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समय का वैदिक, मेडिकली और वैज्ञानिक बेस 

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     डॉ. विकास मानव 

    शिव पुराण में शिव पार्वती को बताते हैं कि अगर वे अपने नेत्र बंद कर लें तो संसार की गति रुक जाएगी , अगर गति रुक गई तो घटनाक्रम रुक जाएगा, अगर घटनाक्रम रुक गया तो समय का चलना बंद हो जाएगा। 

     शिव कहते हैं कि समय की गति हर किसी के लिए एक समान नहीं होती। समय की गति उसके ब्रह्माण्ड में वह किस स्थिति या अवस्था में है यह उस पर निर्भर करती है। इसलिए वे कहते हैं की अगर वे आंखे बंद कर लें तो ब्रह्माण्ड नष्ट हो जाएगा।

      यही समय की परिभाषा है हमारे वेदों के अनुसार।

   अल्बर्ट आइंस्टीन की स्पेशल theory of relativity के अनुसार समय किन्हीं दो घटनाओं के बीच का अंतर महसूस करवाता है। एक ही तरह की एक ही स्थान पर होने वाली दो घटनाओं में जो अंतराल होता है वहीं समय है। 

     मान लो किसी ने एक ही स्थान पर अलग समय पर एक पटाखा चलाया तो उसके आस पास के लोगों के लिए यह अलग अलग समय पर होने वाली दो अलग अलग घटनाए है। परन्तु एक स्पेस शिप में किसी विशेष गति से जा रहे व्यक्ति के लिए यह एक ही घटना हो सकती  है।

     समय का अंतराल कितना है यह महसूस करना हमारे ब्रह्माण्ड में स्थिति और गति पर निर्भर करता है। एक तरह से समय कौन सा है यह ब्रह्माण्ड में हमारी गति और स्थिति पर निर्भर करता है। अगर गति रुक जाए तो किन्हीं दो घटनाओं के बीच का समय अंतराल शून्य हो जाएगा। 

    या न्यूनतम हो जाएगा। अर्थात सारे इवेंट्स एक दूसरे में समा जाएंगे। मतलब शून्य की स्थिति हो जाएगी। अर्थात ब्रह्माण्ड नष्ट हो जाएगा।

   इस प्रकार से देखें तो आइंस्टीन की स्पेशल theory of relativity वैदिक दर्शन से मेल खाती है। 

  अब समय के मेडिकल पहलू पर आते है, जिसका संबंध हमारी आयु और जीवन और जीवन में आने वाली बीमारियों से है।

      मनुष्य की एक सिंगल कोशिका में लगभग 2 मीटर dna chain होती है। उसमे लगभग  30 बिलियन base pair होते हैं, जिनसे यह निश्चित होता है कि किसके शरीर कि प्रोटीन या समझ लो मांस इत्यादि किस प्रकार का बनेगा। मनुष्य के अलावा और भी जितने जानवर होते है उनकी आयु भी उनकी कोशिका में डीएनए चेन की लंबाई पर निर्भर करती है।

     लंबाई ज्यादा तो आयु भी ज्यादा। जैसे मनुष्य कि आयु 100 वर्ष पर कुत्ते कि आयु 12 वर्ष।  

      यह डीएनए चेन पूरी खुली नहीं होती जैसे कोई धागा अलग अलग गोलो में लिपटा होता है और दो गोलों के बीच कुछ धागे का हिस्सा खुला होता है। या जैसे कोई व्यक्ति एक गोले का धागा खोलते हुए उसे दूसरे गोले में लपेट रहा हो और बीच में कुछ धागा खुला हो। 

      इसी तरह से डीएनए चेन भी octamer हिस्टोन पर लिपटी होती है और बीच में कुछ डीएनए चेन का हिस्सा खुला होता है। इस खुले हिस्से में जो डीएनए कोड होता है हमारे शरीर की प्रोटीन उसी कोड के अनुसार बनती है। 

    उस समय हमारे शरीर की सारी स्थिति उसी प्रोटीन के अनुसार निर्धारित होती है। कौन सी बीमारी या संरचना होगी इसी पर निर्भर करता है।

  अब dna chain का खुलना और हिस्टोन पर लिपटना हमारी ब्रह्माण्ड में गति और स्थिति पर निर्भर करता है। 

  इसी तथ्य को ज्योतिष में ग्रह स्थिति और नक्षत्रों कि गति से जोड़ कर देखने के तरीके को ही ज्योतिष विद्या कहते हैं। 

     इसीलए किसी ग्रह का जो प्रभाव आज से 10000 वर्ष पूर्व होता था आज वह अलग होगा। क्योंकि इन वर्षों में ब्रह्माण्ड में हमारा सोलर सिस्टम उस स्थान पर नहीं है जहां 10000 वर्ष पूर्व था क्योंकि हमारा सोलर सिस्टम गैलक्सी की ब्रह्माण्ड कि स्थिति और गति बदलने के साथ ही अपनी स्थिति और गति भी बदल चुका है। 

  लेकिन हमारे शास्त्रों में अनेक ऐसी विधियां है जिससे मन को स्थितप्रग करके समय के आगे पीछे देखा जा सकता है।

अगर कोई वस्तु absolute sapce के मुकाबले बिल्कुल स्थिर हो जाए तो समय भी रुक जाएगा। अर्थात समय का अंतराल आपके सौ साल का समय भी एक सेकंड कम समय में बीत सकता है। इससे क्या होगा जो घटनाएं सौ साल की अवधि में अलग अलग समय पर आप महसूस करने के बजाय एक सेकंड से कम समय में महसूस कर लेंगे अर्थात सारी घटनाए एक दूसरे में समा जाएंगी अर्थात घटनाक्रम रुक जाएगा।

       लेकिन इसके अलावा समय का चलना एक और वस्तु पर भी निर्भर होता है वह है हमारे विचार और सोच। हमारे विचार और सोच हमारे दिमाग की कोशिकाओं के डीएनए की mutation पर निर्भर करते हैं। और दिमाग की कोशिकाओं के डीएनए किस प्रकार से mutate करते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि हम किस जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति में उत्पन हुए है और वर्तमान में कौन सी दशा और अंतर्दशा चली है।

       अब जो ऐसी वस्तु जो नापी भी जा सके जिसका भौतिक अस्तित्व भी हो वह वस्तु सबके लिए समान होती है। जैसे एक किलो भार आलू आपके लिए भी उतने ही होंगे जितने मेरे लिए। आलू की एक किलो भार मात्रा आपकी या मेरी सोच और विचारों पर निर्भेर नहीं करती। लेकिन हां अगर हमारी अगर फ्रेम ऑफ रेफरेंस अलग अलग हो तो एक किलो भार मात्रा में आलू मेरे लिए अलग आपके लिए अलग हो सकते है। 

      जैसे एक कमरे में रखा टेबल मेरे लिए और आपके लिए स्थिर अवस्था में है अगर हम दोनों पृथ्वी पर ही है। लेकिन अगर मैं पृथ्वी पर और आप चांद पर हों तो वहीं टेबल मेरे लिए स्थिर अवस्था में और आपके लिए गतिशील अवस्था में होगा। क्योंकि मै टेबल की तुलना पृथ्वी की बाकी चीजों से कर रहा हूं मतलब मेरी फ्रेम ऑफ रेफरेंस पृथ्वी है और आपकी चन्द्रमा। 

       लेकिन समय एक ऐसी चीज है जो नापी भी का सकती है लेकिन फिर भी अपने अपने विचारों और सोच और जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति के अनुसार सबके लिए अलग अलग हो सकता है। जबकि आप और दूसरा व्यक्ति एक ही फ्रेम ऑफ रेफरेंस में है। 

       अब जो वस्तु सोच और विचार और जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति पर निर्भर करे वह वस्तु को भ्रम या इल्ल्यूजन कहते हैं। 

       जेट लेग भी सिर्फ आपके दिमाग सोच का ही भ्रम या इल्यूजन होता है जो सिर्फ समय के विरूद्ध या पृथ्वी कि गति के विरुद्ध की गई आपकी अपनी गति के कारण उत्पन होता है। 

   इसलिए वेद पुराणों में समय को माया का भ्रम या इल्यूजन कहा गया है। जो व्यक्ति माया के इस भ्रम या इल्यूजन को समझ ले वह व्यक्ति सुख दुख से उपर उठ जाता है। 

     जैसे भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन को जीवन मृत्यु के इस भ्रम या इल्यूजन के रहस्य को समझा कर अर्जुन को शोक से मुक्त करते हैं। जन्म और मृत्यु भी एक भ्रम या इल्यूजन ही है। माया ने इस भ्रम या इल्यूजन में हर जीव को उलझा रखा है। 

      ज्योतिष और वैदिक ज्ञान से आपके दिमाग की कोशिकाओं के डीएनए का मूटेशन पृथ्वी की ब्रह्माण्ड में गति के अनुकूल स्थापित किया जा सकता है जिससे पृथ्वी कि गति ब्रह्माण्ड में जिस प्रकार है अगर उसी गति या फ्रीक्वेंसी से मैचिंग बनी रहे तो आप rasonance महसूस कर लेंगे और सुखी महसूस करेंगे लेकिन अगर आप की यह rasonanace बिगड़ जाए तो आप दुखी महसूस करेंगे। 

      अगर कोई व्यक्ति अपनी ध्यान शक्ति से अपनी मानसिक स्थिति को एब्सोल्यूट स्पेस की शून्य गति की फ्रीक्वेंसी से मैच कर पाए तो वह कई सौ सालों के होने वाले घटनाक्रमों को कुछ सेकंड में अपने मन में महसूस कर सकता है और अच्छा भविष्यवक्ता बन सकता है।

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