मुनेश त्यागी
आज पूरे भारतवर्ष में अधिवक्ता दिवस मनाया जा रहा है। भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन के मौके पर अधिवक्ता दिवस पूरे पूरे देश में मनाया जाता है। राजेन्द्र प्रसाद अपने समय के प्रसिद्ध वकील थे। भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी की बेडियों से आजाद कराने के लिए वे अपनी वकालत को छोड़कर आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए थे। हमारी न्यायिक प्रणाली में अधिवक्ताओं का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।भारत का संविधान यह प्रावधान करता है कि किसी को भी सुने बिना और सुनवाई का मौका दिए बिना दोषी नहीं ठहराया जा सकता, सजा नहीं दी जा सकती।
इंसाफ देने की इस प्रणाली में यह निर्धारित किया गया है की पक्षों को अपने वकील नियुक्त करने का अधिकार होगा। भारत में इस मुद्दे को अमलीजामा पहनाने के लिए एडवोकेट एक्ट का निर्माण किया गया, जिसमें निर्धारित किया गया कि ग्रेजुएशन के बाद, एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी और इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद इच्छुक व्यक्ति विभिन्न राज्यों की बार काउंसिलों में अपने नाम दर्ज कराएंगे और बार काउंसिल से लाइसेंस मिलने के बाद ही वे अधिवक्ता के रूप में काम कर सकेंगे।
हमारी न्याय प्रणाली में अधिवक्ताओं के बिना कोई मुकदमा नहीं हो सकता। यह वकील यानी अधिवक्ता ही है जो अपने पक्ष को अदालत के सामने रखते हैं और अदालत उस पर न्याय देती है, अपना निर्णय करती है। पक्षों को न्याय दिलाने में वकीलों की सबसे बड़ी भूमिका है। वकील दिन रात मेहनत करके जज के सामने अपने तर्क प्रस्तुत करते हैं, पक्षों से जिरह करते हैं, बहस करते हैं, दावा पेश करते हैं। तब उस पर न्यायाधीश अपना फैसला देता है।
न्याय प्रणाली में यह आधारित किया गया है कि अगर कोई पक्ष गरीब और साधनहीन है और वह अपना अधिवक्ता नियुक्त नहीं कर सकता तो यह राज्य की जिम्मेदारी दी गई है कि वह सरकार के खर्चे पर अधिवक्ता या वकील मोहिया कराए और न्याय में यह भी आधारित किया गया है कि किसी भी पक्ष के अधिवक्ताओं को सुने बिना कोई फैसला फैसला नहीं हो सकता।
अधिवक्ताओं को अदालतों ने “ऑफिसर ऑफ द कोर्ट” माना है यानी वकीलों को न्यायालय का अधिकारी माना है। दुनिया में प्राचीन काल से ही न्याय के पैसे को एक अद्भुत पेशा माना गया है और पूरी दुनिया के वकीलों ने न्याय शास्त्र को विस्तार दिया है और इसे ऊंचाइयां प्रदान की हैं। हम देखते हैं और हम पाते हैं कि कोई भी कानून, वकीलों की सहायता के बिना नहीं बनाया जा सकता। दुनिया के तमाम कानून वकीलों ने बनाए हैं। दुनिया के लगभग तमाम संविधान अधिवक्ताओं ने लिखे हैं।
अधिवक्ताओं ने समाज व्यवस्थाओं को बदलने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की हैं उन्होंने समाज को बदला है, व्यवस्थाओं को बदला है, जेल में गए हैं, सजाएं काटी हैं और बहुत सारी क्रांतियों के नेता और हीरो बहुत सारे वकील ही रहे हैं। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में सैकड़ों अधिवक्ता भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए आजादी के संघर्ष में कूद पड़े थे। कुछ नाम है महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू राजेंद्र प्रसाद आदि।
दुनिया के पैमाने पर देखें तो लगभग सारी क्रांतियों के नेता ही वकील थे जैसे लेनिन रूसी क्रांति के नेता थे। मंडेला दक्षिण अफ्रीका में मुक्ति आंदोलन के नेता थे। क्रांति के प्रणेता कार्ल मार्क्स खुद कानून की शिक्षा लिए हुए थे और क्यूबा के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री फिदेल कास्त्रो एक वकील थे। इन सब ने मिलकर अपने-अपने देशों में क्रांतियां कीं और एक समाजवादी व्यवस्था कायम की।
आज के समाज में वकीलों की अहमियत किस हद तक बढ़ गई है, इसका अंदाजा भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के इस कथन से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारे देश में संविधान के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए और जनता को सस्ता, सुलभ और असली इंसाफ दिलाने के लिए, हमारी न्याय व्यवस्था को अच्छे वकीलों की सबसे ज्यादा जरूरत है। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अच्छे अधिवक्ताओं की जरूरत है। इनके बिना संविधान के प्रावधानों को अमलीजामा नहीं पहना जा सकता और जनता को सस्ता सुलभ और असली न्याय नहीं दिया जा सकता।
अगर हम वकीलों द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों पर एक नजर डालें, तो एक अद्भुत दुनिया बन जाती है। हमारे देश समेत दुनिया के अधिकांश वकीलों ने समाज, धन्ना सेठों, जमीदारों, पूंजीपतियों और राज्य सरकारों द्वारा जनता के साथ किए गए शोषण, जुल्म, अन्याय, जुल्मों सितम, भेदभाव और अत्याचारों का विरोध किया है। उनसे अदालतों के जरिए जनता को इंसाफ दिलाया है। दुनिया भर के वकीलों ने पीड़ित जनता को इंसाफ दिलाने के अनेक काम किए हैं। हम उनके कार्यों की सराहना करते हैं और हम यह पक्के रूप से कह सकते हैं कि अगर दुनिया में वकील नहीं होंगे तो गरीब, शोषित, पीड़ित, अभावग्रस्त और दबी कुचली हुई आम जनता को असली न्याय नहीं मिल सकता। हमारे देश और दुनिया में वकीलों द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों का विवरण इस प्रकार है,,,,
,,,मैंने क्रूर ताकत को दया,न्याय और समता से बदला है,
,,,मैंने मानवता को दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना सिखाया है,
,,,मैं सही मुद्दों का प्रवक्ता रहा हूं,
,,,मैं गरीबों, सजायाफ्ता, विधवा और अनाथों की वकालत करता रहा हूं,
,,,मैं अत्याचार, दमन शोषण और लालफीताशाही का दुश्मन रहा हूं,
,,,मैंने 10 अवश्यकरणीय आदेशों का रास्ता तैयार किया है,
,,,मैं स्वतंत्रता की घोषणा और मानवाधिकारों का रचियेता रहा हूं,
,,,मैंने गुलाम और दासों की वकालत की है,
,,,हर देश, हर समय में मैंने दुष्टों को सजा दिलवाई है, निर्दोषों की रक्षा की है, बर्बरता और अन्याय का हमेशा विरोध किया है,
,,,मैं हर एक युद्ध में आजादी के लिए लड़ा हूं,
,,,मैं बहुमत के अत्याचारों का विरोधी हूं,
,,,मैं अल्पमत की असहमति का हामी रहा हूं,
,,,मैं रंग,नस्ल, जाति, लिंग और धर्म की परवाह किए बगैर मानवता की समानता चाहता हूं,
,,,मैं धोखे से नफरत करता हूं,
,,,मैं न्याय करने में हर किस्म की लालफीताशाही और बहानेबाजी का विरोधी हूं,
,,,मैं हर संकट में मानवता का नेता रहा हूं,
,,,मैं न्याय प्रिय जज और न्यायी शासक रहा हूँ,
,,,मैं आलोचना करने से पहले सुनता हूं,
,,,मैं प्रत्येक में सर्वोत्तम की तलाश करता हूं,
,,,मैं निर्णय नही, न्याय में विश्वास करता हूं,
,,,मैं ठेका नहीं लेता, वकालत करता हूं,
,,,मैं मानवाधिकारों और जनवादी अधिकारों का प्रबल तम समर्थक हूं,
,,,मैं किसी भी तरह न्याय हो, मैं विश्वास करता हूं,
,,,मैं सर्व कल्याण में विश्वास रखता हूं,
,,,मैं क्रांतिकारी कानून का हिमायती हूं,
,,,मैं हमेशा क्रांतियों का पक्षधर रहा हूं,
,,,मैं कानून के शासन और कानून के कार्य में विश्वास रखता हूं,
,,,मैं जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पक्षधर हूं,
,,,मैं फिरकापरस्त, जातिवादी और यथास्थिति वादी नहीं हूं,
,,,मैं सस्ते, सुलभ और त्वरित न्याय का हामी हूं,
,,,मैं सर्वहित का पक्षधर हूं,
,,,मैं गुमराह नहीं करता,
,,,मेरे हथियार आलोचना, आत्मालोचना, तर्क, विष्लेशण, ज्ञान और विज्ञान हैं,
,,,मैं समानता, समता, न्याय और समाजवाद में विश्वास करता हूं,
मैं वकील यानी अधिवक्ता हूं।