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बसपा नेताओं में खलबली: सांसद खुद तलाशेंगे नया ठिकाना?

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आशीष तिवारी

बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली को पार्टी ने निलंबित कर दिया। बसपा ने आरोप यही लगाया कि वह पार्टी विरोधी कृत्यों में शामिल थे। दानिश अली के निलंबन के बाद अब सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि बहुजन समाज पार्टी के और कितने सांसद निलंबित किए जाने हैं। सियासी गलियारों में बहुजन समाज पार्टी के कई अन्य सांसदों की दूसरे राजनीतिक दलों से न सिर्फ नजदीकियां चर्चा में हैं, बल्कि कई सांसद तो खुलकर बड़े राजनेताओं की और पार्टियों की प्रशंसा भी करते रहे हैं। ऐसे में अनुमान यही लगाया जा रहा है लोकसभा चुनावों तक या तो बहुजन समाज पार्टी के कई सांसद मायावती का साथ छोड़ जाएंगे या फिर मायावती खुद पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर नए लोकसभा प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार सकती हैं।

सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की सबसे ज्यादा हो रही है कि मायावती की नजर में ऐसे कुछ सांसद हैं जो लगातार दूसरे दलों से न सिर्फ मिल रहे हैं, बल्कि अपनी नजदीकियां भी बढ़ा रहे हैं। इस कड़ी में बसपा सांसद रितेश पांडेय समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं। दरअसल, रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायक भी हैं और पूर्व सांसद भी रहे हैं। 

बहुजन समाज पार्टी की लखनऊ में आयोजित हुई बैठक के बाद पार्टी में अंदरूनी तौर पर तेजी से सियासत बदलने लगी है। मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली को निलंबित कर दिया। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि मायावती दानिश अली से लगातार दूसरे दलों के नेताओं से करने वाली मुलाकातों से नाराज थीं। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और तमाम बड़े कांग्रेस के नेता दानिश अली के घर पहुंच रहे थे, जबकि दानिश अली नीतीश कुमार से भी मुलाकात कर चुके हैं। 

सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा था कि वह कांग्रेस या समाजवादी पार्टी में अपनी पैठ बनाकर आगामी लोकसभा चुनाव का टिकट चाह रहे हैं। हालांकि, पार्टी से निलंबित सांसद दानिश अली कहते हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आवाज बुलंद करना बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ किए गए कृत्य में शुमार होता है तो यह बसपा की विचारधारा ही नहीं है। वह ऐसी सरकार का लगातार विरोध करते रहेंगे। भले ही उसकी कोई कीमत उनको क्यों न चुकानी पड़े।

सूत्रों की मानें तो आने वाले कुछ दिनों में बहुजन समाज पार्टी में बड़े स्तर पर और भारी उठापटक हो सकती है। इसमें पार्टी के कई वर्तमान सांसदों पर बसपा सुप्रीमो मायावती कोई कड़े फैसले ले सकती हैं या फिर कुछ बसपा सांसद खुद अपने नए सियासी ठिकाने की तलाश कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो जिस तरीके से दानिश अली पर पार्टी ने फैसला लिया है इसी तरीके से कुछ अन्य सांसदों पर पार्टी कड़े फैसले ले सकती है। 

दरअसल, यह वे सांसद हैं जो लगातार विपक्षी दलो से न सिर्फ मुलाकात कर रहे हैं, बल्कि उनके नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करते हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि जिस तरीके से बहुजन समाज पार्टी का सियासी ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है, उसमें मायावती कोई जोखिम नहीं उठाएंगी। पार्टी यह किसी तरीके से जनता में संदेश नहीं देना चाहेगी कि उनकी पार्टी के सांसद या जनप्रतिनिधि किसी दूसरे दलों से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। 

सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की सबसे ज्यादा हो रही है कि मायावती की नजर में ऐसे कुछ सांसद हैं जो लगातार दूसरे दलों से न सिर्फ मिल रहे हैं, बल्कि अपनी नजदीकियां भी बढ़ा रहे हैं। इस कड़ी में बसपा सांसद रितेश पांडेय समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं। दरअसल, रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायक भी हैं और पूर्व सांसद भी रहे हैं। 

इसी तरह बिजनौर के सांसद मलूक नागर भारतीय जनता पार्टी की प्रशंसा कर चुके हैं। उन्होंने लोकसभा में केंद्र सरकार के कुछ फैसलों की तारीफ की थी। पूर्वांचल के सियासी गलियारों में अतुल राय को लेकर भी यह चर्चा होती रहती है कि उनकी भाजपा से नजदीकियां हैं। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जौनपुर के बसपा सांसद श्याम सिंह यादव तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तक में शामिल हो गए थे। यादव सिर्फ राहुल गांधी की यात्रा में ही नहीं शामिल हुए बल्कि उनके कई बयान भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में भी दिए गए। 

इन सांसदों के अलावा लोकसभा में अपनी सदस्यता खोने वाले बसपा के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी के परिवार के ज्यादातर लोग समाजवादी पार्टी में चले गए हैं। बहुजन समाज पार्टी से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनकी पार्टी के कई सांसद लगातार दूसरी पार्टियों के संपर्क में है। इस बात की जानकारी बसपा सुप्रीमो मायावती को अच्छी तरीके से है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है जिस तरीके से दानिश अली को पार्टी से निलंबित किया गया है उसे तरीके के और कड़े कदम मायावती उठा सकती हैं। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के कई सांसद पार्टी की वर्तमान दशाओं के चलते कुछ अन्य सुरक्षित राजनैतिक ठिकाने भी तलाश कर रहे हैं।

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 10 सीटें मिली थीं। लेकिन अफजाल अंसारी की सदस्यता जाने के बाद लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के नौ सांसद ही बचे। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जिस तरीके से बहुजन समाज पार्टी का सियासी ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है इससे पार्टी के नेताओं में भी खलबली मची है। मायावती भी इसी गिरते सियासी ग्राफ के चलते लगातार बैठकें कर रहीं हैं। इन बैठकों में वह न सिर्फ आने वाले लोकसभा के चुनावी नजरिए से सभी कील कांटे दुरुस्त कर रहीं हैं बल्कि लोकसभा के प्रत्याशियों का भी चयन कर रही हैं। मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से की शुरुआत भी कर दी है। माना जाता है कि बहुजन समाज पार्टी में लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी ही सियासी मैदान में उतरता है। इस नजरिए से पार्टी ने अपनी तैयारी को आगे बढ़ाना शुरू किया है।

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