-सुसंस्कृति परिहार
राज्य सभा में बाकायदा चुनाव के बाद सदन में पहुंची सांसद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आ जाने पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मामा को आपत्ति है उनका कहना है कि कांग्रेस की बुरी हालत देखकर सोनिया जी ने बैकडोर से एंट्री ली है जबकि सोनिया जी ने रायबरेली की जनता को पत्र लिखकर इस बात का खुलासा किया है कि वे अस्वस्थ होने की वजह से अपने प्रिय संसदीय क्षेत्र को छोड़ रही हैं।हम सब जानते हैं सोनिया जी लंबे समय से अस्वस्थता से जूझ रही हैं। राज्यसभा में जाकर वे देश के विकास कार्यों का हमेशा की तरह समर्थन करेंगी तथा जनविरोधी मसलों पर सख्त विरोध प्रकट करती रहेंगी। यह उनकी देश के प्रति निष्ठा का प्रतीक है।यह मामा को रास नहीं आया और बेतुकी बात कहकर उन्होंने अपना सम्मान घटाया है।
मामा को याद रखना चाहिए कि मोदीजी की 2014 की पहली सरकार में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन जैसा महत्वपूर्ण विभाग बैकडोर एंट्री से ही दिया गया था।यह क्या था? जबकि अमेठी संसदीय सीट से वे राहुल गांधी से एक लाख से अधिक मतों से हारीं थीं ।ठीक इसी तरह कांग्रेस से अपने ही गढ़ से लोकसभा चुनाव हारे प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश सरकार गिराने का इनाम भाजपा ने राज्यसभा सांसद और फिर उड्डयन मंत्री बनाकर दिया ।ये बैकडोर एंट्री ही तो थी। दोनों हट्टे कट्टे जवान थे।ऐसा इससे पहले राज्य सभा में नहीं हुआ।
इससे पहले आमतौर पर राज्यसभा में उम्रदराज अनुभवी व्यक्ति ही भेजे जाते रहे हैं।याद करिए देश विदेश के लब्धप्रतिष्ठित अर्थशास्त्री उम्रदराज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह जी को राज्य सभा से मनोनीत कर उन्हें कांग्रेस सरकार ने अभूतपूर्व सम्मान दो बार प्रधानमंत्री बनाकर दिया था। लगभग ऐसी ही परिस्थितियों में सोनिया के त्याग , तपस्या और मेहनत को सलाम करने सोनिया जी को राज्य सभा कांग्रेस ने भेजा है। दोनों में फ़र्क महसूस करिए मामाजी।जबरिया गांधी परिवार की महान शख्सियत सोनिया जी के ख़िलाफ़ बोलकर संघ की नज़रों में अच्छा बनने की कोशिश मत कीजिए। सोनिया जी को देश ही नहीं सारी दुनियां सलाम करती है।
जबकि मध्यप्रदेश में मामा की लोकप्रियता से परेशान सरकार ने उन्हें संसद में आते संकट को देखते हुए विदिशा से प्रत्याशी बनाया है जबकि उनकी राजनीति की शुरुआत एक सांसद की हैसियत से ही हुई है। मध्यप्रदेश की जनता उन्हें प्रधानमंत्री देखने आतुर है लेकिन क्या आपको लगता है वे इस पद पर बैठ पाएंगे।ये चुनाव जीतने का एक हथकंडा है। मोदी की तरह मामा भी लोगों को नाटकीय अंदाज से आकर्षित करने में माहिर है महिलाओं को लाड़ली बहना बना उससे पूरा फायदा लिया और अब पुनः फायदा लिया जाएगा।इतना ही नहीं वे अनेकों भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त रहे हैं जिनमें डम्फर कांड और व्यापम ऐसे मामले हैं जो कभी भी खुल सकते हैं यही डर और दहशत है जो सोनिया गांधी को उल्टा सीधा बोलने बाध्य करती है।सच्चा व्यक्ति डरता नहीं है। हेमंत सोरेन बनना आसान नहीं। राहुल गांधी को मिल रही लोकप्रियता की वजह उनका निडरतापूर्वक अन्यान्य के विरुद्ध खड़ा होना है।आज जो रात-दिन मोदीराग अलाप रहे हैं निश्चित तौर पर वे सब ख़तरे से डरे बुज़दिल लोग हैं।इसकी एक झलक इलेक्टोरल बांड खरीदारी में देखने मिल गई है। मामा का सोनिया गांधी जी पर बैकडोर एंट्री का कथन उनकी कमज़ोरी प्रदर्शित करता है। ऐसे ही चरण वंदन और हांजू हांजू करने वाले लोगों ने आज लोकतांत्रिक व्यवस्था को फासीवादी ताकतों को सौंप रखा है। आइए निडर बने तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुरक्षित रखने संकल्पित हों।