अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

विपक्षी दलों की एकजुटता आशा की बहुत बड़ी किरण 

Share

मुनेश त्यागी 

        कल पटना में भारत के 17 विपक्षी दल बैठक करके एकजुट हुए। इस बैठक में भाजपा से एकजुट संघर्ष का फैसला लिया गया और सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने मतभेदों को भुलाकर भाजपा के खिलाफ साझा संघर्ष का ऐलान किया। बैठक में सहमति बनी कि भाजपा से राज्यों के स्तर पर एकजुट होकर लड़ाई लड़ी जाएगी और एकजुट होकर, काम करने और चुनाव लड़ने का फैसला किया गया।

       विपक्षी एकता का यह सम्मेलन एक और  जन आंदोलन बनने की तरफ जा रहा है। इसमें कहा गया है कि अधिकांश विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर, एक साथ लड़ाई के मैदान में उतरेंगी। बैठक में कहा गया कि गांधी के मुल्क को  हत्यारे गोडसे का मुल्क नहीं बनने दिया जाएगा और गांधी के मुल्क को एक साथ रखने के लिए, सारी विपक्षी पार्टियां एक साथ होकर संघर्ष करेंगी। इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया 

      बैठक में कहा गया कि भाजपा को जीतने नहीं दिया जाएगा और भाजपा जो इस देश का इतिहास बदल कर, इसे सांप्रदायिक और  मनुवादी मुल्क बनाना चाहती है, उसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा और बीजेपी और आरएसएस जो हिंदुस्तान की नींव पर हमला कर रहे हैं, उन्हें किसी भी दशा में सफल नहीं होने दिया जाएगा।

      बैठक में कहा गया कि यह भारत को एक रखने की और एक विचारधारा की लड़ाई है। इसके लिए हम सब लोग अपने मतभेदों को दूर करके एकजुट होकर लड़ेंगे। बैठक में भाजपा के हमलों को संविधान, लोकतंत्र, जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी मूल्यों पर खुला बताया गया और हम लोग इन जनविरोधी और देशविरोधी हमलों को हर हालत में नाकारा करके, एकजुट होकर संघर्ष करेंगे।

       यहां पर याद रखने की जरूरत है कि यह साझा संघर्ष भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को बचाने और आगे बढ़ाने की एकजुट लड़ाई का संकल्प है जो भारत के इतिहास में विपक्षी एकता की बहुत बड़ी उपलब्धि का इतिहास है। विपक्षी दलों की इस अभूतपूर्व एकजुटता से उम्मीद की जा रही है कि यह एकजुट संघर्ष, भारत की जनता पर किए जा रहे पूंजीवादी हमलों से, उसकी रक्षा करेगा।

     भारत के स्वतंत्रता संग्राम में, उस समय की सारी संप्रदायिक ताकतें, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ थीं और वे अंग्रेजों के साथ मिलकर, आजादी की लड़ाई का विरोध कर रही थीं और अंग्रेजों के साथ थीं। आजादी के 75 साल के बाद भी ये सारी की सारी सांप्रदायिकता ताकतें आज भी भारत की जनता की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आजादी के खिलाफ हैं और उसकी मिली-जुली संस्कृति को नेशनाबूद करने पर आमादा हैं।

        भाजपा और उसके लोग सोच रहे थे कि विपक्षी ताकतों को एकजुटता की इस लड़ाई में कोई सफलता मिलने वाली नहीं है। मगर विपक्षी एकता की एकजुट संघर्ष के फैसले को लेकर भाजपा, विपक्ष की इस एकजुट कामयाबी पर बोखला गई है और पूरी तरह से खीज पर उतर आई है और वह विपक्ष के इस साझा संघर्ष का मखौल उड़ाने पर आमादा हो गई है।

     भाजपा के लोग और नेता इस विपक्षी एकता को बिन दूल्हे की बारात बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि यहां सब दुल्हें हैं, बराती कोई नहीं। तो कोई इसे केवल एक फोटो सेशन बता रहा है। जेपी नड्डा ने इसे आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस के साथ गलबहियां करने की बात कही है। मगर वे यह नहीं बता रहे कि आपातकाल में तो जनसंघ भी विपक्ष के साथ थी, तो फिर सारे विपक्ष ने तब की जनसंघ और आज की भाजपा को क्यों त्याग दिया है? क्यों किनारे कर दिया और सारा विपक्ष अपने सारे मतभेद भुलाकर, अब उसके खिलाफ एकजुट क्यों हो गया है?

       आज भाजपा आपातकाल की तो बात कर रही है, मगर उसने जो बिना आपातकाल के ही संविधान, जनतंत्र, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी मूल्यों और गंगा जमुनी तहजीब और साझी संस्कृति की हत्या कर दी है, संवैधानिक मूल्यों का जो पूरी तरह से निषेध कर दिया है और अमीरी गरीबी की बढ़ती खाई को जो अविश्वसनीय रूप दे दिया है, इस पर भाजपा कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। भारत की जनता को, किसानों मजदूरों को, नौजवानों को, जिस तरह से गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, शोषण जुल्म, अन्याय और हिंदू मुस्लिम नफरत की चक्की में पीसा जा रहा है, इन सब पर भाजपा कुछ भी बोलने को या बात करने को तैयार नहीं है।

      पटना में हुई इस बैठक में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, मलिकार्जुन खडगे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, शरद पवार, सीताराम येचुरी, डी राजा, उमर अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, हेमंत सोरेन, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, महबूबा मुफ्ती, तेजस्वी यादव, समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए।

       विपक्षी एकता की एकजुट लड़ाई का यह फैसला बहुत बड़ी आशा की किरण है। कुछ दिन पहले जहां लोग सोच रहे थे कि भाजपा की इन देश विरोधी नीतियों का सामना कैसे किया जाएगा? कैसे इस देश की जनता को, किसानों मजदूरों नौजवानों को, जन विरोधी नीतियों से बचाया जाएगा? कैसे आजादी की लड़ाई के जनहितकारी मूल्यों को सुरक्षित रखा रखा जाएगा? उन सबके लिए यह एक बहुत बड़ी दिलासा की बात है और बहुत बड़ी आशा की किरण है।

       विपक्षी एकजुट लड़ाई के ऐलान से इस देश के किसानों मजदूरों नौजवानों में आशा जगेगी कि अब किसानों से उनकी जमीन नहीं  छीनी जाएगी, उन्हें उनकी फसलों का वाजिब दाम दिया जाएगा, पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जायेगी, सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों और मजदूरों को आधुनिक गुलाम नहीं बनाया जाएगा और इस देश के बेकार नौजवानों को वाजिब रोजगार मुहैया कराए जाएंगे और उन्हें आधुनिक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं, वाजिब मूल्य पर मोहिया कराई जाएंगी।

      अब जनता सकारात्मक रूप से सोचने को मजबूर हो जाएगी कि वह देशी विदेशी पूंजीपतियों की रक्षक, इस बीजेपी सरकार को सत्ता से अलग यानी सत्ता से बाहर कर दें और “जनमुक्ति के कार्यक्रम” पर आधारित विपक्षी एकता की सरकार को सत्तारूढ़ करे, जो भारत के संविधान, धर्मनिरपेक्षता, जनतंत्र, गणतंत्र, समाजवादी मूल्यों और साझी संस्कृति की हिफाजत करेगी, जो जनता द्वारा सामना की जा रही विभिन्न बुनियादी समस्याओं से निजात दिलाएगी। देश की पूरी जनता के लिए यह विपक्षी एकजुटता एक बहुत बड़ी आशा की किरण है। सच में विपक्ष की यह एकजुटता, भाजपा की नींद हराम करने जा है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें