मुनेश त्यागी
दिन और रात किए थे बहुत सारे नाटक,
फिर भी हाथ से निकल गया कर्नाटक।
इन चुनावों में भारत के दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक की जनता का संदेश साफ है। महंगाई गरीबी भ्रष्टाचार बेरोजगारी भावनात्मक मुद्दों का खात्मा करो, जन विकास रोजगार की बात करो, गरीबी का खात्मा, भ्रष्टाचार का विनाश, हिंसा आतंकवाद सांप्रदायिकता का खात्मा और सांप्रदायिक सौहार्द के मुद्दों को जनता के बीच ले जाओ।
यह कर्नाटक की जीत सकारात्मक राजनीति की जीत है, जनता के मुद्दों की राजनीति की जीत है और नकारात्मक राजनीति और भावनात्मक मुद्दों की राजनीति की हार है। यह गलत मुद्दों की राजनीति की करारी हार है। कर्नाटक में बीजेपी के जनविरोधी, विकास विरोधी नीतियों और कार्यक्रमों की हार है। बीजेपी और हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा बनाई गई सुपर मानव की इमेज की हार है। इन चुनाव में बीजेपी के स्थानीय नेता चुनाव से नदारद थे, भाषणों से नदारद थे।
इन चुनाव में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइस रैलियां की हैं। जैसे कर्नाटक चुनाव चुनाव के वही सब कुछ है, मगर जनता ने उनके सुपर मानव होने की इस इमेज को गहरा धक्का पहुंचाया है। कर्नाटक के चुनाव में बीजेपी स्थानीय मुद्दों से नहीं जुड़ पाई और वह हवा हवाई बातें ही करती रही। यह सब जनता के गले नहीं उतरा, उसने इस सबको स्वीकार नहीं किया। यह कर्नाटक में बीजेपी की प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह के नेतृत्व में, हिंदू मुस्लिम की जहर फैलाने की ध्रुवीकरण की मुहिम और राजनीति की करारी हार है , कर्नाटक के चुनाव में यह झूठ, अफवाह, धार्मिक भावना और नफरत के ध्यान भटकाने वाले मुद्दों की राजनीति की हार है।
कर्नाटक की जनता ने बता दिया है कि इस तरह की राजनीति नहीं चलेगी। कर्नाटक के इन चुनावों में वहां की जनता ने और खास तौर से वहां के गरीबों और अति गरीबों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सकारात्मक राजनीति की जीत है, एकजुट नेतृत्व की जीत है, महंगाई गरीबी बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाने की जीत है। लोगों ने अपने समुदायों और जातियों को तोड़कर और छोड़कर, कांग्रेस को वोट दिया है। कांग्रेस इन चुनावों में सबका साथ, सबका विकास जैसे जरूरी और लोकप्रिय नारों को जनता के बीच में ले गई, यह उन्हीं की जीत है। यह जनता के लिए बनाए गए “कोमन मिनिमम प्रोग्राम” की प्रभावी जीत है।
यह स्थानीय मुद्दों की मुखरता की जीत है, जनता के हित में दिए गए नारों और वायदों की जीत है। इन चुनाव में कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, समय से अपना मेनिफेस्टो और प्रचार किया और इन नारों और मेनिफेस्टो को जनता के बीच ले गई और जनता ने इन नारों और मेनिफेस्टो को हाथों-हाथ ले लिया और कांग्रेस को सत्ता में आरूढ़ कर दिया।
इन चुनावों ने यह सिद्ध कर दिया है कि जनता चाहती है कि कोई भी पार्टी कुछ करके दिखाए, सकारात्मक राजनीति को जनता के बीच ले जाओ और सामने रखो और अपने वादों और इरादों का पूरा प्रचार करो, उन्हें पूरा करो। कर्नाटक की जनता गैर जरूरी मुद्दों को पसंद नहीं करती। यह बड़ी-बड़ी दिखावटी रैलियों की हार है, छोटी-छोटी रैलियों की जीत है। सुपर हीरो की इमेज को बहुत बडा धक्का है। वहां जनता ने बता दिया है कि वह स्थानीय नेताओं को चाहती है।
कांग्रेस की इस जीत में भारत जोड़ो यात्रा का भी असर मौजूद है। कर्नाटक की यह जीत मुद्दा आधारित राजनीति और अभियान की जीत है। कांग्रेस ने कर्नाटक की जनता के साथ कनेक्ट किया, धारदार स्थानीय नेताओं को चुनाव में उतारा। वहां पर उनकी अहम भूमिका रही। इस चुनाव में यहां पर कांग्रेस बाजी मार कर ले गई। बीजेपी द्वारा पैदा की गई समस्याओं को कांग्रेस ने उठाया, जनता ने उसका साथ दिया और बीजेपी को सरकार से बाहर कर दिया।
कर्नाटक चुनाव नतीजे बता रहे हैं की जनता गैरजरूरी मुद्दों को पसंद नहीं करती। वह हिंसा और नफरत की राजनीति में विश्वास नहीं करती है। कर्नाटक के चुनावों ने स्पष्ट रूप से बता दिया है कि समस्याओं के समाधान की राजनीति चलेगी। कांग्रेस अपनी गलतियों से सीख रही है, बीजेपी लगातार गलतियां करती चली जा रही है।
इन चुनावों में जंतर मंतर पर बैठी यौन शोषण की शिकार बेटियों की आवाज को भी कर्नाटक की बेटियों ने सुना है। इस जीत में इन बेटियों का धरना भी शामिल है, इसके योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता। कर्नाटक की जनता ने नफरत, हिंसा, धर्मांधता और नकारात्मक मुद्दों की राजनीति को सिरे से नकार दिया है और यह नकारात्मक मुद्दों, हिंसा और नफरत की राजनीति की करारी हार है। कर्नाटक की जनता ने भारत के भविष्य की राजनीति का एजेंडा सेट कर दिया है। इन चुनावों में कर्नाटक की जनता का देश की राजनीति को यह सबसे बड़ा संदेश है।