गोपाल राठी
आंख मारना और फ्लाइंग किस दो ऐसी सांकेतिक क्रियाएं है जिनमें किसी को शारीरिक स्पर्श किए बिना, किसी को चोट पहुंचाए बिंना भावों की अभिव्यक्ति की जाती है। ध्यान रखने की बात यह है कि फ्लाइंग किस के मार्फ़त मोहब्बत का इज़हार किया जाता है नफरत का नहीं। कॉलेज के दिनों का हमारा अनुभव यह है कि जिन्हें लक्ष्य करके यह क्रिया की जाती है वे देख ही नहीं पाते और दूसरे इसको लेकर बखेड़ा कर देते है। राहुल बाबा के मामले में लगभग यही हुआ। सदन में मौजूद दो विदुषियों में एक कह रही है कि राहुल बाबा ने फ्लाइंग किस किया और दूसरी कह रही है कि उसने ऐसा नहीं देखा। हेमामालिनी ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने ऐसा होते हुए नहीं देखा। थर्ड एम्पायर अर्थात कैमरे से ऐसे कोई रविडेंस नहीं मिले है जिससे यह साबित हो कि राहुल गांधी ने फ्लाइंग किस किया था। क्योकि जब राहुल बाबा संसद में भाषण दे रहे थे तब उनकी आवाज़ तो आ रही थी लेकिन स्क्रीन पर लगभग पूरे समय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला दिखाई दे रहे थे। ऐसी सेटिंग सिर्फ राहुल बाबा के भाषण के लिए की गई थी ताकि उनकी भाव भंगिमा आम जनता को दिखाई न दे। उल्लेखनीय है राहुल बाबा सदन में मौजूद एकमात्र सांसद थे जिन्होंने जलते मणिपुर में जाकर पीड़ितों की खोज खबर ली थी।
कठुआ उन्नाव हाथरस मणिपुर जैसी जघन्य घटनाओं में जिन्होंने चुप्पी साध ली थी महिला पहलवानों के यौन शोषण पर जिन्होंने आंखें बंद कर ली थी वे फ्लाइंग किस पर फुफकार रही है। यह दोगलापन जनता देख रही है। जनता को ज्यादा दिन बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।
गोपाल राठी