अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

1857 के महासंग्राम की महान विरासत हिंदू मुस्लिम एकता

Share

,ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन मेरठ

     आज ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन मेरठ ने महिला कक्ष कचहरी परिसर में 1857 के दस मई के क्रांति दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की उपलब्धियों और उनकी वर्तमान में प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के जिला उपाध्यक्ष और और इंडस्ट्रियल ला रिप्रेजेंटेटिव ऐसोसिएशन मेरठ के अध्यक्ष मुनेश त्यागी ने कहा कि 1857 का महा संग्राम एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था जिसमें भारत की आम जनता ने भागीदारी की थी। 

     उस संग्राम में किसान, मजदूर, राजा, महाराजा, सामंत, रानी, बेगम, सिपाही और आम जनता शामिल थी। यह सिपाही वार नहीं, बल्कि आम जनता का संगठित संघर्ष था जिसमें उन्होंने  संगठित होकर अंग्रेजों को हिंदुस्तान से बाहर करने के लिए बगावत की थी। दुनिया के महान समाजवादी चिंतकों कार्ल मार्क्स और एंगेल्स ने उस संग्राम को जनता का महासंग्राम और भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी थी।

    उन्होंने बताया कि इस लड़ाई की शुरुआत मेरठ से हुई थी। मेरठ के 85 सैनिकों को अंग्रेजों द्वारा कठोर सजायें दी गई थीं। इनमें 53 मुस्लिम और 32 हिंदू सैनिक शामिल थे। इस क्रांति ने हिंदुस्तानियों में मनुष्यत्व का बोध जगाया, एक दूसरे के लिए जान कुर्बान करना सिखाया। उन्हें सच्चा इंसान बनना सिखाया, अंग्रेजों के सुपरनैचुरल होने की गलतफहमी को दूर किया और जनता में यह भावना पैदा की थी कि अंग्रेजों को संगठित संघर्ष के द्वारा हराया जा सकता है।

    इस महान स्वतंत्रता संग्राम की महान विरासत है जैसे भारतीयों की, हिंदू मुस्लिम एकता, भारतीयों का स्वाभिमान जगाया, उन्हें मानव मूल्यों के लिए लड़ना, मरना और संघर्ष करना सिखाया, भारतीयों को पूरी दुनिया में सिर उठाकर चलना सिखाया, उन्हें संगठन बनाकर संघर्ष करना सिखाए और अपनी आजादी के लिए सब कुछ कुर्बान करना सिखाया, अपने अंदरूनी विवादों और मतभेदों को भुलाकर दुश्मन के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना सिखाया ।

    उन्होंने कहा कि इस महान संग्राम की महत्वपूर्ण सीखें हैं जैसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए क्रांतिकारी कार्यक्रम, क्रांतिकारी नेतृत्व, क्रांतिकारी संगठन, क्रांतिकारी अनुशासन और क्रांतिकारी जनता का एकजुट संघर्ष जरूरी है। इस क्रांतिकारी महासंग्राम ने भारत की आजादी के संघर्ष को गति प्रदान की, जिसका परिणाम 1947 की भारत की आजादी में निकला। आजादी की इस महान लड़ाई से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और आजादी के उन अधूरे सपनों को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

    इस अवसर पर अध्यक्षता कर रहे राजकुमार गुर्जर ने कहा कि 1857 और आज की समस्याओं में बहुत सारी समानताएं हैं जैसे तब धनपतियों का शासन था आज भी उनका शासन है। तब भी जुल्मों सितम था जो आज भी है। वह जनता की मिली जुली लड़ाई थी। आज भी लड़ाई जनता को मिलकर लड़नी पड़ेगी। तब दुश्मन बाहर का था, आज दुश्मन भारत के धनी लोग हैं, पहले रियासतें थीं, आज पूंजीपति वर्ग हैं। जाति और धर्म के आपसी बंटवारे से यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती।

    इस अवसर पर प्रदेश सचिव ब्रजबीर सिंह ने कहा कि हमें 1857 की उपलब्धियां से सीख कर उन्हें आज के संदर्भ में लागू करने की जरूरत है तभी शहीदों के सपनों को पूरा किया जा सकता है। विजय शर्मा ने कहा कि 1857 की लड़ाई में मेरठ के विभिन्न हिस्सों का बहुत बड़ा योगदान था। इस अवसर पर विनोद गौतम, वीर कुमार शर्मा, कुंवर पाल, नाथी सिंह, असलम खान, जय किरण, जावेद, ब्रह्मशिला, ज्ञान प्रकाश सलोनिया, सत्येन्द्र सिंह, प्रभात मलिक आदि अधिवक्तागण उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन जिला सचिव देवेंद्र सिंह ने किया।

Add comment

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें