–सुसंस्कृति परिहार
22जनवरी को जन जन के दुलारे प्रभु श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन भव्य भवन में आयोजन था देशवासी हर जगह उमंग और उल्लास में अपने गांव शहर में मंदिरों की ओर प्रस्थान कर रहे थे ये बात अलग है कि अयोध्या में 18 तारीख से 22तारीख तक प्रवेश वर्जित रखा गया था और अयोध्या वासी अपने घरों में कैद वीवीआईपी लोगों को सीधे प्रसारण में देख पा रहे थे।उनके प्रिय राम जी उनसे दूर कर दिए गए थे। इससे वे बहुत दुखित हुए। बहरहाल यह व्यवस्था वीवीआईपी लोगों के लिए थे जिन्हें राम और अयोध्यावासियों पर यकीन नहीं था।सत्ता कुछ भी कर सकती है।यह बात अयोध्या वासी कभी नहीं भूलेंगे।
किंतु इसी बीच सुबह सुबह एक ख़बर ने देशवासियों को दुखित कर दिया ।भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लोगों को असम वहां स्थित शंकर देव मठ मंदिर जाने नहीं दी गई ।यह सब वहां के मुख्यमंत्री के आदेश पर हुआ।बता दें इससे पूर्व इस यात्रा पर सरकार के 20-25 गुंडों ने यात्रा की गाड़ियों में तोड़ फोड़ की थी तथा असम कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पर हमला कर खून बहा दिया था।रास्ते के स्वागत द्वार बेनर, पोस्टर उतार दिए गए। जब मोदी मोदी के नारे लगाकर युवाओं ने लाठियों से हमला बोला तब राहुल गांधी ने पहले बस की खिड़की से विरोधियों को फ्लाइंग किस भेजकर मोहब्बत का पैगाम भेजा जब बात नहीं बनी तब वे बस से उतरकर भीड़ में कूद पड़े तब ये उपद्रव कारी भाग गए। मुख्यमंत्री की शह पर ये अवरोध डाले जा रहे हैं। संभवतः इस घटना से आक्रोशित मुख्यमंत्री ने उन्हें मंदिर प्रवेश से रोका विदित हो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार सुबह(22 जनवरी) को आरोप लगाया कि उन्हें असम के नगांव स्थित शंकरदेव मंदिर में जाने से रोका गया है. नगांव में स्थित ‘बोदोर्वा थान’ वो धर्मस्थल है, जिसे असम के संत श्री शंकरदेव का जन्मस्थान माना जाता है। ‘बोदोर्वा थान’ मंदिर को शंकरदेव मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है. राहुल गांधी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन शंकरदेव मंदिर में पूजा अर्चना करना चाहते हैं
बापू की राह के राही राहुल इस घटना के विरोध में वहीं सत्याग्रह पर बैठ गए। उपस्थित भीड़ और यात्रा के साथियों ने रघुपति राघव राजाराम/पतित पावन सीताराम/ईश्वर अल्ला तेरो नाम /सबको सन्मति दे भगवान के साथ।असमी भजन भी इस मौके पर गाए। राहुल गांधी ने कहा -श्री श्री शंकरदेव जी ने असम की सोच को सबसे अच्छी तरह से सबके सामने रखा है।वे हमारे गुरु हैं, हम भी उनके रास्ते पर चलते हैं। मैं जब यहां आया था, तब मैंने यहां मत्था टेकने का सोचा था। 11 तारीख को हमें पंडित का आमंत्रण आया था, मगर फिर हमें कहा गया कि सब लोग जा सकते हैं, लेकिन राहुल गांधी नहीं जा सकते। मैं क्यों नहीं जा सकता क्या अपराधी हूं।जब भी मौक़ा मिलेगा, मैं जाऊंगा।”
इधर मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा-“हम राहुल गांधी से राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान सोमवार को बोर्दोवा न जाने का अनुरोध करेंगे क्योंकि इससे असम की गलत छवि पेश होगी.”उन्होंने कहा कि राहुल ‘‘अनावश्यक स्पर्धा” पैदा किए बगैर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद बोर्दोवा स्थित ‘सत्रा’ (वैष्णव मठ) जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्पर्धा असम के लिए दुखद होगी।” इससे पहले उन्होंने ख़तरे की बात कही थी।
आइए जान लें,संत शंकरदेव के बारे में वे15वीं-16वीं शताब्दी के एक संत-विद्वान, कवि, नाटककार, नर्तक, अभिनेता, संगीतकार, कलाकार सामाजिक-धार्मिक सुधारक और असम, भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति। उन्हें अतीत के सांस्कृतिक अवशेषों के निर्माण और संगीत के नए रूप ( बोरगीत ), नाट्य प्रदर्शन ( अंकिया नाट , भाओना ), नृत्य ( सत्त्रिया ), साहित्यिक भाषा ( ब्रजावली ) तैयार करने का श्रेय दिया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने संस्कृत, असमिया और ब्रजावली में लिखित ट्रांस-रचित ग्रंथों ( शंकरदेव के भागवत ), कविता और धार्मिक कार्यों का एक साहित्यिक संग्रह छोड़ा है । उन्होंने जो भागवत धार्मिक आंदोलन शुरू किया, एकसार धर्म और जिसे नव-वैष्णव आंदोलन भी कहा जाता है, ने दो मध्ययुगीन साम्राज्यों – कोच और अहोम साम्राज्य – को प्रभावित किया और उनके द्वारा शुरू की गई भक्तों की सभा समय के साथ सत्त्रस नामक मठ केंद्रों में विकसित हुई , जो जारी है। असम और कुछ हद तक उत्तरी बंगाल में महत्वपूर्ण सामाजिक-धार्मिक संस्थान बनें । शंकरदेव ने असम में भक्ति आंदोलन को उसी तरह प्रेरित किया जैसे गुरुनानक जै , रामानंद , नामदेव , कबीर , बसव और चैतन्य महाप्रभु ने इसे भारतीय उपमहाद्वीप में अन्यत्र प्रेरित किया।
आखिरकार बहुत देर बाद स्थानीय सांसद और कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को मंदिर प्रवेश मिला जहां उन्होंने प्रार्थना की। बाहर आकर गौरव गोगोई ने बताया कि उन्हें राहुल गांधी की जगह श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जाने का अवसर मिला।गौरव गोगोई ने एक तस्वीर साझा करते हुए बताया,”श्री श्री शंकर देव स्थान बिल्कुल खाली था कोई भीड़ नहीं थी।झूठी अफवाह फैलाई गई कि कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बटाद्रवा थाना और श्री शंकरदेव की विरासत के लिए एक काला दिन लाया है.” मंदिर परिसर के बाहर जिस तरह भीड़ राहुल करके साथ थी या असम में भारत जोड़ो न्याय यात्रा को जो समर्थन मिल रहा है उससे मुख्यमंत्री आपा खो चुके हैं। कुल मिलाकर नवनिर्मित राम जन्मभूमि मंदिर हो या असमिया संत शंकरदेव जी जन्मभूमि हो उन सब पर एक पार्टी विशेष का अधिकार कब से हो गया।वे तो सार्वजनिक आध्यात्मिक केंद्र है। राहुल गांधी के साथ किया गया यह व्यवहार अत्यंत शर्मनाक है तथा भविष्य के लिए ख़तरनाक।ऐसा लगता है सारे बड़े मंदिर एक एक कर अमीरों के बाजार और सियासत के अड्डे बनते जा रहे हैं।