मुनेश त्यागी
अमरदीप जी, किसी बिरादरी में या जाति में जन्म लेना या जन्म होना उसका (हमारा) अपना कोई दोष नहीं है। गरीबों, दलितों, शोषितों, पीड़ितों और उत्पीड़ितों की आवाज उठाना, उनके शोषण जुल्म अन्याय, अत्याचार, अनाचार के खिलाफ बोलना कोई बुरी बात नहीं है। उनको रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा बुढ़ापे की पेंशन रोजगार देने की मांग करना भी कोई गुनाह नहीं है। हम लोग यही कर रहे हैं। हमारे हाथ में होता तो हम सबसे पहले उनको सबको शिक्षा देते, सब को काम देते, सबको फ्री इलाज देते, फ्री शिक्षा देते, सब को रोजगार देते, जमीन का राष्ट्रीयकरण देते कर देते और कृषि को सामूहिक व्यवसाय बना देते। उनके साथ सदियों से हो रहे जुल्म, शोषण, अन्याय, भेदभाव, हत्या और हिंसा का खात्मा कर देते। उनको जो दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है, उस स्थिति को भी बदल देते। उनको एक इंसान बना देते। हम देश और दुनिया के इंसान को आपस में भाई बहन बना देते हैं, भाईचारा काम करते, उनमें साथीपन की भावना काम करते।
लोग हम पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाते हैं जबकि हम उसी जाति से संबंध रखते हैं। यहां पर हमारा कहना यह है कि हम ब्राह्मण विरोधी नहीं हैं बल्कि हम ब्राह्मणवाद विरोधी हैं जो समाज में जातिवाद, छुआछूत, अगला पिछड़ा, ऊंच-नीच और छोटा बड़ा के विचार पालता है। हम इस ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं, हम इस ब्राह्मणवाद का सर्वनाश चाहते हैं।
हकीकत यह भी है की कई मशहूर ब्राह्मण हस्तियां हमारे इतिहास में हुई हैं जिन्होंने ब्राह्मणवाद का विरोध किया है, जैसे मंगल पांडे ने स्वतंत्रता का बिगुल बजाया, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, पं चंद्रशेखर (तिवारी)आजाद, एमएस नंबूद्रीपद जो कम्युनिस्ट थे जिन्होंने अपनी सारी संपत्ति कम्युनिस्ट पार्टी को दान कर दी थी, हम ऐसे ब्राह्मण हैं। ये सभी क्रांतिकारी ब्राह्मण थे, मगर इन्होंने कभी ब्राह्मणवाद की बात नही की। उन्होंने हमेशा क्रांति की बात की, सशस्त्र क्रांति के द्वारा इस लुटेरी और अन्याय पर आधारित व्यवस्था को बदलने की बात की और भारत के क्रांतिकारी रूपांतरण को अपना जिंदगी का मिशन बनाया। हम इस शोषक, अन्यायी, लुटेरे, हरामखोरो, भ्रष्टाचारी, अंधविश्वासी, धर्मांध पाखंडी, जातिवादी, संप्रदायवादी ब्राह्मणवाद के खिलाफ है जो भारत की जनता के भाईचारे को खंड खंड करता है, उसके भाईचारे को तोड़ता है उसकी एकता को खंडित करता है और जो हिंदू मुस्लिम एकता को और गंगा जमुनी तहजीब पर चोट करता है, हम इस पक्षपाती, मक्कार और समाज-विरोधी ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं।
हम पर दूसरा आरोप लगाया जाता है कि हम हिंदू विरोधी हैं, दरअसल हम हिंदू विरोधी नही हैं। हम हिंदुत्ववाद विरोधी हैं। हम ऐसे हिंदुत्व में विश्वास नहीं करते जो जनता में छोटा बड़ा, ऊंच-नीच, अछूत, जातिवाद, सांप्रदायिकता, शोषण, जुल्म अत्याचार, अन्याय, मक्कारी, हरामखोरी भ्रष्टाचार और भेदभाव का बोलबाला रखना चाहते हैं। हम उस हिंदुत्व के खिलाफ हैं जो हमारी आजादी को, हमारे संविधान को, हमारे कानून के शासन को, रोज तोड़ रहा है और जो देसी विदेशी लुटेरों के हितों को आगे बढ़ाने की बात कर रहा है और जनता पर, किसानों पर, मजदूरों पर, रोज नये नये हमले कर रहा है, उनकी आजादी छीन रहा है।
हम उस हिंदूवाद के समर्थक हैं जो विश्वबंधुत्व, वसुधैवकुटुंबकम, समता, समानता, सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक आजादी, धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक, समाजवादी, गणतांत्रिक समाज व्यवस्था और भाईचारे की बात करता है, जो समाज में एकता लाना चाहता है, समाज में समानता लाना चाहता है, समाज में भाईचारा कायम करना चाहता है,जो परहित सरिस धर्म नही भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधम आई, जो जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवश्य नरक अधिकारी, की बात करता है, जो समाज में फैले अन्याय, अत्याचार, गरीबी, शोषण और जुल्म का खात्मा करना चाहता है और एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहता है जहां समता हो, समानता हो, भाईचारा हो, जहां सबको शिक्षा मिले, सबको रोटी मिले, सबको दवाई मिले, सबको मकान मिले, सब को रोजगार मिले, सब सुरक्षित हों, बुढ़ापे में सब को पेंशन मिले, जहां शिक्षा और इलाज की सुविधा मुफ्त और आधुनिकतम हो और और जहां देश के समस्त प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल पूरी जनता के विकास के लिए हो। हम ऐसे हिंदुवाद में विश्वास रखते हैं और इसी के हामी है और इसी व्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहते हैं। और जहां तक मेरा इस सबके लिए काम करने का प्रश्न है मैंने कभी नौकरी की ख्वाहिश नहीं की, मैंने पहली दफा जब1980 में आईएएस का प्रिलीमिनरी इम्तिहान पास किया और भारत की दुर्दशा में का विवरण पढा तो तभी से मेरा मन बदल गया था और मैंने तभी से ठान ली थी कि मैं कोई नौकरी नहीं करूंगा और भारत में फैली शोषण, जुल्म, अन्याय और भेदभाव पर आधारित व्यवस्था में खात्मे और आमूलचूल परिवर्तन करने की लड़ाई लडूंगा और अपने स्वतंत्रता सेनानी बुजुर्गों और क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाऊंगा।
इसके लिए मैं सैकड़ों बार जेल गया, गरीबों की मदद की, बहुत सारे लोगों को जो बेगुनाह जेल में फंसे पड़े थे उनको छुड़वाया। इनकी संख्या हजारों में जाती है। व्यक्तिगत स्तर पर मेरे बस में जो हो सकता था मैंने वह सब किया। आज भी हम लोग हजारों साल से पीड़ित शोषण और जुल्म का शिकार गरीब लोगों की, शोषित लोगों की वंचित लोगों की, आजादी की बात कर रहे हैं उनको रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य की बात कर रहे हैं, और मरते दम तक यही करेंगे। इसके अलावा हमारी जिंदगी का और कोई मिशन नहीं है।
हम समाज में बुनियादी परिवर्तन चाहते हैं शोषण जुल्मो-सितम और भेदभाव को खत्म करना चाहते हैं और एक जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी समाज की स्थापना करना चाहते हैं। यही हमारी अंतिम कामना है, यही हमारा अंतिम लक्ष्य है, यही हमारे जीवन का उद्देश्य है।
इंकलाब जिंदाबाद,समाजवाद जिंदाबाद,
पूंजीवाद मुर्दाबाद,जनता का भाईचारा जिंदाबाद,
किसान मजदूर एकता जिंदाबाद।