प्रयागराज से मारुत सिंह
मानकीकरण की प्रक्रिया वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में आई है ना कि अनिवार्य व्यवस्था के रूप में। इस बात को समझना होगा! SSC/Railway जैसे परीक्षाएं जिसमें तुलनात्मक रूप से अभ्यर्थियों की संख्या बहुत अधिक होती है और परीक्षा CBT यानी कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट के रूप में होता है तो ऐसे में संसाधनों की कमी की वजह से मानकीकरण की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
मानकीकरण की प्रक्रिया कभी भी एक शिफ्ट में हुए परीक्षा की बराबरी नहीं कर सकता। किसी भी बड़े से बड़े सांख्यिकी गणित के विद्वान से मानकीकरण के सूत्र पर इसकी खामिया पूछेंगे तो आप पाएंगे कि ये सूत्र समानता की बात को कहीं पीछे छोड़ देता है।
देश के सबसे बड़े ब्यूरोक्रेसी व बड़े संसाधनों से पूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश को आखिर क्यूं जरूरत पड़ी मानकीकरण की? उत्तर प्रदेश में प्रयाप्त संसाधन है, अगर शासन/आयोग चाहे तो पहले की ही भांति एक दिन और एक शिफ्ट में परीक्षा कराई जा सकती है।
ऐसे में आयोग द्वारा मल्टीपल शिफ्ट में परीक्षा कराये जाने की जिद से युवा हैरान भी हैं और चिंतित भी!
छाते की जरूरत बरसात में पड़ती है हम छाता लेकर झरने के नीचे चले जाए और तर्क दे कि भीगने से बचने के लिए कर रहे हैं तो यह तर्क हास्यास्पद लगेगा। वैसे ही हास्यास्पद कुछ UPPSC द्वारा मानकीकरण की प्रक्रिया लागू करना है!
जहां तक आयोग द्वारा यह कहा जा रहा है कि पारदर्शी, सुचितापूर्ण व नक़लविहीन परीक्षा कराने के लिए यह व्यवस्था लायी जा रही है तब युवा पूछ रहे हैं कि क्या आज के पहले परीक्षाएं पारदर्शी व नक़लविहीन नहीं हो रही थीं?
आयोग द्वारा तर्क दिए जा रहा है कि आवश्यक परीक्षा केन्द्रों की कमी होने से हमें मल्टीपल शिफ्ट में परीक्षा करानी पड़ रही है तो इसके भी तो उपाय हैं।
महाविद्यालयों, औद्योगिक संस्थान, तकनीकी शिक्षा संस्थानों, तकनीकी विश्वविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में परीक्षा केंद्र बनाकर आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है!
ऐसे देश जहां वन नेशन वन इलेक्शन की बात की जा रही हो वहीं युवाओं द्वारा एक दिन व एक शिफ्ट में परीक्षा कराने की मांग को क्यों नहीं मानना चाहिए!
छात्र सिर्फ इस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं कि परीक्षा पूर्ववत एक दिन व एक शिफ्ट में कराई जाये। जिससे समानता व पारदर्शिता बनी रहे! प्रयागराज स्थित उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के गेट संख्या 2 पर दिन-रात युवा धरने पर बैठकर वन डे वन शिफ्ट में परीक्षा कराये जाने की मांग कर रहे हैं।
चाय-बिस्किट और पानी पीकर दिन काट रहे हैं। सर्द में इन खुले सड़कों पर रात गुजार रहे हैं। इनमें से ही कई युवा आगामी वर्षों में अधिकारी बनेंगे व प्रदेश के लिए नीति निर्माण व कार्यान्वयन करेंगे तो फिर क्यों नहीं इन युवाओं के उचित मांग को सुनना चाहिए और अमल करना चाहिए?
मुख्यमंत्री योगी द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद आयोग द्वारा 14 नवम्बर को दो नोटिस जारी किया गया। एक नोटिस में कहा गया कि पीसीएस की परीक्षा एक दिन में कराई जायेगी।
दूसरे में कहा गया कि समीक्षा अधिकारी /सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा को एक शिफ्ट में कराने के लिए आयोग द्वारा समिति बनाकर बाद में निर्णय लिया जाना कहकर टाल दिया गया।
अब युवा कह रहे हैं कि हमारी मांग दोनों परीक्षाओं को एक दिन व एक शिफ्ट में कराये जाने की थी फिर अधूरी मांग क्यों मानी गयी। युवा अभी भी धरना जारी रखे हैं व अपनी मांग पर अड़े हैं।
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