विश्वजीत सिंह
उत्तर है…जी हाँ…पर क्या है इसके आधार…?
आइए संक्षेप में विश्लेषण करते हैं….
भाजपा 2019 मे 303 सीट पाई थी, क्योंकि तब राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, छ्त्तीसगढ़ हिमाचल ,बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लगभग सारी की सारी सीटें जीती थी, जबकि आज ऐसा किसी भी हालत में संभव नहीं है….
भाजपा की 30 सीटें भी कम आई तो बहुमत से दूर हो जायेगी…. क्योंकि आज हालत भाजपा के अनुकूल नहीं है….
ना गोदी मीडिया के भक्ति को सुने, ना CSDS के संजय कुमार, एक्सिस माई इंडिया के प्रदीप गुप्ता, सी वोटर के यशवंत देशमुख जैसे चाटुकारों का सर्वे माने… ये उन्हीं लोगों से सर्वे में पूछते हैं, जो भाजपाई हैं… साथ ही सेम्पल साइज बिल्कुल लेस…
झूठ की दीवार पर खडा़ मोदी जादू, राम मन्दिर भी ठंडा हो चुका है….
10 साल की एंटी इनकम्बंसी, पुलवामा जैसा राष्ट्रवादी भावना नही, विपक्षी गठबंधन, इलेक्टोरल बोंड जैसा मुद्दा.. इन्हें हराने के लिए काफी है….
इस हारने का डर, इसका एहसास भाजपा को है, इसीलिए दूसरी पार्टियों के लोगों को तोड़कर पार्टी मे शामिल कर रही है, ED, CBI, IT, चुनाव आयोग, अदालत के माध्यम से साम दाम दंड भेद का हथकंडा अपना रही है…
ऐसे में विपक्ष के पास जीतने का अनुकूल अवसर है,
पर यदि इस बार विपक्ष चुक गया तो आगे 2029 भी मुश्किल हो जायेगा, क्योंकि लोकसभा के संसद सदस्यों की संख्या को बढाकर 800 से 1000 तक किया जाना है, तब चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन मे मुश्लिम डोमिनेंट क्षेत्र को भी इस तरह बाँट दिया जायेगा कि उनका प्रभाव न रह जाय…
साथ ही संविधान में परिवर्तन, राज्यों का विभाजन आदि करके अपने अनुकूल बना दिया जायेगा कि आने वाले कई दशक सत्ता भाजपा के हाथ में रहेगी….
ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा हारने वाली स्थिति में है, पर यदि जीतती है तो यह उसकी खूबी के कारण नही बल्कि विपक्ष की कमजोरी ही एकमात्र कारण होगा….