सरल कुमार वर्मा
दिल की दस्तक होती कभी बेअसर नहीं
मशरूफ हम बहुत है मगर बेखबर नहीं
मक्कारी के हुनर उसके सब जान गए हैं
अय्यारी से भी उसकी मगर बेखबर नहीं
बेरुखे हो रहे हैं जिसकी अदाओ से लोग
वह बूढ़ी तवायफ भी मगर बेखबर नहीं
कराए है कत्ल बहुत झूठ ने उसके
सच ने भी लहू बहाया मगर बेसबब नहीं
गमों के बाद खुशी का लालच दिखाया यू
ग़म भर दिए दामन में कोई बेखबर नहीं
पैदाइश से मौत तक जीते जो सहम कर
उनकी खुशी में गम भी मगर बेअसर नहीं
मुजरे में दाद पाने को सच बात नहीं कहते
बेचते है हुनर सिक्को में मगर बेखबर नहीं
उस्ताद है बहुत अपने फन में वो “सरल”
गुस्ताख थे पहले भी मगर बेकदर नहीं
सरल कुमार वर्मा
उन्नाव, यूपी
9695164945