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अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ बढ़ रहा लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे हजारों लोग

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ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों में पूरा अमेरिका उबल रहा है । ट्रम्प की घोषित नीतियों के विरोध  में जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं । दो चार महीनों में ही ट्रम्प के रुख ने अमेरिकी अवाम को सड़क पर उतरने को विवश कर दिया । किसी भी राष्ट्र की सम्प्रभुता को दरकिनार कर बडबोलापन, सत्ता का अहंकार , असंवैधानिक व  तानाशाही प्रवृत्ति, नस्लवादी व घनघोर पूंजीवादी नीतियॉं जो किसी खास लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिये हैं के विरोध में देश उठ खडा हो कहा है। कई प्रमुख देश भी विरोध में खुलकर सामने आ गये हैं सिवाय स्वयंभू विश्व गुरु के । अमेरिका में राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की नीतियों को लेकर लोगों में गुस्‍सा बढ़ने लगा है। ट्रंप के राज में टैरिफ युद्ध से महंगाई बढ़ने लगी है। यही नहीं ट्रंप का रूस का पक्ष लेना भी अमेरिकी जनता को रास नहीं आ रहा है। इसके अलावा एलन मस्‍क को लेकर भी विरोध बढ़ रहा है।

मधुलिका सिन्‍हा

वॉशिंगटन: ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के नारे के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज कर राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के पहले दिन से मंहगाई पर अंकुश लगाने, देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और विदेश नीति के मोर्चे पर अमेरिका का कद बढ़ाने का वायदा किया था। ट्रंप के ये वादे आज खुद उनकी विवादित नीतियों की वजह से सवालों के घेरे में है। बढ़ती मंहगाई, सरकारी काम काज में उद्योगपति एलन मस्क के बढ़ते हस्तक्षेप, बड़ी संख्या में लोगों को सरकारी नौकरियों से निकाल बाहर करने तथा यूक्रेन के खिलाफ रूस से हाथ मिलाने पर लोगों का गुस्सा ट्रंप सरकार के खिलाफ उबल रहा है। न्यूयार्क, वॉशिंगटन डीसी,ओहायो, कैलिफोर्निया, सिएटल और हवाई सहित कई राज्यों में लोगों में जबरदस्त आक्रोश दिखाई दे रहा है।

इस साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया है। ट्रंप के साथ-साथ उनके करीबी सहयोगी, मशहूर कारोबारी एलन मस्क को लेकर भी प्रदर्शनकारियों में गुस्सा है। अमेरिका में इस प्रोटेस्ट को हैंड्स ऑफ नाम दिया गया है। प्रोटेस्ट को हैंड्स ऑफ नाम देने का मकसद ट्रंप को यह संदेश देना है कि वह लोगों के निजी मामलों में दखल देना बंद दें।  

हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट को अमेरिका में हालिया वर्षों में हुए सबसे बड़े प्रोटेस्ट में से एक माना जा रहा है। शनिवार को 50 राज्यों में 1,200 से ज्यादा स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुआ है। नागरिक अधिकार संगठनों, लेबर यूनियन, एलजीबीटी समर्थकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 150 से ज्यादा संगठनों ने देशभर में रैलियां आयोजित की। इस दौरान बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सड़कों पर ट्रंप और मस्क के खिलाफ पोस्टर लहराते दिखे। प्रदर्शनकारी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के संघीय स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी, निर्वासन और एलजीबीटी से जुड़ी नीतियों पर सड़कों पर उतरे हैं।

गत सप्ताह प्रेजिडेंट डे और यूक्रेन पर रूस के हमले की तीसरी बरसी के दिन हाथों में नारे लिखे पोस्टर थामे हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। तख्तियों पर ‘मस्क हमारा राष्ट्रपति नहीं है’, ‘मस्क के हाथों की कठपुतली मत बनो’, ‘कार्रवाई करो इसके पहले की देर हो जाए’, ‘देश में प्रजातंत्र को बचाओ लोगों के अधिकारों की रक्षा करो’ जैसे नारे लिखे हुए थे। विरोध स्वरूप लोगों ने कैलिफ़ोर्निया के योसेमाइट नेशनल पार्क में एक पहाड़ी के ऊपर अमेरिकी झंडा उल्टा लटका दिया। ताज्जुब की बात यह है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों में विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी के समर्थक ही नहीं खुद ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले भी शामिल थे।
विवादित नीतियों पर विरोध

राष्ट्रपति दिवस के अवसर पर पिछले सप्ताह अपने निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के साथ मिलते समय कम से कम 6 रिपब्लिकन सांसदों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कई अन्य को इस दौरान अपने यहां टाउन हॉल में आयोजित कार्यक्रमों में इस तरह की स्थिति से दो चार होना पड़ा। इनमें ओकलाहामा से रिपब्लिकन सांसद मार्कवायने मुलिन, पेसिल्वेनिया के स्कॉट पेरी और रियान मेकेंजी, न्यूयार्क के माइक लॉलर, जार्जिया के रिज मैककॉर्मिक और सिनेट की प्रशासन कमेटी के अध्यक्ष ब्रियान स्टेइल शामिल थे। मतदाताओं का गुस्सा खासकर सरकारी खर्च को बचाने के लिए मस्क की अध्यक्षता में गठित सरकारी दक्षता विभाग द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को सरकारी नौकरी से निकालने को लेकर था। मतदाताओं ने कहा हमने आपको जिस लिए जिता कर भेजा है, वह काम करो मस्क के आगे घुटने मत टेको। मैककॉर्मिक को तो इतने कड़े सवालों का सामना करना पड़ा कि जब वह कैपिटॉल हिल वापस लौटे तो अपने साथ ट्रंप सरकार के लिए यह संदेश लेकर आए कि मस्क की अध्यक्षता वाले विभाग को लेकर लोगों में कई तरह की शंकाएं पनप रही हैं। वे इस विभाग को संदेह की नजर से देख रहे हैं। ऐसे में लोगों को नौकरी से निकालने के मामले में थोड़ी नरमी बरतें अन्यथा लोगों का गुस्सा कहीं सरकार पर भारी न पड़ जाए।

मतदाताओं ने विपक्षी डेमोक्रेट सांसदों को भी नहीं बख्शा। डेमोक्रेट सांसद ग्रेग लैंड जब ओहायो में अपने निर्वाचन क्षेत्र पहुंचे तो लोगों ने उनसे कहा ‘आप लोग विपक्ष की सख्त भूमिका निभाएं। इसके पहले की बहुत देर हो कार्रवाई करें।’ न्यूयार्क के अल्बानी में एक वोटर ने डेमोक्रेट सांसद पॉल टानको से कहा “आपको टीवी में कई बार कहते सुना है कि ट्रंप ने रेड लाइन क्रास की तो हम उसका कड़ा जवाब देंगे। ट्रंप तो रेड लाइन क्रास कर चुके। अब आपलोग किस बात के इंतजार में हैं। आप विरोध करें हम सब आपके साथ होंगे।’ लोगों से मिल रही ऐसी तीखी प्रतिक्रिया पर सदन में डेमोक्रेट नेता हाकीम जेफ्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप का एक मात्र उद्देश्य अपने अरबपति मित्र मस्क को फायदा पहुंचाना है। आम जनता की तकलीफों से उनका कोई लेना देना नहीं है। सरकार ने लोगों के लिए अराजक और कठिन हालात पैदा कर दिए हैं। इसके लिए ‘हम संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह सरकार का कड़ा विरोध करेंगे।’

आर्थिक नीतियां

विदेशों से आयातित वस्तुओं पर बराबरी का शुल्क लगाने के ट्रंप के ऐलान से टैरिफ वॉर के खतरे इतना बढ़ गए हैं कि बाजार में खाने पीने की चीजों के दाम अभी से ऊपर जा रहे हैं। देश में मंहगाई घटने की बजाए लगातार बढ़ रही है। यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार,फरवरी में मंहगाई दर में 3 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ। उपभोक्ता विश्वास सूचकांक भी जनवरी के 105.3 अंक की तुलना में फरवरी में घटकर 98.3 पर आ गया जो 4 साल से अधिक समय में सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। अमेरिका के केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने फरवरी में जारी रिपोर्ट में इस ओर इशारा करते हुए साफ कहा है कि ट्रंप की यह नीतियां मंहगाई को रोकने में बाधा बनेंगी। आयातित वस्तुओं के दाम बढेंगे तो इसका असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। पिछले सप्ताह शेयर बाजार भी गिरावट पर बंद हुए। अभी भी इनपर दबाव बना हुआ है।

विदेश नीति

कनाडा और मैक्सिको जैसे पड़ोसी देशों के साथ टैरिफ को लेकर उलझना। दूसरी ओर रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव पर पुरानी नीति से पलटते हुए रूस का साथ दिए जाने के ट्रंप सरकार के फैसले को लेकर भी लोगों में बहुत गुस्सा है। उनका कहना है कि इस मामले में अपने विरोधी देश के साथ खड़े होने में ये कैसी समझदारी है। कुल मिलाकर ट्रंप जिन बड़े चुनावी वायदों के साथ जीतकर आए वे वायदे उनकी विवादित नीतियों के जाल में ही उलझ गए हैं। अर्थव्यवस्था सुधरने की बजाए थरथरा रही है। लोग भविष्य को लेकर आशंकित हैं उनका मानना है कि ट्रंप कब क्या कर बैठें, अंदाजा लगाना मुश्किल है।

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