हिमांशु कुमार*
छत्तीसगढ़ के गोमपाड़ गांव के एक डेढ़ साल के बच्चे का आधा हाथ पुलिस वालों ने काट दिया था
यह अपनी मां की गोद में था
पुलिस द्वारा मां की भी हत्या कर दी गई
इसकी 8 साल की मौसी नाना नानी सबको तलवारों से काट दिया गया था
उस गांव के 16 आदिवासियों का कत्ल पुलिस वालों ने किया था
2009 से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है
मामले को अदालत ले जाने के अपराध में मेरे आश्रम पर सरकार ने बुलडोजर चला दिया
इस मामले में मेरे साथ 12 और आदिवासी अदालत में प्रार्थी थे
उन सबका पुलिस में अपहरण कर लिया
पुलिस ने बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ियों में आकर फरियादियों का अपहरण किया था मेरे पास अपहरण का वीडियो मौजूद है
अब उस मामले में मैं अकेला फरियादी जिंदा बचा हूं
सोनी सोरी का मामला आपको मालूम ही है
पुलिस अधीक्षक ने सामने बैठकर उनके गुप्तांगों में पत्थर भरवाए
उस पुलिस अधीक्षक को भारत के राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार दिया था
आज भी वह पुलिस अधिकारी छत्तीसगढ़ में पदस्थ है और पदोन्नति पर पदोन्नति ले रहा है
अगर आप भारतीय पुलिस की क्रूरता समझना चाहते हैं
तो आपको भारतीय समाज की क्रूरता को भी समझना पड़ेगा
आपको भारतीय शासन की क्रूरता को समझना पड़ेगा
पुलिस इसी समाज से निकली है
वह इसी शासन का एक अंग है
ऐसा नहीं हो सकता कि आप करोड़ों दलितों को पैरों तले रौंदने वाला समाज बने रहे
आपका शासन आदिवासियों दलितों अल्पसंख्यकों को पैरों तले रौंदने वाला शासन बना रहे
और आपकी पुलिस मानवाधिकारों का आदर करने वाली कानून का आदर करने वाली विनम्र और दयालु पुलिस बन जाए
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