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MSP की जंग में क्यों होता है स्वामीनाथन के C2+50% फॉर्मूले का जिक्र

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किसान आंदोलन के बीच कांग्रेस ने एलान किया है कि उसने हर किसान को फसल पर स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि पिछले किसान आंदोलन में भी यह मांग प्रमुख थी। इसके बाद सरकार ने एमएसपी के लिए एक समिति का गठन किया था। सरकार का कहना है कि उसने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लेकर कई कदम उठाए हैं। कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया। 

आइये जानते हैं कि पिछले किसान आंदोलन के बाद एमएसपी के लिए कौन सी समिति बनी थी? इस समिति का क्या हुआ? स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट क्या कहती है? इसमें किन सिफारिशों को लागू किया गया है? सरकार का क्या रुख है? कांग्रेस ने क्या कहा है? 

एमएसपी के लिए कौन सी समिति बनी थी? 
साल 2020 में संसद से तीन कृषि कानून पारित किए गए थे। पंजाब, हरियाणा समेत देशभर के किसान संगठनों ने इन तीनों कानूनों का विरोध किया था। नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर दी। इसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। एमएसपी की कानूनी गारंटी, आंदोलन की प्रमुख मांग थी।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में किसान संगठनों ने कहा था, ‘खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए।’ पत्र में यह भी कहा गया था, ‘स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी।’

जुलाई 2022 में केंद्रीय कृषि और किसान मंत्रालय ने एमएसपी को लेकर एक समिति नियुक्त की। इस समिति को तीन बिंदुओं- एमएसपी, प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण पर सुझाव देने को कहा गया। 26 सदस्यों वाली इस समिति के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल किए गए।

वहीं समिति में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तीन और अन्य किसान संगठनों के पांच प्रतिनिधियों को जगह दी गई। हालांकि, एसकेएम के सदस्य समिति में शामिल नहीं हुए।

समिति बनने के बाद क्या हुआ?
सरकार द्वारा गठित एमएसपी पर समिति की पहली बैठक अगस्त 2022 में आयोजित की गई थी। जानकारी के अनुसार, समिति अब तक छह मुख्य बैठकें और 31 उप-समूह बैठकें या कार्यशालाएं आयोजित कर चुकी है। हालांकि, समिति के पास कोई समय सीमा नहीं है। इससे रिपोर्ट प्रस्तुत करने की कोई समय सीमा भी नहीं तय है।

Farmers Protest: What is MSP and its C2 plus 50 percent formula

एमएस स्वामीनाथन

स्वामीनाथन आयोग ने एमएसपी को लेकर क्या कहा था?
दरअसल, किसानों की बढ़ती आत्महत्या के बीच नवंबर 2004 में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) का गठन किया गया था। एनसीएफ को स्वामीनाथन आयोग के नाम से भी जाना जाता है। 

किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए आयोग ने अपने गठन के बाद अक्टूबर 2006 तक चार रिपोर्ट प्रस्तुत कीं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट्स में किसानी से जुड़े कई मुद्दों पर सुझाव दिए। सिफारिश में कहा गया कि छोटी जोत वाले किसानों की कृषि प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना जरूरी है। इसके साथ ही उत्पादकता में सुधार और लाभकारी बाजार के अवसरों से जोड़ने के बात भी कही गई। 

खासतौर पर एमएसपी को लेकर स्वामीनाथन ने कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के कार्यान्वयन में सुधार होना चाहिए। धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलों के लिए भी एमएसपी की व्यवस्था करने की जरूरत है। साथ ही, बाजरा और अन्य पौष्टिक अनाजों को पीडीएस में स्थायी रूप से शामिल किया जाना चाहिए। आयोग के अनुसार, एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए। यह C2+50% फार्मूला के नाम से भी चर्चित है। 

Farmers Protest: What is MSP and its C2 plus 50 percent formula

…तो एमएसपी के लिए C2+50% फार्मूला क्या है?
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों को फसल की कुल कीमत यानी C2 और उस पर 50 प्रतिशत मुनाफे के हिसाब से एमएसपी देना चाहिए। यहां C2 का मतलब कॉम्प्रिहेंसिव कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन है जिसमें खेती करने की लागत, इम्प्यूटेड कॉस्ट ऑफ कैपिटल (पूंजी की अप्रयुक्त लागत) और खेती की जमीन का किराया शामिल है। 

इम्प्यूटेड कॉस्ट ऑफ कैपिटल को उदाहरण से समझें तो एक किसान ने खेती पर एक लाख रुपये खर्च किए। वहीं यदि इस राशि को बैंक में जमा करा देता और उसे पांच हजार रुपये ब्याज के मिलते। यही पांच हजार रुपये इम्प्यूटेड कॉस्ट ऑफ कैपिटल बन जाता। और सरल भाषा में समझें तो खेती में धन लगाने से किसान ने जो अपने पांच हजार रुपये गंवा दिए वही उसका इम्प्यूटेड कॉस्ट ऑफ कैपिटल हो जाता। इन सभी खर्चों के ऊपर सरकार 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय करने की सिफारिश की गई। पहले और अब दूसरे किसान आंदोलन में एमएसपी के लिए यही मांग तमाम किसान संगठन कर रहे हैं। 

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एमएसपी पर कांग्रेस ने क्या घोषणा की है?
किसान आंदोलन के बीच, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एमएसपी को गारंटी बनाने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘हम हम स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को MSP कानून बनाकर उचित मूल्य की गारंटी देंगे। इससे 15 करोड़ किसान परिवारों को फायदा पहुंचेगा।’ 

हालांकि, एमएसपी पर राज्यसभा में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा दिया गया लिखित जवाब भी सामने आया है। अप्रैल 2010 में इस जवाब में कहा गया था, ‘स्वामीनाथन आयोग ने सिफारिश की कि एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए। हालांकि, इस सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है क्योंकि एमएसपी की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा वस्तुपरक मानदंडों के आधार पर और प्रासंगिक कारकों की विविधता पर विचार करते हुए की जाती है। इसलिए, लागत पर कम से कम 50% की बढ़ोतरी निर्धारित करने से बाजार बिगड़ सकता है। 

मौजूदा सरकार ने एमएसपी पर क्या कहा है?
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि किसान संगठन एमएसपी की जो बात कर रहे हैं, एमएसपी में 2013-14 की तुलना में 2023-24 में एमएसपी दर क्या है ये देखना चाहिए। सरकार भी चाहती है कि किसानों को उनके उत्पाद का पूरा मूल्य मिले। एमएसपी के मामले में यह बात कहना कि अभी ही सारी चीजें मिल जानी चाहिए, इसे राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए।

इससे पहले अक्तूबर 2023 में केंद्र सरकार ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दी थी। इसके तहत दाल (मसूर) के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल, रेपसीड एवं सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल, कुसुम के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल, जौ के लिए क्रमश: 115 रुपये प्रति क्विंटल और चने के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी। 
इस दौरान सरकार ने कहा था कि एमएसपी में यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है। बजट 2018-19 में एमएसपी को भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने की बात कही गई थी। 

विपणन सीजन 2024-25 के लिए सभी रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (रुपये प्रति क्विंटल)

फसलेंएमएसपी आरएमएस
2014-15
एमएसपी आरएमएस
2023-24
एमएसपी आरएमएस 2024-25उत्पादन लागत* आरएमएस 2024-25एमएसपी में वृद्धि (संपूर्ण)लागत पर मार्जिन (%में)
गेहूं1400212522751128150102
जौ110017351850115811560
चना310053355440340010560
दाल
(मसूर)
295060006425340542589
रेपसीड एवं सरसों305054505650285520098
कुसुम300056505800380715052

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