डा.सलमान अरशद
देश के कई इलाकों से मस्जिदें गिराने की खबरे आ रही हैं। अभी एक वीडियो देख रहा था जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट महमूद प्राचा साहब अधिकारियों से वो आदेश माँग रहे हैं जिसके आधार पर मस्जिद गिराई जा रही है। अधिकारी कोई आदेश नहीं दिखाता और कहीं फ़ोन पर बात करने लगता है। हलांकि मस्जिद का एक हिस्सा तब तक गिराया जा चुका है। अधिकरी पूरी फोर्स लेकर गए हैं और उनके पास मस्जिद गिराने का कोई कानूनी आधार नहीं है !
देश भर में, सड़कों के किनारे, सरकारी ज़मीनों पर, ज़मीन कब्जाने के लिए बनाये गए धर्म स्थल और पार्कों में बनाये गए सभी धर्म स्थल गिराये जाने चाहिए !
सभी तरह के धार्मिक जुलूसों पर रोक लगनी चाहिए, धर्म स्थलों की परिधि से बाहर मनाए जाने वाले धार्मिक कार्यक्रम बन्द होने चाहिए, धार्मिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बन्द होना चाहिए, धार्मिक कार्यक्रमों में सरकारी धन के उपयोग पर रोक लगनी चाहिए !
लेकिन ऐसा नहीं होगा। मस्जिद तोड़ने से कुछ लोगों को परपीड़ा का आनंद मिलता है और ये आनंद वोट और समर्थन में बदल जाता है, इसलिए मस्जिदें टूटेंगी और मुसलमानों पर हमले होंगे। विपक्ष भी खामोश रहेगा क्योंकि उसे भी हिन्दुत्व की जूठन चाटना है।
लेकिन इसकी आड़ में नोकरियों का जाना, बैंकों का लूटना, सरकारी उपक्रमों का निजीकरण आपको नज़र नहीं आएगा। हलांकि यहाँ नोकरी करने वाले अधिकांश लोग मुसलमान नहीं हैं।
अलग अलग विभागों में लाखों पोस्ट खाली पड़े हैं, अगर इन पर भर्तियां होने लगें तो 95 प्रतिशत से ज़्यादा नोकरियाँ हिंदुओं को मिलेंगी, सबसे बड़ा हिस्सा सवर्ण हिन्दू ले जाएगा। लेकिन आपको इस पर सोचने की फुरसत कहाँ है !
मुसलमानों पर तात्कालिक हमले देश के गैरमुस्लिमों पर दीर्घकालिक हमले हैं। अफ़सोस, अभी आपको ये नज़र नहीं आ रहा है और जब तक नज़र आएगा आप कुछ करने के लायक नहीं होंगे। आपके बच्चे या तो लवलेश तिवारी बनें या नशे में धुत होकर ख़ुद को भूलने की कोशिश, और ये आपका चुनाव है !
समय मिले तो इस पर सोचिएगा !