अर्नब रे
डोनाल्ड ट्रंप वापस आ गए हैं और इस बार उन्होंने अमेरिकी चुनाव में पॉपुलर वोट भी जीता है। अब समय आ गया है कि प्रोग्रेसिव डेमोक्रेट्स दुख से उबरकर स्वीकृति की ओर बढ़ें, और अगर वे अगला चुनाव जीतना चाहते हैं तो उन्हें समझदारी दिखानी होगी।
आखिर ट्रंप जीतते क्यों हैं, और वो भी बढ़ते हुए अंतर से? एक बड़ा कारण है आइडेंटिटी पॉलिटिक्स का अमेरिका पर थोपा जाना, वो भी एक ऐसे देश पर जो व्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर बना है। फिल्मों, टीवी, बिजनेस, अखबारों, यूनिवर्सिटीज और अब तो सोशल मीडिया ने मिलकर इस विचार को अमेरिका की रूह में उतार दिया है। ये विचार अब यह तय करते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। इसीलिए एलोन मस्क ने ट्विटर (अब X) खरीदा था, ताकि इसके उलट एक नया नैरेटिव स्थापित किया जा सके। इतिहास ही बताएगा कि 2024 के चुनावों में उनकी क्या भूमिका रहेगी।
आइडेंटिटी पॉलिटिक्स क्या है?
आइडेंटिटी पॉलिटिक्स की बुनियाद यह है कि कुछ पहचानों को सम्मानित और आगे बढ़ाया जाना चाहिए, जबकि कुछ को नष्ट कर देना चाहिए। गलत पहचान वाले लोगों के लिए प्रायश्चित का एकमात्र तरीका है पीछे हट जाना, दूसरों को आगे बढ़ने देना और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना। जो कोई भी इस विचारधारा का विरोध करता है उसे ‘नाजी’, ‘श्वेत वर्चस्ववादी’, ‘जातिवादी’, ‘महिला विरोधी’ और ‘इंसेल’ जैसे लेबल लगाकर शर्मसार किया जाता है। सोशल मीडिया के इस दौर में, जो आपके फीड और सर्च को कंट्रोल करता है, वही सच्चाई को कंट्रोल करता है। चुप रहने का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि तटस्थ रहना मतलब बुराई का साथ देना माना जाता है।
पिछले चार सालों से डेमोक्रेट सत्ता में हैं, फिर भी सिर्फ ट्रंप और उनके परिवार पर निशाना साधा गया। बाइडेन-हैरिस की सबसे ज्यादा आलोचना उनकी उम्र और हंसी को लेकर की जाती है। चुनाव से पहले सैटरडे नाइट लाइव के एपिसोड में खुद कमला हैरिस शामिल हुई थीं, जहां उनका गुणगान किया गया। दूसरी तरफ, ट्रंप का हर चैनल पर मजाक उड़ाया जाता था, न सिर्फ उनकी बातों या कामों का, बल्कि उनके वजन और उनके जननांगों के आकार का भी। लेकिन कोई भी दूसरी तरफ के लोगों के बारे में ऐसा मजाक करने की हिम्मत नहीं करेगा।
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