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संघ की बी टीम का यू टर्न

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सुसंस्कृति परिहार

लोग परेशान हैं कि जिनको कांग्रेस भाजपा की पक्षधर मानती रही वे सब आज राहुलगांधी के निलंबन और अडानी के साथ ईडी सीबीआई का विरोध कर रहे हैं।तो जनाब माजरा ये है कि संघ मोदी के सख़्त खिलाफ है क्योंकि उसने मोदी लाबी के ज़रिए नागपुर यानि संघ के साथ धोखा किया है आपको उन दिनों की याद होगी जब लोकमत समाचार पत्र नागपुर ने एक खबर बिना केन्द्रीय मंत्री का नाम दिए दी थी कि वे चाहें तो 252सदस्यों के साथ केन्द्र सरकार गिरा सकते हैं।यह तो जाहिरा तौर पर सरकार समझ गई कि यह किसका काम था तब से वे मंत्री अपने कार्य के लिए सरकार जितनी धनराशि मांगते हैं मंजूर हो जाती है।आम लोग भी इन्हें  सड़क गडकरी के नाम से जानते हैंऔर उनके काम से संतुष्ट हैं।यही से मोदी शाह के रिश्ते बिगड़े होने का प्रथम संदेश मिलता है।अब दिक्कत यह थी कि अगर मोदीशाह के बिना सरकार बनानी है तो भविष्य के समर्थन के लिए कुछ दलों का सहयोग लेना होगा तभी से आप पार्टी का तेजी से उन्नयन हुआ वह राष्ट्रीय पार्टी बनने की ओर है उसे संघ का भरपूर सहयोग प्राप्त है।ममता बनर्जी को भी संघ का अप्रत्यक्ष सहयोग भाजपा के ज़रिए मिल रहा था। इसलिए उनके तेवर  कांग्रेस के सख़्त खिलाफ रहे।

उधर संघ से खफ़ा मोदीशाह सरकार ने जब  आप पार्टी के खिलाफ ईडी सीबीआई आईबी की चढ़ाई शुरू की तो सत्येन्द्र मामले में ये चुप साध गए किंतु मनीष सिसोदिया पर हुई कार्रवाई ने इन्हें बग़ावत करने मजबूर कर दिया दूसरी ओर ममता को भी परेशान किया गया।वे कम लेकिन उनकी सांसद महुआ मोइत्रा तीखे अंदाज में मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करती रही।ये संघ की मजबूत कहीं जाने वाली बी टीमें थी।छुट पुट जो और भी हैं वे मौके की तलाश में हैं क्योंकि मोदी से सबका मोह भंग हुआ है। मायावती की पार्टी जैसी कुछ पार्टियां ऐसी हैं वे तब तक इनके साथ रहेंगी जब तक वे उनके आपराधिक मामले दबाए हुए हैं।

इस बीच कांग्रेस अकेली पार्टी रही जिसके नेता राहुल गांधी ने खुलकर संघ और भाजपा के खिलाफ सदन में बोलने का साहस किया। मनोज झा और संजय सिंह सदन को झकझोरते रहे लेकिन अब उनकी दहाड़ सुनाई देने लगी है।बाकी नेता तब भी मौन रहे जब ईडी सोनिया जी और राहुल गांधी को परेशान करती रही सब चुप रहे किंतु जब खुद पर बन आई तब मुखर हुए। लालू यादव के परिवार को ईडी सताती रही प्रायः कोई दल नहीं बोला। राहुल गांधी का अडानी की जांच की मांग वाला भाषण सदन की कार्रवाई से निकाल दिया गया तब भी सब चुप रहे लेकिन एक पुराने चुनावी भाषण के आधार पर जब राहुल गांधी को सजा सुनाई गई तब जाके अपने पर गहराता संकट इन्हें मजबूर किया है। संघ चूंकि गुजरात लाबी को हटाना चाहता है इसलिए सबसे ज्यादा दम खम वाली पार्टी को समर्थन देना आज संघ की मजबूरी है क्योंकि कांग्रेस ही इस वक्त एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। तो एनडीए के घटक दल पट्टालि मक्कल काची ने भी राहुल के समर्थन की घोषणा कर दी है।सबसे बड़ी बात यह है कि जिस तरह राहुल को एक मामूली बयान पर सजा सुनाई गई है उससे बड़े गंभीर मामले मोदीशाह और उनके मंत्रियों पर लगाने कांग्रेस तैयार है।जिससे सरकार की नींद उड़ गई है

विपक्ष के 18 दल जिस तरह मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हुए हैं और अन्य दलों में जो सरकार का विरोध देखा जा रहा है उससे यह तो पुख्ता हो ही रहा है कि मोदी सरकार की ज़मीन खिसक रही है।अब इसलिए संघ की बी टीमों की सक्रियता निरंतर बढ़ चली है ।संघ का मुस्लिमों के प्रति रवैया बदलना और उनके पालित पोषित कथावाचकों का मुस्लिमों के आव्हान पर कथा प्रवचन देने जाना यह इशारा  कर रहा है कि संघ भी अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी के साथ खड़ा हो रहा है। राहुल गांधी की ताकत और साहस को जनता का व्यापक समर्थन नई चुनावी रणनीति की संभावना के रूप में भी देखा जाने लगा है।संघ की बी टीम का यू टर्न अनायास नहीं बल्कि मोदी सरकार की दमनकारी नीति के साथ ही संघ की इज़ाजत से हो रहा है। निश्चित तौर पर यह राजनीति में नए गुल खिलाएगा मोदी  बिदाई की यह भी संभावना बनती दिख रही है कि सरकार को कहीं समय से पूर्व हटने को कहा जाए और संयुक्त दलों की सरकार बन जाए।

बहरहाल देश को तानाशाही से मुक्ति चाहिए और उसकी सभी मुक्ति दलों की जागरूकता और एकता में ही है जिसकी ओर कदम बढ़ रहे हैं यह सुखद है।

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