स्त्री ब्रह्मांड की जन्मदात्री है
फिर क्यूँ उसे जन्म लेने से
पहले मार रहे।
स्त्री घर की लक्ष्मी है
फिर क्यूँ उसको सम्मान से
वांछित रख रहे ।
स्त्री संस्कारों का प्रतिबिंब है
फिर क्यूँ ईष्या का शिकार
हो रही।
स्त्री सभ्यता का विकास है
फिर क्यूँ उसे बेडियों में
बांध रहे।
स्त्री स्वातिबूंद का मोती है
फिर क्यूँ उस मोती का पग पग पर शोषण कर रहे।
स्त्री सभी क्षेत्रों में भागीदारी
निभा रही
फिर क्यूँ उसे परम्परिक बेडियों
में जकड़ रहे।
अमित डोगरा
कांगडा,हिमाचल प्रदेश
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