डॉ. नीलम ज्योति
_यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया के पास अब मात्र 70 दिनों का ही गेहूं शेष बचा है। गेहूं संकट को अगर जल्द से जल्द नहीं सुलझाया गया तो दुनिया खासतौर पर यूरोप और अफ्रीका के देश रोटी के लिए तरस जाएंगे।_
इसी संकट को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत से गेहूं का मुद्दा उठा सकते हैं।
यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्यान सप्लाइ को लेकर हालात भयानक होते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 10 सप्ताह का ही गेहूं शेष बचा है.
संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार किया है कि दुनिया में खाद्यान का ऐसा संकट चिंता का विषय है. वक़्त नहीं है? भारत ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगा चुका है.
यूरोप की ‘रोटी की टोकरी’ कहे जाने वाले यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्यान सप्लाइ को लेकर हालात भयानक होते जा रहे हैं।
इसी महासंकट पर संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 10 सप्ताह यानि 70 दिन का ही गेहूं शेष बचा है। यह साल 2008 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि दुनिया में खाद्यान का ऐसा संकट ‘एक पीढ़ी में एक ही बार होता है।’
इस बीच अब दुनिया की निगाहे जापान में होने जा रहे क्वॉड देशों की बैठक पर टिक गई है जहां गेहूं संकट का मुद्दा प्रमुखता से उठ सकता है।
भारत के गेहूं के निर्यात पर बैन से अमेरिका समेत यूरोपीय देश टेंशन में आ गए हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के टेंशन की वजह भी है।
गो इंटेलिजेंस की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में अब मात्र 10 सप्ताह तक ही गेहूं की सप्लाइ का स्टॉक बचा है। दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं और पश्चिमी देशों को डर है कि पुतिन गेहूं को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
रूस में इस साल गेहूं की फसल शानदार हुई है और पुतिन इसे नियंत्रित कर सकते हैं। वहीं खराब मौसम की वजह से यूरोप और अमेरिका में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है।
गो इंटेलिजेंस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सारा मेनकर ने चेतावनी दी कि खाद्यान की सप्लाइ कई ‘असाधारण’ चुनौतियों से जूझ रही है। इसमें फर्टिलाइजर की कमी, जलवायु परिवर्तन और खाद्यान तेल तथा अनाज का रेकॉर्ड कम भंडार इसकी वजह है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि बना तत्काल और आक्रामक वैश्विक प्रयास के हम इंसानों के लिए असाधारण मानवीय त्रासदी और आर्थिक नुकसान की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसा संकट भूराजनीतिक दौर को नाटकीय तरीके से बदल सकता है।
पश्चिमी देशों को डर सता रहा है कि रूसी राष्ट्रपति जानबूझकर वैश्विक खाद्यान सप्लाइ को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और यूक्रेन के कृषि उपकरणों को नष्ट कर रहे हैं, उनके गेहूं को चुरा रहे हैं।
{चेतना विकास मिशन)