अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

क्या विद्रोह कर पाएंगी वसुंधरा राजे?

Share

                       -सुसंस्कृति परिहार

भाजपा में माननीय मोदीजी ने तमाम संवैधानिक नियमों को धीरे-धीरे विलोपित कर अपनी तानाशाही कायम की है। उदाहरण स्वरूप केंद्रीय मंत्रियों के अधिकार अपने पास रखें हैं वे नाम मात्र के मंत्री हैं। स्वायत्तता संस्थाओं,जांच एजेंसियों को गुलाम बना रखा है।मीडिया की हालत पतली कर रखी है। अब मुख्यमंत्रियों पर भी गुजरात मुख्यमंत्री की तरह शिकंजा कसने की तैयारी है।यह पूरी तरह जाहिर है कि शिवराज सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री होने का अधिकार रखते हैं किंतु वे मोदीजी के आगे सज़दा हैं और कहने लगे हैं मैंने मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा को नहीं जिताया जबकि वे सभाओं में खुलेआम कहते रहे हैं मैं मुख्यमंत्री बनूं या नहीं।जनता हुंकार भर्ती रही हां।अब वे अपने कमज़ोर ज़मीर के कारण पीछे हटने की बात कर रहे हैं।

दूसरी ओर राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तेवर शुरु से ही सख़्त रहे हैं उन्होंने मोदीजी की कई बार उपेक्षा भी की है।  उसका कारण राजस्थान की ज़मीन पर उनकी अच्छी पकड़ है और सामंती अंदाज़ भी।जैसा कि सुना जा रहा कि यहां मोदीजी नए चेहरे की तलाश में हैं उनके मुकाबले उन्होंने दीया कुमारी को जो राजघराने से ताल्लुक रखती है मैदान में उतारा था। लेकिन संघ की ओर से गोरखपंथी बाबा बालक दास का नाम आना बड़ा दुविधा उत्पन्न कर रहा है।इस केन्द्रीय ख़बर ने वसुंधरा को और मज़बूती से प्रतिरोध के लिए उकसाया है। उन्होंने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई जिसमें 70समर्थक मौजूद रहे। नियमानुसार उनका‌ हक़ बनता है कि वे सत्ता पर काबिज हों।

यह सब देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य के अधिकारों को लेकर वसुंधरा यदि अपनी दम खम दिखाती हैं और उन्हें फायदा मिलता है तो शायद शिवराज सिंह भी संघ का सपोर्ट लेकर प्रदेश में विधायकों को मुखर कर सकते हैं।यदि यह मुनासिब न हो पाता है तो पक्का मानिए मोदीजी के ख़िलाफ़ बहुत से नाराज़ लोग भाजपा का एक नया गठबंधन बना सकते हैं इनकी अगुवाई हेतु नितिन गडकरी आ सकते हैं केन्द्र से असन्तुष्ट मंत्री भी साथ हो जाएं तो आश्चर्य नहीं।

बहरहाल सारा दारोमदार वसुंधरा राजे के ऊपर निर्भर है।वे भी सरेंडर करती है या मुख्यमंत्री बनने संघर्ष करती है।यह संगीन मामला है किंतु वे यदि जनता के मतों के सम्मान में विद्रोह कर पाती हैं तो लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षार्थ वे एक मिसाल बनेंगी।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें