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संयुक्त राष्ट्र संघ और हाथी के दांत,इजराइल के खौफ से सारी दुनिया सहमी

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सनत जैन

इजराइल का खौफ सारी दुनिया में छा गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था भी इजराइल के सामने अपने आप को वेबश मान रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के युद्ध विराम के निर्देश को इजराइल ने नहीं माना। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक से बाहर निकलने के तुरंत बाद लेबनान में हिजबुल्लाह के मुख्यालय में भारी बमबारी कर एक नए युद्ध का शंखनाद इजराइल ने कर दिया है। हिजबुल्ला के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह के साथ कई लोग इस हमले में मारे गए। हिजबुल्ला का मुख्यालय शहरी इलाके में था। 80 टन बारूद के बमों से हमले किए गए। 40 फ़ीसदी बेरूत बर्बाद हो गया है। हजारों लोगों की मौत हो गई है। यहां के लोगों को सड़कों पर आकर रहना पड़ रहा है।

इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से लेबनान को तबाह करने की धमकी देते हुए विश्व जनमत को न केवल हतप्रभ किया था। वरन लेबनान पर हमला करके जो तबाही बेरूत में मचाई है, उसके बाद सारी दुनिया के देश इजराइल से खौफजदा हो गए हैं। इजराइल और हमास का युद्ध जब से शुरू हुआ है। उसके बाद लेबनान के साथ भी इजराइल का युद्ध शुरू हो गया है। तब से लेकर अभी तक लगभग 80000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 13 मई 2024 को संयुक्त राष्ट्र संघ की जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। उसके अनुसार 35000 से ज्यादा लोग गाजा पट्टी में सामान्य नागरिक एवं हमास के लोग मारे जा चुके थे।

इनमें से 7797 नाबालिग बच्चे, 4959 महिलाएं और 19924 बुजुर्गों की पहचान की गई थी। इजराइल ने अस्पताल और राहत शिविरों में भी लगातार बमबारी की। रेड क्रॉस जैसी संस्था औचित्यहीन हो गई। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जिस तरह की चेतावनी अभी हिज्बुल्लाह संगठन को लेकर दी है, वैसी ही चेतावनी कई माह पहले उन्होंने हमास को लेकर दी थी। जिस तरह का नरसंहार इजराइल द्वारा किया जा रहा है। उसके बाद अब नर पिसाच के रूप में भी नेतन्याहू की पहचान सारी दुनिया में बनने लगी है। इजराइल ने जिस तरह से लेबनान में सिल-सिलेबार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में धमाके कराकर हिजबुल्लाह के लड़ाकुओं को अपने निशाने पर लिया। यह युद्ध का एक नया तरीका था। इजराइल ने लेबनान में करीब 5000 से अधिक पेजर में ब्लास्ट कराकर हजारों हिजबुल्लाह के लडाकुओं को एक साथ समाप्त कर दिया।

कई स्थानों पर वॉकी-टॉकी में भी विस्फोट हुए। इसके बाद सारी दुनिया के देशों में इजराइल को लेकर एक नई दहशत फैल गई है। इजराइल ने पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक और संचार उपकरणों के माध्यम से जासूसी और ट्रैकिंग का एक जाल बिछाया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अब हथियार बनाकर इजराइल द्वारा जो हमले किए जा रहे हैं। इस युद्ध की नवीन तकनीकी से इजराइल के सहयोगी देश भी दहशत में आ गए हैं। अमेरिका जैसा देश भी इजराइल से भयभीत हो गया है। यह सब आश्चर्यचकित करने वाला है। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहु के पास जो ताकत है, उसके बाद से वह अपनी ताकत को लेकर मदमस्त हैं।

वह सारी दुनिया को अपनी उंगलियों में नचाने की मुद्रा में आ गए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में उन्होंने जो कहा है। उससे ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। सारी दुनिया के देश यह समझने में लगे हैं। इजराइल के पास ऐसी कौन सी ताकत है, जिसके कारण इजराइल सारी दुनिया के देशों के लिए एक चुनौती बन गया है। इजराइल के प्रधानमंत्री जिस तरह से ईरान और अन्य देशों को खुलेआम धमकी दे रहे हैं। उसके बाद से सारी दुनिया के देशों में एक अज्ञात भय देखने को मिल रहा है। ईरान के राष्ट्रपति को अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया है। इजराइल ने जिस तरह से संचार माध्यमों को अपना हथियार बनाया है। बहुत कम खर्चे में हजारों किलोमीटर दूर बैठकर अपने विरोधियों को खत्म करने की जो नई तकनीकी इजराइल के पास है। उससे सारी दुनिया में भय फैल गया है।

यह पागलपन इजराइल के लिए भी संकट का कारण बन सकता है। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सिर में जिस तरह का खून सवार है। वह अपने और परायों का भी भेद नहीं कर पा रहे हैं। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ की बात भी नहीं मान रहे हैं। ऐसी स्थिति में दुनिया के देश तबाही के नए कगार पर आकर खड़े हैं। इजराइल के संकट से निपटने के लिए दुनिया के कई देश एकजुट होकर इजराइल का मुकाबला करने के लिए तैयार होते दिख रहे हैं। एक बार फिर सारी दुनिया में तृतीय विश्व युद्ध जैसे हालात बनते हुए दिख रहे हैं। इसमें कितनी तबाही होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। पिछले 100 सालों में दुनिया के देशों में जो सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ है। तकनीकी के इस दौर में, उसे किस स्तर तक बचा के रखा जा सकता है। यह एक बड़ी चुनौती दुनिया के देशों के सामने आकर खड़ी हो गई है। जब लड़ाई होती है, तो दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान होता है। निश्चित रूप से लड़ाइयों से किसी का फायदा होने वाला नहीं है। इजराइल की अर्थव्यवस्था दिनों-दिन खत्म होती जा रही है। इजराइल के नागरिकों का जीवन नारकीय हो गया है।

इस युद्ध से इजराइल को क्या मिलेगा, यह कहना मुश्किल है। इजराइल के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में नेतन्याहू को ताकत का जो अहंकार आ गया है, उसे वह जरूर पूरा होता हुआ मान रहे होंगे। दुनिया के सामने सबसे ताकतवर व्यक्ति नेतन्याहू बनना चाहते हैं। अभी तक तो उन्हें सफलता मिलती जा रही है। जो जीता वही सिकंदर की तर्ज पर नेतन्याहू ने इतिहास में अपना एक नया नाम दर्ज कर लिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है।

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