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कौन हैं मनोज जरांगे ?

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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा विरोध समाप्त हो गया है। आंदोलन की अगुआई कर रहे मनोज जरांगे ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आरक्षण को लेकर किए जा रहे अनशन को खत्म कर दिया। इससे पहले कई महीनों से मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शनों और भूख हड़तालों का नेतृत्व करने वाले मनोज जरांगे मुंबई पहुंचे थे। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार के प्रतिनिधि से बात की थी।


आरक्षण की मांग को लेकर जरांगे ने 26 जनवरी से मुंबई के आजाद मैदान पर अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल शुरू करने का एलान किया था। महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे को मुंबई पहुंचने से रोकने की काफी कोशिशें कीं। मुंबई पुलिस ने उन्हें आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठने की इजाजत देने से इनकार भी कर दिया लेकिन जरांगे अपने हजारों समर्थकों के साथ मुंबई पहुंच गए थे।


गणतंत्र दिवस पर मुंबई पहुंचे जरांगे ने कहा था कि अगर सरकार ने मराठों को पहले ही आरक्षण दे दिया होता, तो उनको सड़कों पर उतरने की जरूरत ही नहीं पड़ती। मनोज जरांगे पाटिल की मुख्य मांग ये थी कि मराठों को कुनबी उप-जाति का प्रमाण पत्र और अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण दिया जाए। हालांकि उस वक्त सरकार का कहना है कि वो केवल उन्हीं को आरक्षण दिया जाएगा जिनके पास कुनबी जाति का होने का प्रमाणपत्र होगा। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार फरवरी महीने में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर मराठों को आरक्षण देने का कानून पारित कराने की योजना भी बना रही है।

मराठा आरक्षण के लिए सर्वे
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ऐलान किया था कि वो 23 जनवरी से 3 जनवरी तक मराठा समुदाय के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण कराएगा। पिछड़ा वर्ग आयोग के मुताबिक, इन आठ दिनों के दौरान उनके प्रतिनिधि पूरे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के साथ-साथ दूसरे वर्गों के घर-घर जाकर ये सर्वे करेंगे। इस सर्वे में महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों, 27 नगर निगमों और सात कैंट इलाकों को शामिल किया गया।

मनोज जरांगे पाटिल कौन हैं?
मनोज जरांगे मराठा आरक्षण के मामले में पिछले छह महीने से चर्चा में हैं। जबकि ये एक पुरानी मांग है। जरांगे ने अपने आंदोलन की शुरुआत साल 2011 में अपने गांव से की थी जो अब पूरे महाराष्ट्र में फैल गया। इससे पहले मनोज जरांगे पाटिल, मराठा आरक्षण को लेकर किए गए कई आंदोलनों का हिस्सा थे। इनमें से कुछ की उन्होंने अगुआई भी की थी। मनोज जरांगे की इन कोशिशों की वजह से मराठवाड़ा क्षेत्र में काफी तादाद में लोग उनके समर्थन में उठ खड़े हुए। मनोज जरांगे ने जब 29 अगस्त से अपने गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी, तो उनका दावा था कि अंतरवाली सराटी में उनके समर्थन में लगभग तीन लाख लोग जमा हुए थे।

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