@राजेश ज्वेल
बेशक मेरी कर्मस्थली इंदौर है लेकिन जन्मस्थली उज्जैन है … यानि गर्भनाल नाता … माताराम उज्जैन में ही रहती है.. क्योंकि बाबा महाकाल की भस्म आरती में पिछले 30 सालों से जा रहीं है और बाबा छूटते नहीं…यह भी संयोग है कि बाबा महाकाल की नगरी के ही बाशिंदे डॉ मोहन यादव अब प्रदेश के मुख्यमंत्री है…अभी भोपाल में आईएएस मित्र मनीष सिंह के बेटे के विवाह समारोह में मुख्यमंत्री से भेंट के दौरान उज्जैन के कुछ स्मरण सांझा हुए… पिताजी के विद्यार्थी रहे मुख्यमंत्री ने बड़ी आत्मीयता के साथ उन्हें याद किया… चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री में उज्जैन के विकास को लेकर एक जज्बा और जुनून नज़र आया..
.जो अपने गृह जिले के लिए होना भी चाहिए.. हमेशा यह कहा जाता रहा कि उज्जैन का विकास इंदौर के कारण नहीं हो पाया क्योंकि पड़ोसी शहर होने के कारण ज्यादा इंदौर के हिस्से आया और उज्जैन को धार्मिक नगरी के साथ कस्बाई मानसिकता वाला छोटा और पेंशनरों का शहर मान लिया गया..लेकिन महाकाल लोक के बाद उज्जैन की काया पलट शुरू हुई.. इंदौर से उज्जैन के बीच अनेकों टाउनशिप ,होटल ,रेस्टोरेंट और अन्य प्रोजेक्ट धड़ल्ले से आने लगे…मुख्यमंत्री से उज्जैन में आयोजित हो रही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और व्यापार मेले पर भी चर्चा हुई..
उन्होंने बताया कि इंदौर और उज्जैन को ट्विन सिटी कॉन्सेप्ट पर विकसित करेंगे.. इंदौर- उज्जैन के बीच वंदे भारत से भी कनेक्टिविटी आसान होगी और वर्तमान फोर लेन रोड को भी सिक्स लेन किया जा रहा है… मूल उज्जैनी होने के नाते मुझे भी इस बात को लेकर गर्व महसूस हुआ कि अब उज्जैन की बारी है विकास के हाइवे पर दौड़ने की क्योंकि उसकी गाड़ी का स्टेयरिंग डॉ मोहन यादव के सधे हाथों में है… विक्रम उत्सव का भव्य आयोजन, समिट और व्यापार मेला उज्जैन में उद्यमी और निवेशकों को आकर्षित करेंगे.. बाबा महांकाल की नगरी अब संभावनाओं के नए द्वार खोलने जा रहीं है.. जिसका आरम्भ हो चुका है.. 2028 का सिंहस्थ भी भव्य होगा.. जो अब तक के सबसे बड़े धार्मिक समागम का उदाहरण बनेगा … जय महांकाल…