चुनावी चटखारे/कीर्ति राणा
मुख्यमंत्री इन दिनों अलादीन के जादुई चिराग से बन गए हैं। इधर मांग की, उधर मंजूरी।चुनावी साल में इतना उदारमना हो जाना ‘ये पब्लिक है सब जानती है…’ आमजन को तो मतलब है बस अपना या अपने समाज का भला हो जाए। जनता की नब्ज पहचानने वाले रणनीतिकारों का जैसा इशारा होता है सीएम उसी अंदाज में घोषणाओं का खजाना लुटाते जाते हैं।
बाकी समाजों के लिए की गई समाज कल्याण बोर्ड की घोषणा पर राजपूतों ने आंखें तरेरी तो पिछले चुनाव में ‘माई के लाल’ की लपटों से झुलसे मुख्यमंत्री ने फटाफट क्षत्रिय समाज की मांग पर महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड की घोषणा कर डाली। कुशवाह समाज की मांग पर भी कल्याण बोर्ड गठन की घोषणा हो गई।अभी अपने निवास पर अभा पाल महासभा समागम कार्यक्रम में महेश्वर में अहिल्यादेवी लोक गठन की घोषणा कर दी।उनकी इस घोषणा से यह भी साफ हो गया कि राजवाड़ा क्षेत्र में अब अहिल्या लोक नहीं बनेगा।महेश्वर में अहिल्या लोक उनकी घोषणाओं का यह नौंवा लोक होगा। सबसे पहले महाकाल लोक, पीतांबरा, मां शारदा देवी, सलकनपुर, रविदास, ओंकारेश्वर, ओरछा में रामराजा और चित्रकूट में वनवासी लोक की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।
महेश्वर में अहिल्या लोक से पहले पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन की इच्छा का सम्मान करते हुए सरकार इंदौर के आरटीओ भवन वाली तीन एकड़ जमीन पर अहिल्या स्मारक निर्माण की घोषणा पहले ही कर चुकी है।
लोक पर लोक की इस घोषणा के साथ ही बीते एक माह में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना,
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 13 हजार रु करने, कोरोना काल सहित अन्य अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में प्रति माह चार हजार रु, 5 रु में भरपेट भोजन वाली दीनदयाल रसोई योजना, शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों को भी 5 लाख तक की चिकित्सा सुविधा की घोषणा के साथ अब ढाई लाख संविदाकर्मियों को स्थायी कर्मचारियों वाले सभी हित लाभ देने का मन बना चुके हैं।प्रदेश के युवा मतदाताओं को भाजपा से जोड़ने के लिए आजकल में मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना भी लांच करने वाले हैं।
*अब शेरा भैया अब किधर*
बुरहानपुर के मतदाताओं का मिजाज निर्दलीय प्रत्याशी पर प्रेम दर्शाने वाला रहा है।पिछले चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर ठा. सुरेंद्र सिंह ‘शेरा भैया’ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत कर अपने बड़े भाई (स्व) ठा शिवकुमार सिंह की परंपरा को कायम रखा था।अभी जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में बुरहानपुर से गुजरे तो आतिथ्य सत्कार से ठाकुर परिवार ने कांग्रेस के सभी नेताओं का दिल जीत लिया था।बहुत संभावना है कि इस बार कांग्रेस यहां से शेरा भैया को प्रत्याशी घोषित कर दे उधर भाजपा से खुद अर्चना चिटनिस ने तय कर लिया है कि यहां से उन्हें ही चुनाव लड़ना है।यदि इन दोनों को टिकट मिलने से दोनों दलों के अन्य दावेदारों में से कोई निर्दलीय खड़ा हो गया तो परिणाम किस के पक्ष में आएगा?
बुरहानपुर में निर्दलियों का दबदबा ऐसा रहा है कि 1990 में शिव कुमार सिंह, ‘93 में महंत उमेश मुनि, ‘98 में ठा शिवकुमार सिंह, 2003 में कांग्रेस के हामिद काजी, 2008 और ‘13 में भाजपा की अर्चना चिटनीस जीत चुकी हैं।
*बदनावर में चेतावनी के भंवर *
बदनावर से पहले पार्टी ने भंवर सिंह शेखावत को टिकट दिया था। इस बार वो चिल्ला-चिल्ला कर न सिर्फ टिकट मांग रहे हैं बल्कि शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात में भी यही मांग कर चुके हैं। जबकि पार्टी में बच्चा बच्चा जानता है इस बार भाजपा सीएम को वैसा फ्री हैंड नहीं देने वाली है।भाजपा से बगावती तेवर की दहलीज तक पहुंच चुके शेखावत को जाने क्यों लग रहा है कि इस तरीके से कांग्रेस का टिकट ले आएंगे। पर यह क्यों याद नहीं रख रहे कि पिछले चुनाव से अब तक की अवधि में कांग्रेस में अभिषेक सिंह टिंकू बना और शरद सिंह सिसोदिया ने अपनी जमीन इतनी मजबूत कर ली है कि कांग्रेस के पास राजपूत प्रत्याशी का टोटा नहीं है।शेखावत टिकट ले भी आए तो यह भी याद रखना होगा कि कैलाश विजयवर्गीय और दिग्विजय सिंह की मित्रता बदनावर में उनका खेल बिगाड़ने का कारण ना बन जाए।
*दोनों डाल रहे डोरे गोंगपा पर*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पर कमलनाथ का जादू चल गया है।जिस तरह निमाड़ क्षेत्र में जयस का दबदबा है उसी तरह विंध्य की 30 और महाकौशल की 38 सीटों पर गोंगपा का प्रभाव है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का गोंगपा से समझौता नहीं हो पाया था और 12 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार कमलनाथ ने गोंगपा से समझौता कर लिया तो भाजपा ने भी इन क्षेत्रों में पांच स्वाभिमान यात्रा के साथ प्रधानमंत्री मोदी के शहडोल दौरे में रानी दुर्गावती के संबंध में घोषणाएं करा कर गोंड आदिवासी समाज में यह संदेश दे दिया है कि इस समाज की सच्ची हितैषी तो भाजपा ही है।