वस्तु-ज्योतिषविद पवन कुमार
हवन में विभिन्न प्रकार की औषधियों से बनी सामग्री डाली जाती है। इन औषधियों के भिन्न भिन्न लाभ हैं।
(१.) सुगन्धित द्रव्य :
हवन में विभिन्न सुगन्धित द्रव्य डाले जाते हैं, उनमें एक है केसर.
जब मद्रास में प्लेग फैल रहा था तब डॉ. किंग आई. एम. एस. ने हिन्दू विद्यार्थियों को उपदेश दिया था कि तुम घी और केसर से हवन करो, तो महामारी (प्लेग) का नाश हो सकता है।
श्वेत चन्दन का तेल निकाल कर सुजाक और आतशक जैसे भयंकर रोगों में उनके विष का निवारण करने के लिए अमेरिका के कई डॉक्टर तथा भारत के वैद्य उसका उपयोग करते हैं।
तुलसी के लिए प्रसिद्ध ही है कि यह मलेरिया दोष को दूर करती है। पंढरपुर में बिठोवा के मन्दिर के आस-पास इतनी तुलसी लगी हुई है कि वहाँ मलेरिया कभी नहीं होता।
(२.) उत्तम पदार्थ :
उत्तम पदार्थ घी, दूध, फल आदि हैं।
घृत, दूध, फल कन्द आदि पुष्टिकारक पदार्थ हैं। सुन्धित तथा पुष्टिकारक पदार्थ यदि बिना घृत मिलाए अग्नि में जलाएँ जाएँ तो उनकी सुगन्धि तथा पुष्टि में तीव्रता और सुखापन होने से जुकाम आदि रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
यदि सामग्री में घी मिलाकर अच्छी तरह से मसल दिया जाए और उससे आहुति की जाए तो उससे जुकाम आदि रोग नहीं हो सकता। घी का दूसरा अपूर्व गुण यह है कि यह विषनाशक है।
इसके अतिरिक्त यह अग्नि प्रदीप्त करता है। दूध, बादाम, केला, नाशपाती, सेव, नारियल का तेल आदि पुष्टिकारक वस्तुएँ हैं, जिनके जलाने से मिष्ट के अणु वायु में फैलकर जहाँ अनेक रोगों को दूर करते हैं, वहाँ पुष्टि भी करते हैं।
(३.) मधुर पदार्थ :
हवन में मीठे पदार्थ भी डाले जाते हैं। इनसे बहुत लाभ हैं—“गुड, शक्कर, शहद, छुहारे, दाख आदि मधुर पदार्थ हैं। सुगन्धित पदार्थों के साथ सृष्टि में मिठास भी रहती है।
सुगन्धित पुष्पों पर मधुमक्खी फूलों की मिठास लेने आती है। गुड, खांड, मिश्री के जलने से मन्द-मन्द मीठी सुगन्धि और भी रोचक हो जाती है। आग में शक्कर जलाने से “फीवर” नहीं होता।