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90 के दशक तक भारत और चीन लगभग समान अर्थव्यवस्था एवं स्थितियों में थे, किंतु क्या हुआ कि पिछले 35 सालों में चीन भारत से 10 गुना एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था एवं-विश्व निर्माण में लगभग 26% के साथ सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर और जल्दी ही अमेरिका को पछाड़कर प्रथम अर्थव्यवस्था बन जाएगा। साथ ही साथ सैन्य क्षमता में भी विश्व का सुपर पावर बन चुका है। आज स्थिति यह है कि अमेरिका चीन के आगे मिमियाने लगा है, यह परिवर्तन कैसे आया जबकि भारत भी इस अवस्था से चलकर ठीक विपरीत दिशा में चला गया। आज भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्ण असफलता की ओर बढ़ रही है। साथ ही साथ अन्य मामलों में भी देश की रैंकिंग नीचे से नीचे होती जा रही है। इन सब का मूल कारण है चीन का अपनी आबादी को सही दिशा में ले जाना। शिक्षा, स्किल एवं उद्योग की ओर गतिमान एवं विकास को ही अपना लक्ष्य निर्धारित करने के कारण आज चीन यहां आ पहुंचा है और हम लोग 90 के दशक के बाद केवल मंदिर-मस्जिद और हिंदू-मुस्लिम मुद्दे के कारण देश के स्वर्णिम 35 साल बर्बाद कर दीजिए। जबकि भारत की युवा आबादी विश्व में सबसे अधिक है, उसके उपरांत भी हम नीचे गिर रहे हैं। केवल मंदिर-मस्जिद और हिंदू-मुस्लिम विवाद के कारण।
जब देश इस दशा दिशा में जा सकता है तो फिर वक़्फ संशोधन बिल के कारण जब हर शहर में एक अयोध्या सजेगी और रोज़ देश में हर दिन नया एक मुद्दा खड़ा होगा तो देश के एक-एक नगर एवं क्षेत्र का क्या हाल होगा? हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
राजनीतिक पार्टियां हर जिला, नगर एवं गांव में भी कोई ना कोई मुद्दा खड़ा कर लेगी और लोगों को आपस में विभाजित करके अपनी रोटियां सेकती रहेगी और देश विभाजित होता चला जाएगा।
हमारी आने वाली पीढ़ियां इन्हीं राजनीतिक विवादों की बलि चढ़ जाएगी। और देश का सारा युवा बाल आपस में ही उलझ कर रह जाएगा।
वक़्फ संशोधन बिल के बाद सत्ता यही नहीं रुकेगी बल्कि
निश्चित रूप से जब कोई सत्ता देश के किसी एक समुदाय को प्रताड़ित करती है तो वही तौर तरीके वह फिर अन्य समुदाय के साथ भी अपनाती है और यहां तक कि जब उसके अपने लोग ही उनके विरोध में आते हैं तो वह यही हथकंडे उनके साथ भी अपनाती है।
वक्फ संशोधन बिल के बाद अन्य अल्पसंख्यक एवं निर्बल समुदायों के साथ भी यही सब कुछ होगा और अंत में हम बहुसंख्यक समुदाय जिसकी मंदिरों की संख्या लगभग वक्फ से चार गुणा एवं भूमि 27 लाख एकड़ से अधिक है पर भी यही सब कुछ होने वाला है। किसानों की ज़मीन के संबंध में हम लोग यही सब कुछ देख चुके हैं। अब समय आ गया है कि भारत की सिविल सोसाइटी एवं अन्य बौद्धिक लोग उठ खड़े हो और देश को अंधकार के एक नए युग में जाने से बचा ले।
क्योंकि अगर केवल एक समुदाय विशेष इसे धार्मिक रूप से बचाने में लगा रहा तो राजनीतिक लोग इस पर रोटियां सेकने लगेंगे, इसे दो समुदायों का धार्मिक मामला बना देंगे। जैसा कि गोदी मीडिया एवं आईटी सेल ने कुषि बिल को सिख वर्सेस हिंदू का मैटर बनाने का प्रयास किया। किंतु समय पर जाट समुदाय ने इसे संभाल लिया। वक्फ बिल मूलत एक राजनीतिक मामला है और हम सबको चाहिए कि हम इसे केवल एक समुदाय विशेष के भरोसे ना छोड़ें, अन्यथा हम ऐतिहासिक रूप से वह गलती कर जाएंगे जो यूरोप ने चर्च को अपना सर्वेसर्वा बनाकर की थी, जिसके कारण 1000 साल तक यूरोप के अंदर बर्बर मध्य युग चला। वर्तमान सत्ता ने यही खेल मणिपुर में खेला और एक अदालती निर्णय के कारण पूरे मणिपुर गृह युद्ध में फंस गया।
संतोष की बात यह है कि मुसलमानों का धार्मिक नेतृत्व बहुत धैर्य से कार्य कर रहा है। आज हर भारतीय का यह सर्वोत्तम कर्तव्य है कि वह देश हित में देश को मध्य युग की ओर जाने से बचाए, इसी से आप भी सुरक्षित रहेंगे और आपके बच्चों का भविष्य भी।
✍️ Prof. A. S. Rajput
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