हिमाचल की मंडी से भाजपा की टिकट पर सांसद बनने वाली कंगना रनौत ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और समूचे पंजाब की जनता को आतंकवादी बताने के लिए एक षड्यंत्र रचा है. भारत के इतिहास में यह पहली घटना है जब न्यायोचित सवाल उठाने पर एक सांसद ने सेना की महिला जवान को अपने कुकृत्यों का हिस्सा बनाया.
सारी दुनिया जानती है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (हालांकि अभी वे कार्यवाहक बने हुए हैं) के पतन का शुरुआत पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश की जनता ने मोदी सरकार के तीन काले कानून के खिलाफ 13 महीने चले विराट किसान आंदोलन की सफलता के साथ ही शुरू हो गई थी. हालांकि इस दौरान 700 से अधिक किसान योद्धाओं ने शहादतें दी है, जिसका बड़ा हिस्सा पंजाब के किसान थे.
किसान आंदोलन की सफलता ने मोदी की नींव हिला दी, वाबजूद इसके की भाजपाईयों, संघियों एवं के तमाम बुरे तत्वों ने किसानों को चुनचुनकर गालियां दी. यहां तक की भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पंजाब में प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपनी जान का खतरा बताकर सहानुभूति हासिल करने का प्रयास किया था, जो तत्क्षण ही टांय-टांय फिस्स हो गया था.
अब, जब एक बार फिर ऐसी ही सस्ती सहानुभूति हासिल करने की जुगत में पहले ही दिन से कंगना रनौत, जो खुद बदमिजाज और बदमाश किस्म की औरत हैं, जानबूझकर दिल्ली जाने के बहाने पंजाब एयरपोर्ट पर उतरी और जब सीआईएसएफ की एक महिला जवान कुलविंदर कौर ने उससे सवाल किया कि ‘जब आप किसान आंदोलन में नहीं गई थी, और वहां जाने वाली महिलाओं को 100-100 रुपये पर आने की बात कही थी, उसमें मेरी मां भी थी. तो आपने मेरी मां का अपमान क्यों किया ?’
बस, बदमाश कंगना रनौत ने इसे मुद्दा बना लिया और सोशल मीडिया, गोदी मीडिया के माध्यम से हल्ला करने लगी कि सीआईएसएफ की एक महिला जवान ने उसे ‘थप्पड़’ मार दिया. जबकि ऐसी कोई बारदात वहां देखने में नहीं आई है, लेकिन कंगना ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और ‘जेड’ या ‘जेड प्लस’ सिक्योरिटी हासिल करने के लिए उस बहादुर महिला जवान पर ‘थप्पड़’ मारने का झूठा आरोप मढ़ दिया.
हलांकि बदमाश कंगना और गोदी मीडिया ने इस फर्जी ‘थप्पड़ कांड’ को इतना बड़ा बना दिया है कि उस बहादुर महिला सेना की जवान कुलविंदर की सच्ची बातें सुनाई नहीं दे रही है. यही कारण है कि देश के सच्चे इमानदार लोग भी कंगना और गोदी मीडिया की फर्जी बातों के जाल में फंस गए हैं. कुछ संघी-भाजपाई-गोदी मीडिया के लोग उन्हें दंडित करने की बात कह रहे हैं, तो वहीं अधिकांश लोग उन्हें ‘शहीद’ की तरह देख रहे हैं,
जबकि असली सवाल है सवाल उठाने वाली सेना की उस बहादुर जवान कुलविंदर को किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से बचाने का और असली बदमाश नशेड़ी औरत कंगना रनौत को दंडित करने का, जिसने सेना की एक महिला जवान को अपना शिकार बनने की कोशिश की है.
इस समूचे प्रकरण पर एक सजग मजदूर ए. के. ब्राईट कहते हैं – ‘यह साधारण घटना नहीं है. एक अदद सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं. अपमानित संघर्ष से लेकर लोग जमीन जायदाद तक बेच डालते हैं. कई बार तो सबकुछ बिक जाने के बाद भी नौकरी न मिलने के चलते नौजवान आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम तक उठा लेते हैं, बावजूद कुलविंदर कौर ने सेना की इज्जतदार नौकरी की परवाह किए बिना कंगना को उसके पूरे रसूख के बाद भी कंगाल कर दिया.
‘यह एक शानदार संदेश इसलिए भी हो जाता है कि जो लोग जनता के संघर्षों का उपहास उड़ाते हैं उन्हें समझ आना चाहिए कि समय के फेरे में कभी भी उनके घमंड पर जनता टट्टी फेर सकती है. समूचे श्रमशील तबके की शाबाशी कुलविंदर के साथ है. कुलविंदर को नौकरी से तत्काल सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन इतिहास ऐसे ही जांबाज सूरमाओं का आलिंगन करता है, वरना कंगना तो हर जगह घूमती रहती है. अन्य लोगों को कंगना की किसानों के प्रति विषैली फुंफकार मारती घृणा याद क्यों नहीं आई ?:
वहीं, गांधीवादी प्रचारक हिमांशु कुमार, महात्मा गांधी और उनके पुत्र के संवाद लिखते हुए कहते हैं कि गांधी जी के पुत्र ने पूछा – ‘बापू यदि आप पर कोई हमला करे तो क्या उसे समय मुझे अहिंसा का पालन करना चाहिए ?’ गांधी ने कहा – ‘अपने कमजोर बूढ़े पिता पर हमला होते देखकर भी अगर तू हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहता है तो तुझसे ज्यादा बड़ा हिंसक कौन होगा ?’ आश्रम की महिलाओं ने पूछा बापू यदि कोई हमारे सम्मान पर हमला करे तो क्या हमें अहिंसक बने रहना चाहिए ?’ बापू ने कहा – ‘तलवार लेकर भी हमलावर का सामना करो और अपने सम्मान की रक्षा करो.’
आगे वे लिखते हैं कि ‘क्राइम कंगना ने किया था. जब कंगना ने कहा था कि किसान आंदोलन में शामिल औरतें सौ रुपए में उपलब्ध हैं तब दरअसल वह क्राइम कर रही थी. क्या कंगना यह जानती थी कि इन औरतों ने आंदोलन में शामिल होने के लिए रुपया लिया है ?अगर कंगना यह जानती थी तो उन्होंने सबूत क्यों नहीं पेश किया ? और सरकार ने उन सबूतों के आधार पर उन औरतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की ? किसी भी महिला के बारे में यह कहना कि यह सौ रुपए में उपलब्ध है उसकी मानहानि है. मानहानि एक अपराध है जिसके लिए सजा का प्रावधान है.
‘लेकिन क्योंकि कंगना यह अपराध सत्ता के संरक्षण में कर रही थी इसलिए मोदी और भाजपा की सत्ता भी कटघरे में आ जाती है. मोदी ने कंगना रानौत को यह अपराध करने पर बचाया और उनका समर्थन करते हुए उन्हें बढ़ावा दिया. उन्हें लोकसभा का टिकट दिया और संसद तक पहुंचाया. यदि सत्ता और सत्ता के समर्थक लोग आम जनता के विरुद्ध अपराध करेंगे, उनका अपमान करेंगे, मानहानि करेंगे और सत्ता उन्हें बचाएगी तो क्या सत्ता यह उम्मीद करती है कि जनता अपना अपमान सहन करती रहेगी शोषण सहती रहेगी कुछ नहीं करेगी ? आप यह नहीं कह सकते कि हम अपराध करेंगे और जनता हमारे साथ सहयोग करे.
‘अब वह फिर उल्टा पुल्टा बयान दे रही है. कह रही है पंजाब में आतंकवाद बढ़ रहा है. किसानों और मजदूरों को आतंकवादी कहने की अपनी गंदी आदत यह बीजेपी वाले अगर नहीं छोड़ेंगे तो बहुत जल्दी यह सारे लोग जनता द्वारा इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिये जाएंगे. अभी तो बहुमत से अल्पमत में आए हैं. बहुत जल्दी पूरा सफाया होने वाला है इन लोगों का.’
कंगना रनौत ने देश की जिस बहादुर बेटी को अपने घिनौने साजिश में फंसाने की कोशिश की है, उनका नाम कुलविंदर कौर (Kulwinder Kaur) है. कुलविंदर को नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया है. घटना के तुरंत बाद उन्हें हिरासत ले लिया गया था. उनसे पूछताछ की जा रही है. कुलविंदर CISF में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं. उनकी ड्यूटी चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर थी. जहां आरोप है कि चेकिंग के दौरान उन्होंने कंगना रनौत को ‘थप्पड़’ मारा है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना से पहले तक उनका सर्विस रिकॉर्ड अच्छा रहा है. उनकी 15 साल की सर्विस में इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है. उनकी गिनती अच्छी महिला जवानों में की जाती रही है. पिछले दो साल से वो चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर ही तैनात थीं. 35 साल की कुलविंदर पंजाब के कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी की रहने वाली हैं. कुलविंदर कौर के पति भी CISF में हैं. उनके दो बच्चे भी हैं. इसके अलावा एक और अहम जानकारी सामने आई है. जिसके अनुसार कुलविंदर के भाई किसान नेता हैं. वो किसान मजदूर संघर्ष कमेटी में संगठन सेक्रेटरी हैं.
हिमांशु कुमार आगे कहते हैं कि यह हिंदुत्ववादी संघी भाजपाई लोग उस समय सेना और पुलिस का समर्थन करते हैं, जब वह किसानों मजदूरों और आदिवासियों को कुचलते हैं और पूंजीपतियों की लूट के लिए रास्ता साफ करते हैं. यह हिंदुत्ववादी संघी भाजपाई लोग अपना हक मांगने वाले मजदूरों को वामपंथियों द्वारा भड़काए गए आलसी तथा किसानों को खालिस्तानी व छात्रों को अर्बन नक्सल कहकर गाली देते हैं लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि इन्हीं मजदूरों और किसानों के बच्चे सेना, सीआरपीएफ और पुलिस में भी हैं.
इतना जुल्म मत बढ़ाओ की एक दिन सेना पुलिस के सिपाही और किसान मज़दूर एक साथ आ जाएं. और वह दिन बहुत जल्दी आने वाला है क्योंकि यह हिंदुत्ववादी संघी भाजपाई लोग सुधरने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि ऐसा होना बिलकुल स्वाभाविक है. कभी भी जुल्म लंबे समय तक नहीं टिक सकता, जनता उसे मिटाती जरूर है. आज किसान महिलाओं को ‘सौ रुपये में किराए की महिलाएं’ कहने वाली भाजपा सांसद को किसान मां की बेटी ने एक ‘थप्पड़’ मारा है. अभी भी वक्त है यह हिंदुत्ववादी संघी भाजपाई लोग अपनी गलती समझ जाएं और सुधर जाएं.
बहरहाल, कुलविंदर कौर के खिलाफ किसी भी प्रशासनिक कार्रवाई का देश की जनता खुले तौर पर विरोध करती है और असली अपराधी और बदमाश षडयंत्रकारी कंगना रनौत के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग करती है, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब देश की जनता इन असली अपराधियों को दंडित करेगी. सीआईएसएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर को अविलंब उनको उन पद पर पदस्थापित किया जाये और उनको भारत रत्न से सम्मानित किया जाये क्योंकि यही असली भारत की असली रत्न हैं.