्चित आर्थिक राय थी। वे निश्चित रूप से मार्क्सवादी समाजवादी नीतियों के आधार पर सरकार बनाकर समाज को चलाना चाहते थे।
वे किसानों मजदूरों की सरकार कायम करना चाहते थे और उसी के अनुसार अपनी आर्थिक नीतियां बनाना चाहते थे। यह बात स्पष्ट रूप से उनके लिखे गए सैकड़ों लेखों में प्रमाणित है मगर केजरीवाल जनता को बहका रहे हैं। वे अगर भगत सिंह को मानते हैं तो भगत सिंह की आर्थिक नीतियों को लागू करें। भगत सिंह की नीतियों आर्थिक नीतियों के आधार पर समाज का निर्माण करें और वर्तमान समाज में किसानों मजदूरों छात्रों नौजवानों और मेहनतकशों के सामने मौजूद गरीबी भुखमरी शोषण जुल्म अन्याय बेकारी और आर्थिक रूप से द्रुत गति से बढ़ रही अमीरी गरीबी की खाई को कम करें और भगत सिंह द्वारा स्वीकार की गई आर्थिक नीतियों को भारत में लागू करें।
मगर उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना है। उन्हें केवल भगत सिंह के नाम पर लोगों की सहानुभूति बटोरने का भाषण देना है और ऐसी ही लफ्फाजी करके जनता को भरमाते रहना है।उनका मकसद भगत सिंह की नीतियों को लागू करना नहीं है, भगत सिंह की समाजवादी और क्रांतिकारी नीतियों को लागू करना नहीं है। बस जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए और भगत सिंह का नाम सिर्फ रटते रहने के लिए ही भगत सिंह, भगत सिंह करना है। उनकी नीतियों को लागू करना उनका कतई उद्देश्य नहीं है।
भारत की आर्थिक स्थिति, नोटों पर लक्ष्मी गणेश की फोटो छाप कर नहीं, बल्कि किसानों, मजदूरों, मेहनतकशों, नौजवानों और छात्रों के हित में आर्थिक नीतियां बनाकर, उन्हें सस्ती शिक्षा देकर, सस्ता इलाज देकर, गरीबी दूर करके, रोजी रोटी मोहिया कराकर, उन्हें रोजगार देकर, उनकी आर्थिक स्थिति सुधार और मजबूत करके और बढ़ती अमीरी और गरीबी की खाई को कम करके ही, उनकी आर्थिक स्थिति सुधारी जा सकती है। नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति छापने की बात करना केवल एक छलावा और धोखाधड़ी है।