–सुसंस्कृति परिहार
हरियाणा फिर राजस्थान में छोटे छोटे योग शिविर चलाने वाले रामदेव कैसे मालामाल हुए बताते हुए कहते हैं -कि उनके ट्रस्ट का मकसद आम लोगों के बीच योग और आयुर्वेद के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना था। खुद बाबा रामदेव भी बताते हैं कि पहली बार उनको जो पचास हजार रुपये का दान मिला था उसी से उन्होंने आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का कारोबार शुरु किया था जो आज हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।साल 1995 मे दिव्य योग ट्रस्ट, साल 2006 में दूसरा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बना और तीसरा भारत स्वाभीमान ट्र्स्ट बाबा रामदेव एक के बाद एक अपने ट्रस्ट बनाते चले गए और इसी के साथ तेजी से इस कथित बाबा का आर्थिक साम्राज्य भी फैलता चला गया है।
बाबा के ट्रस्ट की संपत्ति के बारे में बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में बाबा रामदेव ने दिव्य योग मंदिर और पतंजलि योगपीठ का कुल टर्नओवर 1100 करोड़ रुपए बताया था। लेकिन इसके अलावा भी बाबा के कई प्रोजेक्ट हैं जिनपर करोड़ो रुपया लगना है। बाबा की हरिद्वार में दिव्य फार्मेसी से हर साल 50 करोड़ रुपए की आय होती है। बाबा रामदेव का 500 करोड़ की लागत से बनने वाला फूड पार्क भी आमदनी का अच्छा स्रोत है। बाबा रामदेव हर साल योग कैंप लगाते हैं जिससे हर साल कुल 25 करोड़ रुपए की कमाई होती है। इस कैंप में कुल 50,000 लोग शिरकत करते हैं और हर व्यक्ति 5,000 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस देता है। हर साल बाबा रामदेव की किताबों और सीडी की बिक्री से 2-3 करोड़ रुपए कमाई होती है।
बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के नाम 34 कंपनियां है जिनका टर्नओवर 265 करोड़ रुपए हैं। यह जानकारी सरकार की ओर से लोकसभा में दी गई थी। बालकृष्ण उत्तराखंड में पंजीकृत 23 कंपनियों के निदेशक हैं जिनका कारोबार 94.84 करोड़ रुपए है। इसके अलावा बालकृष्ण के नाम 5 कंपनियां उत्तरप्रदेश में पंजीकृत है जिनका कुल व्यापार 5 लाख रुपए है और 4 कंपनियां दिल्ली में रजिस्टर्ड हैं जिनका कुल कारोबार 163.06 करोड़ रुपए है जबकि पश्चिम बंगाल में भी एक कंपनी है जिसका कुल व्यापार 8 करोड़ रुपए है। इसके अलावा बालकृष्ण महाराष्ट्र की एक कंपनी में भी निदेशक हैं लेकिन इसके कारोबार के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2011-12 में कंपनी की आय 453 करोड़ रुपये और मुनाफा 56 करोड़ रुपये था. फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में कंपनी की आय बढ़कर 849 करोड़ रुपये और मुनाफा बढ़कर 91 करोड़ रुपये हो गया. कंपनी का कुल कारोबार 453 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 30,000 करोड़ रुपये हो गया है.था कि उन दिनों हरियाणा और राजस्थान के शहरों में हर साल करीब पचास योग कैंप लगाता था उन दिनों बाबा रामदेव को अक्सर हरिद्वार की सड़कों पर स्कूटर चलाते देखा जाता था। साल 2002 में गुरु शंकरदेव की खराब सेहत के चलते बाबा रामदेव दिव्य योग ट्रस्ट का चेहरा बने जबकि उनके दोस्त बालकृष्ण ने ट्र्स्ट के फाइनेंस का जिम्मा संभाला और कर्मवीर को ट्रस्ट का प्रशासक बनाया गया था. इसके बाद से ही गुरुकुल के जमाने के ये तीनों दोस्त पतंजलि योगपीठ के आर्थिक साम्राज्य को आगे बढ़ा रहे है।
2002में गुरु शंकर देव की कथित तौर पर बीमारी फिर उनकी हत्या का मामला आज तक सुलझा नहीं है कहा जाता है उनकी कथित हत्या में उनके शिष्यों का हाथ है क्योंकि उनके जाने के बाद ही ट्रस्ट ने जम के योग को व्यापार बनाया। जड़ी बूटियों से आयुर्वेदिक दवाएं बनाई फिर शुद्धता के नाम पर तमाम उपभोक्ता सामग्री निर्मित हुई। इधर सन् 2002के गुजरात दंगे के बाद से ही भाजपा और संघ ने गुजरात के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को हीरो बना दिया जो 2014में भारत सरकार के प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष बने।यह भी अजब बात हुई कि
बाबा रामदेव ने खुलकर अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार हटाओ आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा योग शिविरों को देश और देश से बाहर लोकप्रिय बनाया तथा उनमें भाजपा के पक्ष में खुलकर अभियान चलाया। बढ़-चढ़कर बड़े बड़े झूठ बोले गए ।भाजपा को जब कथित भगवाधारी का साथ मिला तो बल्ले-बल्ले हो गई।इसी लगाव की ओट में बाबा ने नकली सामानों का बड़ा बाज़ार प्राप्त कर लिया ठीक वैसे ही जैसे अडानी ने मोदी को पकड़ कर देश और विदेश में अपना कारोबार जमा लिया।और ये दोनों विश्व के अरबपतियों की सूची में आ गए।
यूं तो व्यापार और प्रेम में सब जायज़ माना जाता है किंतु जब अति हो जाती है तो इसका दुखद परिणाम भी सामने आता है।आज बाबा रामदेव कोरोनिल गोली के विज्ञापन मामले में बुरी तरह फंसे हुए हैं।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था। अफ़सोसनाक तो ये भी है कि इसका प्रचार भारत सरकार ने भी किया जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर प्रतिबंध लगाने कहा था।जब सारा उत्पाद बिक गया तब इस पर प्रतिबंध लगा।यह लोगों के जीवन से खिलवाड़ का मामला है तथा सुको में चल रहा है हालांकि बाबा ने अदालत से दो बार अखबार के ज़रिए माफी मांगी है किंतु अदालत ने इसे माफी लायक ना समझते हुए इसे जारी रखने कहा है।
हाल ही में पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ को लेकर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव को कड़ी फटकार लगाई इसके साथ ही रामदेव और बाल कृष्ण को अदालत ने 30 अप्रैल को फिर से पेश होने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव को आदेश दिया कि वह बड़े साइज में पतंजलि माफीनामे का विज्ञापन फिर से जारी करें। अदालत की फटकार के दौरान रामदेव ने नया विज्ञापन छपवाने की बात सुप्रीम कोर्ट से कही थी, जिसकी अदालत ने मंजूरी दे दी है।क्या इससे उनके कारनामों पर विराम लग जाएगा?
अब तक। चूंकि इस तरह के नकली सामान के कई मामले छोटी अदालतों में आए किंतु वे रफ़ा दफ़ा हो गए। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि आजकल रामदेव बाबा की तरक्की से प्रेरित होकर बाबाओं की बड़ी बिग्रेड तैयार हो चुकी है जो भगवान राम और हनुमान के नाम पर कई गोरखधंधे चला रहे हैं तथा अपने को संरक्षित करने भारत-सरकार के एजेंडे के तहत बराबर प्रचार रत हैं इन पर चुनाव आयोग धार्मिक आयोजन कहकर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करता। गंभीर बात तो यह है कि इनके कार्यक्रमों हेतु सरकार ना केवल ख़र्च देती है बल्कि उनमें शरीक होकर उनका प्रचार भी करती है।
लगता है,बाबावाद को शिखर तक पहुंचाने वाले रामदेव का तिलिस्म भी अब समाप्ति की ओर है उनका धर्म और अर्थ के समन्वय पर टिका साम्राज्य पूर्णतः राजनीति के संरक्षण में पनपा है जिससे ना केवल धर्म, आयुर्वेदिक दवाएं और राजनैतिक माहौल प्रदूषित हुआ है।आज जिस तरह इलैक्ट्रोरल बांड के कांड का भंडाफोड़ हुआ है यदि ईमानदारी से बाबाजी के कारोबार की शिनाख्त की जाए तो इसमें कई गुने धंधे की वद्धि के बीज मिल सकते हैं जिनके पालन पोषण में वर्तमान सरकार ही जिम्मेदार मिलेगी। ठग देव का क्या होता है ये समय बताएगा। किंतु यह सच है कि बाबा ने ठगी कर जनता को गुमराह करते हुए भाजपा सरकार बनाने में बड़ी मदद की है इसका भी कहीं असर ना पड़ जाए और गोलमाल बाबा मालामाल होता रहे।