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क्या हैं टमाटर की कीमतों में उछाल की वजह… किल्लत के लिए सिर्फ बारिश जिम्मेदार नहीं

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19 मई 2023 की खबर है। नासिक की कृषि उपज मंडी में किसान अपने टमाटर बेचने पहुंचे। मंडी में टमाटर की बोली 1 रुपए प्रति किलो लगी। कई किसान मंडी में बेचने की बजाय टमाटर वहीं सड़क पर फेंक कर चले गए।

एक महीने बाद की विडंबना देखिए। किसानों से 1 रुपए किलो टमाटर खरीदने की खबर लिखने वाले न्यूजरूम के एक साथी कल बाजार से 110 रुपए किलो टमाटर खरीदकर लाए। सब्जी वाले ने उन्हें 10 रुपए डिस्काउंट देने का एहसान भी जता दिया।

कहा जा रहा है कि टमाटर की कीमतों में अचानक उछाल मानसून और बारिश की वजह से आई है। इस मौसम में टमाटर की कीमतें हर साल बढ़ती हैं।

टमाटर की कीमतों में उछाल की वजह जानने के लिए टमाटर की पैदावार को समझना जरूरी है। भारत में टमाटर की दो फसलें उगाई जाती हैं। एक रबी सीजन (दिसंबर से जनवरी में बुआई) और दूसरी खरीफ (अप्रैल-मई में बुआई) के सीजन में। टमाटर की फसल लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है और 45 दिनों तक इसे तोड़ने का काम चलता है।

रबी की फसल मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और छत्तीसगढ़ में उगाई जाती है। इन इलाकों में 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए टमाटर की फसल की सप्लाई मार्च से अगस्त तक होती है।

खरीफ की फसल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में उगाई जाती है। 8-9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए गए टमाटर की फसल की सप्लाई देश भर के बाजारों में अगस्त के बाद से होती है।

अब जानेंगे वो 4 वजहें, जिनकी वजह से टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं…

1. टमाटर की मौजूदा महंगाई की सबसे बड़ी वजह भारी बारिश है। टमाटर जल्दी खराब होने वाली सब्जी है। इसलिए इसकी निरंतर सप्लाई जरूरी है। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक, तेलंगाना समेत दक्षिणी राज्यों के साथ कुछ पहाड़ी राज्यों में भी भारी बारिश हुई है। इससे टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचा है और सप्लाई में बाधा आई है।

दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी में टमाटर व्यापारी अशोक गनोर ने बताया कि जमीन पर मौजूद टमाटर के पौधे हाल की बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। सिर्फ वे पौधे जो तारों के सहारे खड़े होते हैं, बच गए। यानी फसलों को नुकसान होने से सप्लाई प्रभावित हुई इसलिए कीमतें बढ़ गई हैं।

2. रबी के सीजन यानी दिसंबर-जनवरी में बोए गए टमाटर की फसल पर इस बार गर्मी की मार पड़ी। दक्षिण भारत में इसकी वजह से टमाटर में लीफ कर्ल वायरस से उसकी फसलों को काफी नुकसान हुआ। महाराष्ट्र में सर्दी कम पड़ने और मार्च-अप्रैल में अत्यधिक गर्मी की वजह से ककड़ी वायरस के हमले देखे गए। इस वजह से टमाटर के पौधे सूख गए।

कर्नाटक के कोलार में मंडी चलाने वाले सीआर श्रीनाथ कहते हैं कि राज्य में व्हाइट फ्लाई कीट के चलते टमाटर की फसल को नुकसान हुआ। इससे टमाटर की सप्लाई में कमी आई।

3. इस साल मार्च-अप्रैल में टमाटर की खेती से जुड़े किसानों को झटका लगा। थोक बाजार में मार्च में टमाटर की औसत कीमत 5 से 10 रुपए किलो थी। वहीं अप्रैल में यह लगभग 5 से 15 रुपए प्रति किलो थी। मई में किसानों को 2.50 से 5 रुपए प्रति किलो के बीच बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

सतारा जिले के फलटन तालुका के मिरेवाडी गांव के टमाटर उत्पादक अजीत कोर्डे ने कहा कि कीमतों में कमी की वजह से कई किसानों ने अपनी फसलें खेत में ही छोड़ दीं। इससे मार्केट में कम टमाटर आए।

4. पिछले दो साल से नुकसान झेल रहे किसानों ने इस बार टमाटर की बुआई कम की। वेजिटेबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल मल्होत्रा ​​ने कहा कि 2020 और 2021 में टमाटर की बंपर फसल हुई और कम कीमत की वजह से किसानों को अपनी उपज डंप करनी पड़ी।

इस वजह से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में किसानों ने इस साल टमाटर के उत्पादन में कटौती की और फूल उगाए। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस बार टमाटर का उत्पादन आधा हो गया।

कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया कहते हैं कि कर्नाटक में किसानों ने बीन्स के लिए टमाटर का त्याग कर दिया। कर्नाटक के कोलार में टमाटर किसान अंजी रेड्‌डी ने बताया कि कोलार में कई किसानों ने इस साल बीन्स की खेती की, क्योंकि पिछले साल बीन्स ने काफी ज्यादा मुनाफा दिया था। ऐसे में जिले में टमाटर की फसल सामान्य से केवल 30% ही हो सकी।

टमाटर की कीमतें कब तक घटेंगी?

टमाटर की कीमतें सस्ती होने के लिए जरूरी है कि मार्केट में डिमांड के मुकाबले सप्लाई बढ़ जाए। हालांकि जल्द सप्लाई बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

एक उदाहरण से समझते हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र की नारायणगांव थोक बाजार में प्रतिदिन औसतन 24,000-25,000 क्रेट टमाटर (प्रत्येक में 20 किलो) आ रहा है। आम तौर पर इन दिनों मंडी में 40,000 क्रेट टमाटर आता है।

खरीफ सीजन में बोए जाने वाले टमाटर की सप्लाई जुलाई लास्ट और अगस्त तक होगी। कर्नाटक जैसे राज्यों से नई खेप आने से टमाटर की सप्लाई बढ़ जाएगी। इससे दाम भी कम होंगे।

होलसेल ट्रेडर रामदास पावले ने बताया कि लास्ट क्रॉप साइकिल यानी फसल चक्र खत्म हो गया है और एक नया चक्र शुरू होगा। उन्होंने कहा कि नई फसल को बाजार में आने में 20-25 दिन लगेंगे। इसके बाद कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।

केंद्र और राज्य सरकारों ने क्या कोई कदम उठाए हैं?

टमाटर के दाम भले ही बढ़ गए हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कीमतों की निगरानी और नियंत्रण का उपाय करने वाले उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 540 में से 100 शहरों में टमाटर 30 रुपए से भी सस्ता है।

इसके अलावा केंद्र सरकार सब्जियों के अचानक दाम बढ़ने से रोकने के लिए आम जनता से सुझाव मांगेगी। यानी अचानक कैसे टमाटर 100 रुपए प्रति किलो हो जाता है? फिर 5-10 रुपए किलो बिकने लगता है? अगले कुछ दिनों में ग्रैंड टोमैटो चैलेंज लॉन्च किया जा रहा है। इसमें उत्पादन, प्रोसेसिंग और स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के आइडिया मांगे जाएंगे।

वहीं तमिलनाडु के फूड एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन डिपार्टमेंट के मंत्री ने बुधवार को कहा कि गरीबों और मिडिल क्लास के लिए पूरे राज्य में फार्म फ्रेश आउटलेट्स यानी FFO पर कम कीमत में टमाटर बेचे जाएंगे।

FFO में एक किलो टमाटर 68 रुपए में मिलेगा। उन्होंने बताया कि FFO टमाटर 60 रुपए किलो में बेचने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

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