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मतदाता को मतदान केंद्र तक ले जाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं कार्यकर्ता

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सनत जैन

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को मतदान करने के लिए मतदान केंद्र तक ले जाने में सबसे बड़ी भूमिका, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुवांशिक संगठन और भाजपा संगठन की रही है। इस कारण 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हर बार से ज्यादा मतदान हुआ। 2024 में यह स्थिति बदली हुई दिख रही है। इसका मुख्य कारण, भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुवांशिक संगठन के कार्यकर्ता इस बार निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। निष्क्रियता का एक बड़ा कारण भारतीय जनता पार्टी में अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाना है।

दरअसल 2024 लोकसभा चुनाव के पहले ओर लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को भाजपा में प्रवेश दिया जा रहा है, उसके कारण भाजपा संगठन और आनुवंशिक संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता हैरान हैं। अन्य दलों से आए नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा की विचारधारा से कोई लगाव नहीं होता है। इसके बाद भी बाहर से आए हुए नेताओं को महत्वपूर्ण पदों से नवाजा जा रहा है। भाजपा के लिए अब सत्ता ही एक विचारधारा बनकर रह गई है। भाजपा में बाहर से आए हुए अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर आरोप है कि वो अपने साथ गंदगी लेकर आ रहे हैं।

इस कारण संगठन के नेता और कार्यकर्ता मायूस होकर घर बैठ गए हैं। पिछले 10 वर्षों में भाजपा संगठन को पूरी तरह से प्रोफेशनल कंपनी की तरह संचालित किया जा रहा है। जो भाजपा के नेता सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हैं। उनका भाजपा संगठन के साथ कोई लगाव नहीं रहा है। जब चुनाव आते हैं, तब पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर रैली, जनसभाओं में भीड़ लाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इसके लिए केंद्रीय स्तर पर बाकायदा भुगतान भी किया जाता है। दूसरी तरफ भाजपा संगठन और संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता और प्रचारक हैं जो लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे है। उनसे केवल बंधुआ मजदूर की तरह काम लिया जाता है। अपने ही संगठन में वह उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता है, कि जिस विचारधारा के साथ जुड़कर वह कई पीढियों से संघ और भाजपा को सेवाएं देते आ रहे हैं।

उस पर अब प्रोफेशनल का कब्जा हो गया है। सत्ता का लाभ उन्हें ही मिल रहा है। ऐसी स्थिति में वह कोई विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन मतदाताओं से संपर्क रखने और मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने के काम में अब उनकी कोई रुचि नहीं रह गई है। देशभर में भाजपा के 10 लाख से अधिक पदाधिकारी, जिनमें संभागीय जिला, ब्लॉक के पदाधिकारी, पन्ना प्रमुख चुनाव कार्य से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। यही वर्ग सबसे ज्यादा इस बात से नाराज है, कि बाहर से इतने सारे नेताओं को उनके सिर पर लाकर क्यों बैठाया जा रहा है। इसी तरह से अनुवांशिक संगठनों से जुड़े हुए पदाधिकारी और प्रचारक भी शांत होकर इस चुनाव में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। पश्चिम बंगाल और केरल में कम्युनिस्ट पार्टी का एक संगठन काम करता है। कांग्रेस का संगठन देशभर में निष्प्रभावी होकर रह गया है। जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं, उनका नेटवर्क जरूर मजबूत है। देश के सभी राज्यों में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका भाजपा संगठन और संघ के अनुवांशिक संगठनों की रही है। उसमें निराशा का भाव आ गया है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई का जवाब कार्यकर्ताओं के पास नहीं है। मतदान कम होने से सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही होता हुआ दिख रहा है।

हाल ही में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यकर्ताओं की इस व्यथा को खुलकर बताया है। उनका कहना था, इंदौर में जिस तरह से कांग्रेस उम्मीदवार को भाजपा में प्रवेश दिया गया है। उसकी कोई जरूरत नहीं थी। इंदौर में भाजपा उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत रहा था। भाजपा और संघ से जुड़े अनुवांशिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के फोन उनके पास आ रहे हैं। वह कह रहे हैं, हमारे पास नोटा को वोट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। भाजपा संगठन में जिस तरह से कांग्रेस के लोगों को लाया जा रहा है। इसका विरोध करने के लिए नोटा के अलावा और किसी को वोट तो दे नहीं सकते हैं। भाजपा संगठन को ताई की बात को समझना होगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दौहरा नुकसान होने जा रहा है। भाजपा से जुड़े निष्ठावान कार्यकर्ता यदि नोटा में वोट देते हैं, तो भाजपा के उम्मीदवार का नुकसान है।

आसपास के जो वोट निकालकर मतदान केद्रो तक ले जाते थे, निराशा में होने के लिए वह खुद तो वोट डाल रहे हैं। मतदाता को मतदान केंद्र तक ले जाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। गर्मी और खेती किसानी के कारण मतदाता अपने घरों से नहीं निकल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता भी चुप्पी साधकर बैठ गए हैं। अभी तीसरे चरण के चुनाव होने जा रहे हैं। चार चरणों के चुनाव और बाकी हैं। भाजपा नेताओं और संगठन को समय रहते ध्यान देना बहुत जरूरी है। इस तथ्य को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम इंडिया शाइनिंग जैसे हो सकते हैं।

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